केदारनाथ जलप्रलय: केदारपुरी की 9 साल में बदली तस्वीर, पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से सच हो रहा सपना
देहरादून, 16 जून। जलप्रलय के 9 साल बाद केदारपुरी की तस्वीर बदल चुकी है। 16 और 17 जून, 2013 को केदारनाथ में आई जलप्रलय ने केदारपुरी को भारी नुकसान पहुंचाया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ के पुर्ननिर्माण को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केन्द्र सरकार केदारपुरी के पुर्ननिर्माण को लेकर कितना संजीदा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 4 साल में 5 बार केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं।

अक्तूबर 2017 में पीएम ने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया
केदारपुरी अब नए रूप में नजर आने लगी है। मार्च 2014 से तत्कालीन प्रदेश सरकार ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया। सबसे पहले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने धाम में पहुंचकर रामबाड़ा से केदारनाथ तक नया पहुंच मार्ग बनाया। साथ ही आपदा से बचाने के लिए सुरक्षा दीवार का निर्माण किया, जिसमें विदेशी तकनीकी का उपयोग किया गया।
अक्तूबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया। जिसके बाद से केदारपुरी नए भव्य रूप में नजर आने लगी है। केदारनाथ में सरस्वती नदी किनारे 504 मीटर लंबा आस्था पथ भी बनाया गया, जिस पर चार तर्पण कुंड व घाट भी बनाए गए हैं।

2019 में पीएम मोदी ने खुद 17 घंटे साधना की
जून 2013 में आपदा में केदारनाथ में पुल बहने और रामबाड़ा के तबाह होने के बाद गरूड़चट्टी का केदारनाथ से संपर्क कटा हुआ था, लेकिन मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल बनाया गया है। इसके अलावा केदारपुरी में सबसे ज्यादा आकर्षक ध्यान गुफा बीते चार वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। वर्ष 2019 में पीएम मोदी ने खुद 17 घंटे साधना की थी। जो कि तब से यात्रियों की पहली पसंद बनी हुई है। तब से हजारों यात्री यहां आ चुके हैं।

कई कार्य हुए कई का अब भी इंतजार
हाल ही में पीएम ने पुर्ननिर्माण से संबंधित योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास और आदि गुरू श्री शंकराचार्य जी के पुनर्निर्मित समाधि स्थल और नई प्रतिमा का अनावरण, तीर्थ पुरोहितों के आवास, सरस्वती नदी के तट पर बाढ़ सुरक्षा तथा घाटों का निर्माण, मन्दाकिनी नदी तट पर बाढ़ सुरक्षा हेतु भार वाहक दीवार, गरुड़ चट्टी के लिये मन्दाकिनी नदी पर पुल के निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया। इसके अलावा केदारनाथ धाम में संगम घाट का पुनर्विकास एवं रेन शैल्टर शेड, प्राथमिक चिकित्सा एवं पर्यटक सुविधा केन्द्र, मन्दाकिनी आस्था पथ पंक्ति प्रबन्धन, मन्दाकिनी वाटर एटीएम एवं मन्दाकिनी प्लाजा, प्रशासनिक कार्यालय एवं अस्पताल भवन, केदारनाथ तीर्थ स्थल में संग्रहालय (म्यूजियम) परिसर, सरस्वती सिविक एमेनिटी भवन का निर्माण कार्य का शिलान्यास किया जा चुका है। केदारनाथ में प्रभावित हुए तीर्थपुरोहितों के लिए पहाड़ी शैली में आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं।

श्रद्धालुओं का टूट रहा रिकॉर्ड
16 और 17 जून, 2013 की भीषण आपदा में केदारनाथ और मंदाकिनी घाटी में हजारों लोग लापता हो गए थे। 16 जून की शाम चौराबाड़ी ताल टूटने से मंदाकिनी में बाढ़ आयी थी। जिसके कारण केदारनाथ के आपास नुकसान और रामबाड़ा तहस-नहस हो गया था। 17 जून सुबह दोबारा चौराबाड़ी ताल से काफी पानी मलबा लेकर आया। जो कि केदारनाथ समेत पूरी घाटी में तबाही लेकर आया। आठवीं सदी में बने केदारनाथ मंदिर को भी इस दौरान भारी नुकसान पहुंचा था। त्रासदी के दौरान बाढ़ से मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया। इसके बाद सालों निर्माण कार्य चला और साल 2018 में ही ये रास्ता दोबारा तैयार हुआ। आपदा के दो सालों तक केदारनाथ दर्शन के आने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई, लेकिन साल 2019 में पहली बार दस लाख से अधिक यात्री केदारनाथ धाम में दर्शनों के लिए पहुंचे। ये अब तक का सबसे बड़ी संख्या मानी जाती है। 2022 में 6 मई से अब तक 6 लाख 72 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। जो कि नया रिकॉर्ड बना चुका है। जिस तरह यात्रा चल रही है, उसमें उम्मीद लगाई जा सकती है, कि यह आंकड़ा 10 लाख को पार कर सकता है।