उत्तर प्रदेश चुनाव में ड्यूटी छोड़कर पत्नी को जिताने में जुटे हैं सरकारी अफसर
बालामऊ क्षेत्र के लोग बसपा कैंडिडेट नीलू सत्यार्थी से ज्यादा परिचित नहीं हैं लेकिन उनके नौकरशाह पति को जानते हैं। परिवहन विभाग में अफसर पुष्प सेन सत्यार्थी, पत्नी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
हरदोई। उत्तर प्रदेश में सरकारी अफसर अपना काम छोड़कर चुनाव लड़ रहीं पत्नी को जिताने के लिए प्रचार में जुटे हुए हैं। मामला बालामऊ विधानसभा क्षेत्र का है जहां से बहुजन समाज पार्टी ने नीलू सत्यार्थी को टिकट दिया है। उनके पति उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग में एआरटीओ हैं लेकिन आजकल वे दफ्तर नहीं जाते। ऑफिस में सरकारी काम न कर वो बालामऊ क्षेत्र में जनता से मिल रहे हैं और पत्नी नीलू सत्यार्थी के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं। सरकारी काम में लापरवाही कर पत्नी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे इस अधिकारी की इलाके में खूब चर्चा हो रही है। Read Also: यूपी चुनाव: बसपा ने जारी की 100 उम्मीदवारों की लिस्ट, देखें यहां
संभागीय परिवहन अधिकारी पुष्प सेन सत्यार्थी गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ बालामऊ विधानसभा क्षेत्र में घूमते रहे और बसपा कैंडिडेट पत्नी नीलू सत्यार्थी के पक्ष में चुनाव अभियान चलाते हुए जनता से वोट मांगते रहे। उनके इस तरह से सरकारी काम छोड़कर चुनाव प्रचार में भाग लेते देखकर इलाके के लोग और राजनीतिक विरोधी सवाल खड़ा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि पुष्प सेन सत्यार्थी पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। लोग चर्चा कर रहे हैं कि जब आरटीओ अधिकारी का पूरा दिन, गांव के गलियारों में वोट मांगने में गुजरता है तो वे सरकारी काम किस समय करते हैं?
पिछले साल दिसंबर में पूर्व मंत्री रामपाल वर्मा के निष्कासन के बाद बालामऊ विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने नीलू सत्यार्थी को टिकट दिया। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा बहुत चौंकानेवाली रही क्योंकि बालामऊ के लोगों के लिए वे अजनबी हैं। यहां के लोग नीलू सत्यार्थी से परिचित नहीं हैं। वे नहीं जानते कि बसपा में नीलू सत्यार्थी कब से हैं और इलाके के बारे में वे क्या जानती हैं? इस बारे में जनता को बसपा के किसी नेता ने भी नहीं बताया है। इलाके के लोग बस इतना जानते हैं कि वह यूपी सरकार के परिवहन विभाग के एक अफसर पुष्प सेन सत्यार्थी की पत्नी हैं। Read Also: सर्वे: यूपी में सीएम के लिए पहली पसंद अखिलेश, सपा-भाजपा में टक्कर, बसपा तीसरे नंबर पर खिसकी