जोशीमठ भू-धंसाव: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर के 45 किलो सोना और चांदी को गेस्ट हाउस में किया जाएगा शिफ्ट
जोशीमठ में भूमि धंसने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मंदिर के खजाने को लगभग 30-35 क्विंटल चांदी और 40-45 किलो सोने को अपने पीपलकोटी गेस्ट हाउस में स्थानांतरित किया जाएगा।
Joshimath sinking: बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मैंने कुछ समय पहले जीएसआई को पत्र लिखकर जोशीमठ में नरसिंह मंदिर पर रिपोर्ट मांगी थी। उनके अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में मंदिर परिसर को कोई खतरा नहीं है। लेकिन जोशीमठ में भूमि धंसने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हम मंदिर के खजाने को लगभग 30-35 क्विंटल चांदी और 40-45 किलो सोने को अपने पीपलकोटी गेस्ट हाउस में स्थानांतरित कर देंगे। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
वहीं, उत्तराखंड के जोशीमठ के हजारों निवासियों की सांसें अटकी हुई हैं। उन्हें हर पल किसी 'प्रलय' की आशंका सता रही है। पता नहीं कब पवित्र बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार कहलाने वाला यह सुंदर छोटा सा पहाड़ी शहर पूरा का पूरा जमीन के अंदर समा जाए! यह स्थिति अचानक नहीं, दशकों में पैदा हुई है। दिक्कत ये है कि इस समय यह समस्या बहुत ही भयावह शक्ल अख्तियार कर चुकी है। बिल्डिंगों में दरारें पड़ रही हैं। शहर में जमीन के अंदर और पहाड़ों से मटमैला पानी रिस रहा है। लोगों को अपना बसा-बसाया घर छोड़कर दूसरी जगहों पर शरण लेने की नौबत आ चुकी है।
दशकों पहले ही शोध में यह बात सामने आ चुकी थी कि जोशीमठ की सतह कमोजर है। लेकिन, इसके बावजूद ना तो इमारतों का निर्माण रुका और ना ही रोड बनने बंद हुए। ऊपर से बिजली परियोजनाओं पर भी जोरदार तरीके से अमल होता रहा। जोशीमठ में दरारों की समस्या नई नहीं है। यह कम से कम दो दशकों से नजर आती रहती है। लेकिन,पिछले कुछ दिनों में यह समस्या बहुत ही भयावह हो गई है। देखते ही देखते दरारें चौड़ी होने लगी है। यूं लगता है कि यहां बस अब धरती फटने ही वाली है और सबकुछ उसके अंदर समाने वाला है। इस भयानक स्थिति ने करीब 25,000 की आबादी वाले बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार कहलाने वाले देवभूमि के इस कस्बे के लोगों को डरा दिया है। 22 दिसंबर की बात है। इस इलाके की जीवन रेखा मानी जाने वाली हेलंग-जोशीमठ हाइवे मारवाड़ी के पास धंस गई।
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जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में है, जो गढ़वाल हिमालय में 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। देवभूमि उत्तराखंड में स्थित इस जगह का महत्त्व इस वजह से है, क्योंकि इसे पवित्र बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का प्रवेशद्वार माना जाता है। यही नहीं, स्कीइंग के लिए मशहूर औली और यूनेस्को (Unesco) के विश्व धरोहर फूलों की घाटी ( Valley of Flowers) का रास्ता भी यहीं से गुजरता है।
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