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मोदी के बनारस में कैंब्रिज की पाठशाला, टैबलेट से पढ़ाई कर रहे गरीब बस्ती के बच्चे

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, सारनाथ इलाके में खास स्कूल चला रही है जहां बच्चे टैबलेट से खुद पढ़ाई करते हैं और शिक्षक उनका सहयोग करते हैं।

By Rajeevkumar Singh
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वाराणसी। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में शिक्षा को ग्रामीणों और वंचितों तक पहुंचाने के लिए कई विदेशी संस्थाएं आगे आई हैं। शुरुआत बनारस से हुई है और इन संस्थाओं का लक्ष्य पूरे देश में गुणवत्तावाली शिक्षा, खासकर ग्रामीण भारत में ले जाने का है। भारत के गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के दलाईलामा सेंटर फॉर एथनिक वैल्यूज एंड ट्रांसफॉर्मेशन ने एक अनूठी पहल शुरू की है। वाराणसी में शुरू किये गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यहां गरीब बस्ती के बच्चों को टैबलेट्स के जरिए पढ़ाया जा रहा है। खास बात ये है इस प्रोजेक्ट में 4 से 8 वर्ष की उम्र के बच्चे टैबलेट से खुद ही पढ़ते और खेलते हैं। Read Also: हाई स्कूल के बच्चों ने JIO सिम से बना दिया डिजिटल लॉक, देखकर मुकेश अंबानी भी रह जाएंगे हैरान

सारनाथ में चल रही अनोखी पाठशाला

सारनाथ में चल रही अनोखी पाठशाला

ये वो अनोखी पाठशाला है जो कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एमआईटी की तरफ से वाराणसी के सारनाथ स्थित मवाइयां बस्ती में चलाई जा रही है। एमआईटी के दलाईलामा सेंटर फॉर एथनिक वैल्यूज एंड ट्रांसफॉर्मेशन के एक रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत यहां इन गरीब छोटे बच्चों को टैबलेट के जरिए पढ़ाया जा रहा है। बच्चे टैबलेट से पढ़ते भी हैं और खेलते भी। शहर की सामाजिक संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की देखरेख में चल रही इस पाठशाला में ये टैबलेट ही उनका टीचर है। स्थानीय टीचर का काम सिर्फ निगरानी रखना भर है।

ग्रामीण इलाकों के बच्चों के हाथ में टैबलेट

ग्रामीण इलाकों के बच्चों के हाथ में टैबलेट

ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव रजनीकांत ने बताया कि एक साल पहले ये पहल शुरू हुई थी। उन्होंने कहा, 'ई - टेक्नोलॉजी से पूरी दुनिया जुड़ रही है, ऐसे में हमने सोचा कि पीएम के संसदीय क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में छोटे बच्चों से शुरुआत की जाए इसलिए हमने ये गांव चुना। यहां बच्चों को टेैबलेट के जरिये कार्टून, पियानो, शब्द, अल्फाबेट, ड्राइंग आदि सिखाए जाते हैं ताकि जब वो बड़े हों तो उनके लिए टैबलेट्स या स्मार्ट मोबाइल फोन को समझने और ई- टेक्नोलॉजी को जानने में दिक्कत ना हो।'

क्या है इस स्कूल का मकसद?

क्या है इस स्कूल का मकसद?

इस प्रोजेक्ट में एक और संस्था सहयोग कर रही है - सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, जिसने ये टैबलेट्स उपलब्ध कराए हैं। यहां 25 टैबलेट्स के जरिये कुल 50 बच्चों को 2 बार में पढ़ाया जाता है। वाईफाई सुविधा से लैस इन टैबलेट्स पर होने वाले सारे कामों पर एमआईटी में नजर रखी जाती है कि बच्चे क्या कर रहे हैं? इस ग्लोबल लिट्रेसी प्रोजेक्ट का मकसद इन गरीब बच्चों में आधुनिक शिक्षा के प्रति रुचि जगाना है। साथ ही आधुनिक गैजेट्स से इन्हें रूबरू करना है जिससे ये आगे चल कर दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें। 3 साल के लिए शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अभी वाराणसी में सारनाथ क्षेत्र की 2 जगहों पर चल रहा है।

टेबलेट का यूज कर काफी उत्साहित हैं बच्चे

टेबलेट का यूज कर काफी उत्साहित हैं बच्चे

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English summary
Cambridge University is educating poor children in Sarnath area by using tablets. Teachers are helping them to use tablet.
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