उत्तराखंड: सैनिटाइजर खरीद में हेरफेर, बनाई गई जांच कमेटी, एक महीने में पेश करनी होगी रिपोर्ट
देहरादून। कोरोना वायरस महामारी का विकराल रूप देखने को मिल रहा है, प्रतिदिन सामने आ रहे दो लाख के अधिक मामलों ने केंद्र और राज्य सरकारों को परेशानी में डाल दिया है। इस बीच उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजर खरीद में लगे कथित गड़बड़ी के आरोपों की जांच में तेजी लाई गई है। शुक्रवार को इस मामले की जांच के लिए नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी को एक महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
सैनिटाइजर गड़बड़ी मालमे की जांच की जिम्मेदारी कमेटी में कांग्रेस के पार्षद और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष डा. बिजेंद्रपाल सिंह को दी गई है। उन्हें केमटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जबकि चार अन्य सदस्य हैं। इसमें नगर निगम के वित्त अधिकारी भी सदस्य के रूप में मौजूद रहेंगे। यह मामला उस समय प्रकाश में सामने आया जब कौलागढ़ के निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट विनोद जोशी ने नगर निगम से जानकारी मांगी। प्राप्त सूचना के आधार पर जोशी ने सैनिटाइजर खरीद में वित्तीय घोटाले का आरोप लगाकर नगर निगम में 25 मार्च को नारेबाजी व प्रदर्शन किया।
विनोद जोशी के बाद कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को भुनाते हुए विरोध-प्रदर्शन किया और जांच की मांग उठाई। आरोप है कि लॉकडाउन के दौरान नगर निगम ने साठ रुपये प्रति लीटर की दर पर दून के माजरा स्थित एक फर्म से सोडियम हाइपोक्लोराइट की खरीद की थी। आरोप है कि इसकी कीमत 12 रुपये प्रति लीटर थी। बाद में निगम ने 12 रुपये में ही खरीद की।
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नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने स्पष्ट किया था कि लॉकडाउन के समय परिवहन सेवा बंद होने व आपात स्थिति में स्थानीय बाजार से इसे साठ रुपये की दर पर खरीदा गया था, जबकि बाद में निगम ने कोटा से सिर्फ परिवहन शुल्क वहन कर मुफ्त में भी सैनिटाइजर लिया। आयुक्त का दावा था कि दून निगम में ही नहीं बल्कि कोटद्वार नगर निगम, मसूरी पालिका, लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी समेत दर्जनों सरकारी संस्थानों ने साठ रुपये प्रति लीटर की दर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट को क्रय किया था।