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योगी सरकार ने खुलवाई पं. दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत की फाइल, बनेगा चुनावी मुद्दा

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इलाहाबाद। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी एक और राजनीतिक मुद्दा जनता के बीच लेकर आने वाली है। दरअसल योगी सरकार ने 50 साल पहले हुई पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत की सच्चाई उजागर करने के लिए की धूल फांकती फाइलों को फिर से कुरेदने का निर्देश दिया है। रेलवे पुलिस ने इसकी जांच-पड़ताल भी शुरू कर दी है और मौजूदा समय में मिले केस से संबंधित साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई है। फिलहाल इस मुद्दे के राजनीतिक मुद्दे बनने के पीछे भी बड़ी दिलचस्प गुणा गणित है।

सीबीआई कर सकती है जांच

सीबीआई कर सकती है जांच

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत को लेकर पूर्व में कई तरह के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में लोग उस रहस्य में मौत की सच्चाई जानना चाहते हैं और मौजूदा समय में सरकार ने जिस तरह से इस केस में तेजी दिखानी शुरू की है और रेलवे से जांच प्रकरण की रिपोर्ट लेने के साथ यह केस सीबीआई को हैंडल करने की मंशा जताई है। भाजपा सरकार इस मुद्दे पर यह जरूर जताना चाहेगी कि अगर वह सरकार में रही तो इसकी सीबीआई जांच होगी और उनके ना रहने पर इस जांच को फिर से वापस धूल फांकती गठरी में बंद कर दिया जाएगा।

अब तक क्या हुआ केस में

अब तक क्या हुआ केस में

आईजी रेलवे बीआर मीणा के अनुसार मुगलसराय यानी पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन जीआरपी को कत्ल से जुड़ी सभी दस्तावेज एकत्रित करने का आदेश दिया गया है। शासन के निर्देश पर केस की जांच फिर से शुरू कराई गई है। जीआरपी से रिपोर्ट मिलने पर इसे शासन को भेजा जाएगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय की मौत से जुड़े साक्ष्य जिस किसी के पास हो वह चाहे तो हमें दे सकता है। हमारी जांच चल रही है। साक्ष्यों आधार पर ही जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी जायेगी। आईजी मीणा ने बताया कि 1968 में इस केस की एफआईआर दर्ज हुई थी। लेकिन मौजूदा समय में एफआईआर और केस डायरी थाने से गायब है। अब तत्कालीन समय में थाने में तैनात थाना इंचार्ज, विवेचक व अन्य एसआई और पुलिसकर्मियों की डिटेल निकलवायी जा रही है। अगर वह स्टाफ मौजूदा समय में जिंदा है, तो उनसे तत्कालीन तथ्यों के बारे में पूछताछ कर रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। अगर उन पुलिसकर्मियों का पता चलता है जिन्होंने शव का पंचनामा किया था तो केस में काफी कुछ मिलने की संभावना है।

क्या था केस

क्या था केस

एसपी रेलवे हिमांशु कुमार द्वारा आई जी को दी गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि जीआरपी थाने के रजिस्टर संख्या 4 में 11 फरवरी 1968 को एक घटना की रिपोर्ट दर्ज है। जिसमें अपराध संख्या 67/1968 पर आईपीसी 302 के तहत अज्ञात पर एफआईआर है। तत्कालीन समय में जब जांच शुरू हुई तो इस मामले में तीन लोग आरोपी बनाए गए थे और इन तीनों आरोपियों में वाराणसी निवासी राम अवध, लालता और भरत राम को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई और ट्रायल शुरू हुआ। एक साल बाद जून 1969 में बनारस की सेशन कोर्ट ने धारा 302 के मुकदमे से सभी को बरी कर दिया। लेकिन भरत राम को कोर्ट ने आईपीसी की धारा 379/411 के तहत दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई थी। जबकि राम अवध व लालता को इन धाराओं से भी बरी कर दिया गया था। रेलवे पुलिस अब इन तीनों के बारे में भी पता लगा रही है। रेलवे पुलिस को बस इतनी ही राहत है कि रेलवे पुलिस के रिकॉर्ड में रजिस्टर नंबर 4 में इस केस की डिटेल अभी भी सुरक्षित है।

भाजपा कार्यकर्ता की मांग पर जांच

भाजपा कार्यकर्ता की मांग पर जांच

इस केस की जांच के लिये राकेश गुप्त नाम के भाजपा कार्यकर्ता ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखा था। जिसके अनुक्रम में अब जांच शुरू हुई है। भाजपा कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के जलालपुर तहसील के ग्राम मालीपुर गांव का रहने वाला है। राकेश ने 6 नवंबर 2017 को को पत्र लिख कर पंडित दीनदयाल की हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। मामले में गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस पर रिपोर्ट मांगी तो डीजीपी ने 6 अगस्त 2018 को इसकी जांच आइजी जीआरपी इलाहाबाद मंडल बीआर मीणा को सौंपी है।

पटना जाते समय हुई थी मौत

पटना जाते समय हुई थी मौत

सरकारी रिकार्ड के अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत 11 फरवरी 1968 को हुई थी। उनकी लाश मुगलसराय (वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन) स्टेशन के यार्ड में एक बिजली के खंभे के पास मिली थी। घटना वाले दिन वह पटना में आयोजित पार्टी की बैठक में हिस्सा लेने वह दिल्ली से जा रहे थे। उस वक्त वह भारतीय जनसंघ ( वर्तमान बीजेपी) के अध्यक्ष थे। बताया जाता है कि उनके शव की पहले पहचान नहीं हो सकी थी और अज्ञात में ही उनका पंचनामा भरा गया था। लेकिन,बाद में एक कर्मचारी ने उन्हें पहचान लिया तो पूरे देश में उपाध्याय की मौत की खबर पहुंची थी।

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English summary
Yogi government will now open the file of secret death of Pandit Deendayal Upadhyay
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