यूपी के सरकारी अस्पतालों में VIP को अब नहीं दिया जाएगा कोई खास ट्रीटमेंट
लखनऊ।
उत्तर
प्रदेश
में
अब
मंत्री,
विधायक
या
अन्य
सरकारी
अफसरों
को
अब
सरकारी
अस्पतालों
में
वीआईपी
ट्रीटमेंट
नहीं
मिल
पाएगा।
पिछले
दिनों
हाईकोर्ट
के
एक
फैसले
के
बाद
सचिव
स्वास्थ्य
वी
हेकाली
झिमोमी
ने
सभी
जिलाधिकारियों
को
शासनादेश
जारी
कर
दिए
हैं।
झिमोमी
के
अनुसार,
अब
सरकारी
अस्पतालों
में
सभी
मरीजों
को
समान
इलाज
सुविधाएं
दी
जाएंगी।
किसी
भी
मंत्री,
विधायक
या
अफसर
को
वीआईपी
ट्रीटमेंट
नहीं
मिलेगा।
जो
मरीज
अस्पताल
में
होंगे,
सबके
साथ
समान
व्यवहार
होगा।''
विशेष
परिस्थितियों
में
मिलेगा
ये
लाभ
स्वास्थ्य
विभाग
के
आदेशों
में
यह
भी
कहा
गया
है
कि
यदि
ऐसी
किसी
बीमारी
का
इलाज
कराना
पड़े,
जिसका
इलाज
सरकारी
अस्पताल
में
नहीं
है,
तो
विशेष
परिस्थितियों
में
प्रतिपूर्ति
दी
जा
सकती
है।
कोर्ट
के
आदेश
की
प्रति
सभी
सीएमएस,
सीएमओ
और
सीएचसी
व
पीएचसी
के
प्रभारियों
को
भेजी
गई
है।
हाईकोर्ट
में
एक
दाखिल
याचिका
के
फैसले
के
आधार
पर
ये
नियम
लागू
हो
रहे
हैं।
सरकार
के
फैसले
की
अन्य
जरूरी
बातें
जिलाधिकारी
अमेठी
शकुन्तला
गौतम
का
कहना
है
कि
सूबे
में
इस
शासनादेश
का
अनुपालन
सुनिश्चित
कराया
जाना
चाहिए।
साथ
ही
सभी
सरकारी
कर्मचारियों
की
निजी
अस्पतालों
में
कराई
गई
चिकित्सा
की
प्रतिपूर्ति
अग्रिम
आदेश
तक
न
की
जाय।
केवल
उन्हीं
बीमारियों
की
निजी
चिकित्सालयों
में
कराई
गई
चिकित्सा
की
प्रतिपूर्ति
की
जा
सकती
है
जिनका
इलाज
सरकारी
अस्पतालों
में
उपलब्ध
न
हो।
यही
नहीं,
सरकारी
कर्मचारी
या
जो
सरकार
से
किसी
तरह
का
वेतन
या
लाभ
ले
रहा
है
तो
ड्यूटी
पर
मौजूद
मेडिकल
ऑफिसर
उसे
किसी
तरह
का
वीआईपी
ट्रीटमेंट
नहीं
देगा।
यदि
किसी
ऐसी
बीमारी
का
इलाज
कराना
पड़े,
जिसका
इलाज
सरकारी
अस्पताल
में
नहीं
है
तो
विशेष
परिस्थितियों
में
प्रतिपूर्ति
दी
जा
सकती
है।
वीवीआईपी
कल्चर
खत्म
करने
की
कोशिश
केंद्र
में
मोदी
सरकार
ने
वीवीआईपी
कल्चर
खत्म
करने
की
बात
कही
थी,
जिसके
बाद
सरकार
ने
दिल्ली
में
कई
निर्णय
लिए।
उत्तर
प्रदेश
में
एक
जनहित
याचिका
में
हाईकोर्ट
से
गुहार
लगाई
गई
थी
कि
यहां
सरकारी
अस्पतालों
में
मरीजों
के
लिए
एक
समान
इलाज
मुहैया
कराया
जाए।
मंत्री,
विधायकों
और
अधिकारियों
को
ही
वीआईपी
ट्रीटमेंट
क्यों
दिया
जाए?
इस
पर
हाईकोर्ट
ने
सरकार
को
निर्णय
लेने
को
कहा।
अब
योगी
सरकार
के
इस
फैसले
को
भी
वीवीआईपी
कल्चर
खत्म
करने
की
कोशिश
के
रूप
में
पेश
किया
जा
रहा
है।
यह
होती
हैं
अस्पतालों
में
मरीजों
को
दिक्कत
सरकारी
अस्पतालों
में
ज्यादातर
स्थानों
पर
इलाज
के
लिए
पहुंचने
वाले
अधिकारियों,
नेताओं
व
अन्य
रसूखदार
लोगों
को
अस्पताल
कर्मियों
द्वारा
वीआईपी
ट्रीटमेन्ट
दिया
जाता
है।
पहले
से
लाइन
में
लगे
आम
मरीजों
को
छोड़कर
डाक्टर
खास
लोगों
के
इलाज
में
जुट
जाते
हैं।
जिससे
आम
लोगों
में
निराशा
और
उपेक्षा
का
भाव
पैदा
हो
जाता
है।
यह
शासनादेश
आमजन
में
एक
भरोसा
पैदा
करेगा।
ये भी पढ़ें: बस से टकराई बाइक रोड़ पर फिसलने से जली, यूपी-100 के दस्ते ने बचाए सभी यात्री