उत्तराखंड के 9 सीएम में से एनडी तिवारी के अलावा इनमें से कोई पूरा नहीं कर पाया कार्यकाल
देहरादून: उत्तराखंड में कार्यकाल पूरा होने से पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ने वालों की फेहरिस्त में त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य के 8वें सीएम बन चुके हैं। सिर्फ एनडी तिवारी ही ऐसे नेता हुए हैं, जिन्होंने राज्य में अपना कार्यकाल पूरा किया था। उनके साथ तो ये रिकॉर्ड भी जुड़ा हुआ है कि वह पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे थे। वैसे निवर्तमान सीएम यह सोचकर थोड़ी राहत की सांस जरूर ले सकते हैं कि वह मुख्यमंत्री पद पर लगातार सबसे ज्यादा दिनों तक रहने वाले पहले भाजपाई बन चुके हैं। क्योंकि, उनसे पहले बीजेपी के किसी सीएम को एकसाथ इतने दिनों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने का मौका नहीं मिला है।
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री का कार्यकाल एक साल से भी कम था
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने साल 2000 में यूपी से अलग उत्तराखंड राज्य स्थापित किया था। इस नए राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला नित्यानंद स्वामी को, जिन्होंने 9 नवंबर, 2000 को पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। लेकिन, उनका कार्यकाल एक साल से भी कम रहा और वो 29 अक्टूबर, 2001 को इस पद से हट गए। राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की नियुक्ति 30 अक्टूबर, 2001 को हुई। लेकिन, वह भी सिर्फ 4 महीने ही इस पद पर रहे और भाजपा की सरकार चली गई। उन्होंने 1 मार्च, 2002 को इस पद से इस्तीफा दे दिया।
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एनडी तिवारी का कायम है कीर्तिमान
2 मार्च, 2002 को उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में नई सरकार बनी। भारतीय राजनीति के ये दिग्गज राजनेता उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा दोनों को मिलाकर अकेले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का सौभाग्य मिला था। वो पांच साल से चार दिन ज्यादा यानी 7 मार्च, 2007 तक इस पद पर रहे। इसके बाद प्रदेश में एकबार फिर से सत्ता बीजेपी के हाथों में आई और मेजर जनरल (रि.) बीसी खंडूड़ी को 7 मार्च, 2007 को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। लेकिन, खंडूड़ी जैसी शख्सियत और अटल-आडवाणी के भरोसेमंद नेता को भी सिर्फ ढाई साल में ही इस पद को छोड़ देना पड़ा। उनका कार्यकाल 26 जून, 2009 तक रहा।
करीब ढाई साल तक सीएम की कुर्सी पर बैठे निशंक
उत्तराखंड भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन के बाद 27 जून, 2009 को मौजूदा केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम पद की जिम्मेदारी मिली, लेकिन उन्हें भी 10 सितंबर, 2011 को अपना पद छोड़ना पड़ गया। इनके बाद एकबार फिर से खंडूड़ी की वापसी हुई लेकिन, इसबार वह अपने पहले कार्यकाल से भी कम दिन यानी 11 सितंबर, 2011 से 13 मार्च, 2012 तक ही मुख्यमंत्री रहे।
हरीश रावत ने टुकड़ों-टुकड़ों में संभाली जिम्मेदारी
13 मार्च, 2012 को राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। लेकिन, वह भी 31 जनवरी, 2014 तक ही अपनी कुर्सी बचा पाए और 1 फरवरी, 2014 को कांग्रेस ने उनकी जगह हरीश रावत को उत्तराखंड की बागडोर सौंप दी। इस दौरान दो-दो बार वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया और फिर कोर्ट की दखल के बाद हरीश रावत को फिर से कुर्सी मिल पाई। इस तरह से हरीश रावत का कार्यकाल तीन टुकड़ों में बंट गया- 1 फरवरी, 2014 से 27 मार्च, 2016 तक, 21 अप्रैल, 2016 से 22 अप्रैल, 2016 तक और फिर आखिर में 11 मई, 2016 से 18 मार्च, 2017 तक। (ऊपर की तस्वीर- पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों के खिलाफ देहरादून में पूर्व सीएम हरीश रावत का विरोध-प्रदर्शन)
तिवारी के बाद लगातार सबसे ज्यादा दिनों तक सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत
2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 57 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई थी। लेकिन, अगले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपनी ही पार्टी के विधायकों की बगावत के चलते कुर्सी छोड़ने का मजबूर होना पड़ा है। लेकिन, उन्होंने अपने नाम एक रिकॉर्ड जरूर बना लिया है कि वह एनडी तिवारी के बाद राज्य में लगातार सबसे ज्यादा समय तक सीएम पद पर रहने वाले राजनेता बन गए हैं। उनकी परेशानी तब से ज्यादा बढ़ गई थी, जब पिछले साल अक्टूबर में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में जांच केआदेश दिए थे। यही नहीं उनपर भाई-भतीजावाद के भी आरोप लग चुके हैं।
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