मुलायम की बहू अपर्णा के भाजपा ज्वाइन करने से लखनऊ में बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल
लखनऊ, 19 जनवरी: उत्तर प्रदेश की सियासत में हर दिन जबर्दस्त उलटफेर हो रहा है। कुछ दिन पहले तक बीजेपी मंत्रियों का सपा में शामिल होने का तांता लगा हुआ था। भगदड़ इस कदर मची थी कि सपा के चीफ अखिलेश यादव को यह कहना पड़ा कि अब बीजेपी के नेताओं के लिए सपा के दरवाजे बंद हैं। लेकिन उनके दरवाजे बंद करने से पहले ही उनके ही परिवार की सदस्य और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की छोटू बहु ने अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थामकर उन्हें राजनीतिक तौर पर बड़ा झटका दे दिया। बीजेपी ने कुछ दिनों पहले ही मुलायम के समधी को भी भाजपा में शामिल कराया था यानि बीजेपी अखिलेश से बदला लेने में कामयाब रही लेकिन अब बीजेपी के अंदर दूसरी लड़ाई शुरू होगी और वो है लखनऊ की कैंट सीट को लेकर।
दरअसल अपर्णा यादव की पसंद लखनऊ की कैंट सीट ही है जहां से वह एक बार चुनाव भी लड़ चुकी हैं और वो सपा में रहते हुए अखिलेश से कैंट सीट के लिए ही टिकट मांग रहीं थीं। लेकिन अखिलेश ने अपर्णा की बात अनसुनी करते हुए उन्हें कैंट सीट से टिकट देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद अपर्णा ने ठोस कदम उठाते हुए सपा छोड़कर बीजेपी में जाने का फैसला किया था। हालांकि अपर्णा के लिए सपा छोड़ने का फैसला करना इतना आसान भी नहीं था। कुछ दिनों से चल रही अटकलों के बीच शिवपाल ने भी अपर्णा को समझाने की कोशिशि की थी लेकिन वह नहीं मानी और बुधवार को दिल्ली में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर देश में राष्ष्ट्रवाद का अलख जगाने का संकल्प ले लिया।
वहीं अपर्णा के बीजेपी में आने से अब अंदरखाने दूसरी उठापटक भी शुरू होगी। कैंट सीट से पहले ही कई दावेदार लगे हुए हैं। जिनमें बीजेपी की सांसद और यूपी सरकार में मंत्री रह चुकीं रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं। रीता जोशी अपने बेटे मयंक जेाशी के लिए कैंट सीट से टिकट मांग रही हैं और बेटे के टिकट के लिए तो उन्होंने सांसदी छोड़ने तक की पेशकश कर डाली है। रीता के इस्तीफे का दाव कितना कारगर होगा यह तो समय बताएगा लेकिल कैंट सीट से टिकट को लेकर उनके और अपर्णा के बीच जोर आजमाइश तो शुरू हो ही गई है। जाहिर है कि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आलाकमान का आशीर्वाद किसे मिलता है।
वहीं इलाहाबाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है कि अगर उनके बेटे मयंक जोशी को राज्य विधानसभा चुनाव में लखनऊ छावनी से मैदान में उतारा जाता है तो वह एक सांसद के रूप में पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। जोशी ने कहा, "यदि एक परिवार का केवल एक व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, तो मयंक को टिकट दिए जाने पर मैं अपनी वर्तमान लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। युवाओं को अंदर आने दो, मैं पार्टी के लिए काम करती रहूंगी।
जोशी ने आगे कहा कि 2016 में भाजपा में शामिल हुईं पूर्व कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि उन्होंने यह प्रस्ताव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजा है। "मैं वैसे भी हमेशा बीजेपी के लिए काम करती रहूंगा। पार्टी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना चुन सकती है। मैं पहले ही घोषणा कर चुकी हूं कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। आखिर अब तो युवाओं को अंदर आने दो।"
जोशी ने आगे कहा,
"मयंक विधानसभा क्षेत्र में काफी जमीनी काम कर रहे हैं और समाज के सभी वर्गों में काफी लोकप्रिय हैं, खासकर युवाओं के बीच। यह सीट मुझे भी इतनी प्यारी है, आखिर मैंने सीट जीती है। 2012 में कांग्रेस से भाजपा के तीन बार के विधायक सुरेश चंद्र तिवारी को हराने के बाद। फिर 2017 में, जब मैं भाजपा में शामिल हुई था, तो मैंने (सपा संरक्षक) मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को हराकर सीट जीती थी। मेरे बेटे का सीट से भावनात्मक जुड़ाव है और उसने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है, मुझे लगता है कि वह टिकट का हकदार है और अगर पार्टी को लगता है कि परिवार के केवल एक सदस्य को टिकट दिया जा सकता है, तो मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं।"
रीता बहुगुणा ने 1995-2000 तक इलाहाबाद की मेयर की सीट पर कब्जा किया है, जब वह समाजवादी पार्टी के साथ थीं। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुईं और 2003 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और सितंबर 2007 में यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष नियुक्त की गईं। 2012 के चुनावों में वह लखनऊ छावनी विधानसभा सीट से चुनी गईं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं।
वह कांग्रेस में 24 साल बिताने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में 20 अक्टूबर, 2016 को भाजपा में शामिल हुईं और फिर से लखनऊ छावनी से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनी गईं। बाद में उन्हें पार्टी द्वारा 2019 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा गया, जिसके कारण उन्हें सीट खाली करनी पड़ी। 44 वर्षीय मयंक ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज और प्रयागराज के बीएचएस से की है और उसके बाद वह स्नातक के लिए मुंबई गए और उसके बाद लंदन चले गए जहां उन्होंने एमबीए किया।
बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि,
''हालांकि अपर्णा, जिन्होंने लखनऊ कैंट से 2017 का चुनाव लड़ा था और हार गईं, को राज्य की राजधानी के बख्शी का तालाब निर्वाचन क्षेत्र से मौका मिलने की संभावना है क्योंकि कैंट सीट के लिए दावेदारों की लिस्ट बहुत लंबी है। भाजपा की लोकसभा सदस्य रीता बहुगुणा जोशी के अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट की मांग को लेकर खुलकर सामने आने के बाद लखनऊ से उम्मीदवारों के मुद्दे ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है। वह अपनी लोकसभा सदस्यता की कीमत पर भी टिकट मांग रही हैं।''
सूत्रों के मुताबिक, अगर मंत्रियों को सीधे चुनाव में उतारने का फैसला होता है, तो डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को उसी सीट से धकेला जा रहा है। इसी तरह इस विधानसभा से पार्षद रह चुके डॉ महेंद्र सिंह भी मैदान में हो सकते हैं। मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी पहले से ही यहां से टिकट मांग रहे हैं और लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया की बहू रेशु भाटिया भी टिकट मांगने वालों में शामिल हैं।
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