इलाहाबाद: खाली टैंकर लेकर आग बुझाने पहुंची थी फायर ब्रिगेड टीम, धू-धू कर जला था परिवार
इलाहाबाद। इलाहाबाद के धूमनगंज में सोमवार को हुए आग तांडव में मौत के पीछे की कहानी अब बाहर आने लगी है। इस दिल दहला देने वाले हादसे में जितनी अनहोनी प्रकृतिक थी उससे बडी चूक मानवीय भी रही। घटना में जब उमेश केशरवानी के परिवार की तीन महिलाएं जिंदा जल रही थी, उस वक्त उन्हें बचाया जा सकता था। लेकिन जो बचाने वाले थे वह अप्रशिक्षित थे और जो प्रशिक्षित थे वह खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। फायर सर्विस व्यवस्था यहां तमाशबीन बनी रही। जहां फायर ब्रिगेड का अग्निशमन यंत्र पहुंचा तो टैंकर खाली था। उसमें पानी नहीं था और पानी का इंतजाम स्थानीय तौर पर करना था, लेकिन बाजार में तालाब, पंपिंग सेट य टंकी तो थी नहीं जो पानी मिलता। इसके चलते दूसरी गाडियां पानी के साथ बुलाई गई। वहीं अंदर आग से घिरी महिलाओं को निकालने के लिए ग्रामीण दीवार तोड़ रहे थे, लेकिन फायर ब्रिगेड की टीम सिर्फ आग की लपटों के थमने का इंतजार कर रही थी।
दीवार तोड़ने के हथियार भी नहीं थे फायर ब्रिगेड के पास
आश्चर्य की बात थी कि फायरकर्मियों के पास हेलमेट जैसे मूलभूत संसाधन भी नहीं थे। दीवार तोड़ते ग्रामीणों को देखकर भी फायरब्रिगेड के लोग खड़े थे क्योकि उनके पास दीवार तोड़ने के भी हथियार नहीं थे। यहां तक कि छत तक पहुंचने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं था। यही कारण था कि आग फैलती गई और विकराल होती चली गई। जब तक संसाधन पहुंचे, स्थिति काबू से बाहर हो चुकी थी। देखते ही देखते तीन जिंदगियां सैकड़ों लोगों के सामने जिंदा जल गईं।
लोगों
से
फायरब्रिगेड
मांगती
रही
मदद
सूचना
के
लगभग
सवा
घंटे
बाद
फायर
ब्रिगेड
की
गाडी
ने
8
किलोमीटर
का
रास्ता
तय
किया
था
और
घटना
स्थल
पर
बिना
संसाधन
के
अपनी
हाजिरी
लगाने
पहुंच
गए।
यह
हास्यास्पद
जरूर
था
कि
फायरब्रिगेड
को
मदद
के
लिये
बुलाया
गया
था
लेकिन
फायरब्रिगेड
खुद
लोगों
से
मांगती
रही।
रस्सी,
सीढी,
हथौड़ा,
हेल्मेट,
पानी
सबकुछ
फायर
ब्रिगेड
को
मांगना
पड़
रहा
था।
लोगों
ने
अपनी
जान
लगा
दी
तीन
जिंदगियों
को
मौत
से
बचाने
के
लिये
स्थानीय
लोगों
ने
अपनी
जान
लगा
दी
थी।
कोई
दौड़
दौड़
कर
पानी
लाता
तो
कोई
फेंकता।
कहीं
लोग
बालू
फेंक
रहे
थे
तो
लाठी
से
भी
आग
पीटी
जा
रही
थी।
जब
आग
न
बुझती
दिखी
तो
लोग
दीवार
तोड़ने
लगे।
कुंदे,
रंभा,फावडे,
गदाले,
हथौडा
जिस
चीज
से
भी
दीवार
टूट
सकती
थी
लोग
उसे
लेकर
दीवार
पर
टूट
पड़े।
कड़ी
मशक्कत
के
बाद
लोगों
ने
घर
के
पीछे
का
लोहे
का
दरवाजा
तोड़ा
और
पानी
के
सहारे
घर
में
दाखिल
हुए।
क्या
कहते
हैं
लोग
पड़ोसियों
से
लेकर
रिश्तेदारों
ने
फायर
ब्रिगेड
की
लापरवाही
से
हादसा
बढ़ने
का
आरोप
लगाया।
रिश्तेदार
दीपांशु
ने
बताया
कि
पहली
गाड़ी
डेढ
घंटे
बाद
आई,
लेकिन
उनके
पास
पानी
नहीं
था।
दूसरी
और
तीसरी
गाड़ी
आने
में
भी
बहुत
देर
हो
गई।
अगर
समय
रहते
मदद
मिलती
तो
शायद
सबकी
जान
बच
जाती।
पड़ोसी
ऋिषभ
ने
बताया
कि
हेल्मेट
और
छत
पर
पहुंचने
तक
के
संसाधन
फायर
ब्रिगेड
के
पास
नहीं
थी,
ऐसे
में
सही
मदद
नहीं
मिल
पाई
।
पड़ोसी
ने
बताया
कि
महज
पानी
डाल
कर
फायर
ब्रिगेड
मदद
कर
रही
थी।
मैंने
तो
अपने
घर
की
दो
दीवारें
तोड़ी
और
किसी
तरह
आग
वाले
घर
में
दाखिल
हो
सके।
लेकिन
तब
तक
बहुत
देर
हो
चुकी
थी।
वहीं
पूर्व
सांसद
धर्मराज
पटेल
ने
कहा
कि
फायर
ब्रिगेड
की
देरी
की
वजह
से
ही
तीन
लोगों
की
जान
गई
है।
गौरतलब है कि सोमवार की सुबह तीन मंजिला घर के ग्राउंड फ्लोर पर बनी कपड़े की दुकान में आग लग गई थी। आग पूरे घर में फैल गई जिससे कपड़ा व्यवसायी उमेश केशरवानी की मां रुक्मिणी (70), पत्नी स्नेहलता (45) और बेटी पारुल (22) की आग में जिंदा जलकर मौत हो गई थी, घटना में उमेश को जिंदा बचा लिया गया है।
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