वेस्टइंडीज सीरीज में दूर हुई भारत की 5 बड़ी परेशानी, अब मेलबर्न में जीत सकते हैं टी20 विश्वकप
नई दिल्ली। रोहित शर्मा की अगुवाई और कोच राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट के एक नये अध्याय की शुरुआत हो गई है, जिसके सुनहरे पन्नों पर कप्तानी का नया इतिहास रचते हुए भारतीय टीम ने लगातार तीसरी सीमित ओवर्स सीरीज में विपक्षी टीम को क्लीन स्वीप किया है। वहीं पर लगातार दूसरी टी20 सीरीज में विरोधी को क्लीन स्वीप कर भारत ने 6 साल बाद आईसीसी की टी20 रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया है। यूएई में खेले गये टी20 विश्वकप 2021 में खराब प्रदर्शन करने के बाद भारत ने रोहित शर्मा की कप्तानी में अगले विश्वकप की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इसको लेकर बीसीसीआई ने पहले टीम मैनेजमेंट में बदलाव करते हुए राहुल द्रविड़ को हेड कोच और रोहित शर्मा को कमान सौंपी और ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाले टी20 विश्वकप में तिरंगा लहराने का लक्ष्य दिया। निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारत के लिये सबसे पहला कदम टीम की कमियों को ढूंढकर उन्हें दूर करने का रास्ता तैयार करना था, जिसका नतीजा वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में भी नजर आया। रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने पहले कीवी टीम को और अब वेस्टइंडीज को 3-0 से क्लीन स्वीप किया और टी20 विश्वकप की तैयारियां करते हुए उन 5 बड़ी परेशानियों का हल ढूंढ निकाला है, जो कि विश्वकप में उस पर भारी पड़ सकती थी।
कैरिबियाई टीम के खिलाफ सीरीज में जिस तरह से भारत ने प्रदर्शन किया उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि वो मजबूती से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। आइये एक नजर उन 5 सकारात्मक पहलुओं पर डालें जो भारत के लिये फायदेमंद साबित होंगे-
टॉप ऑर्डर फ्लॉप होने के बाद भी नहीं बिखरी भारतीय टीम
पिछले कुछ सालों में भारत के मल्टी नेशन टूर्नामेंट के नॉकआउट गेम्स पर नजर डालें तो एक पैटर्न नजर आता है, जहां पर भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर बिखर जाता है और उसके साथ ही भारत मैच हार जाती है। रोहित शर्मा ने कमान संभालने के बाद इस समस्या का जिक्र किया था और कहा था कि हमें खुद को ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिये तैयार करना होगा ताकि आगामी टूर्नामेंट में यह दोबारा देखने को न मिले। वेस्टइंडीज सीरीज में ऐसा लगा जैसे भारतीय टीम ने इसका हल ढूंढ निकाला हो। भारतीय टीम के लिये ईशान किशन इस सीरीज में कुछ खास नहीं कर पाये तो वहीं पर रोहित शर्मा भी एक मैच को छोड़कर बाकी में कुछ खास योगदान नहीं दे सके। ऐसे में फैन्स को लगभग तीनों ही मैच में टॉप ऑर्डर बिखरता नजर आया, हालांकि सीरीज में सबसे अच्छी बात यह रही कि जल्दी विकेट खोने के बावजूद भारतीय टीम बिखरी नहीं और खुद को संभालकर उस स्थिति में पहुंचाया जहां पर उसे जीत हासिल हुई। भारतीय टीम के लिये यह अभ्यास विश्वकप में काफी अहम साबित हो सकता है।
सूर्यकुमार के रूप में मिला भारत को नया फिनिशर
वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई इस सीरीज में सबसे बड़ी परेशानी जो दूर हुई वह थी उसकी फिनिशर की तलाश, भारतीय टीम के लिये 3 मैचों की इस सीरीज में ऋषभ पंत ने भी कुछ अहम पारी खेलकर टीम को मुश्किल से बचाया लेकिन सूर्यकुमार यादव ने जो काम वनडे सीरीज के दौरान किया था उसे टी20 सीरीज में भी दोहराया। पहले वनडे मैच में जहां पर उन्होंने मुश्किल में फंसी भारतीय टीम के लिये अहम साझेदारी कर 6 विकेट से जीत दिलाई तो वहीं पर आखिरी मैच में ताबड़तोड़ अर्धशतक ठोंक उस स्कोर तक पहुंचाया जहां पर गेंदबाज ओस से प्रभावित होने के बावजूद लक्ष्य का बचाव कर सकें। सूर्यकुमार यादव ने 3 मैचों में 53.50 की औसत से 107 रन बनाये और टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी। अगर वो विश्वकप में भी इस रोल को बखूबी निभाते रहे तो टीम का खिताब जीतना दूर नहीं है।
हार्दिक की कमी को पूरा कर रहे हैं वेंकटेश अय्यर
यूएई में खेले गये टी20 विश्वकप में भारत की हार का बड़ा कारण हार्दिक पांड्या का अनफिट होना था। पिछले कुछ सालों में हार्दिक पांड्या ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी में जो काम करके दिखाया था वो अनफिट होने की वजह से इस मल्टी नेशन टूर्नामेंट में नहीं कर सके। विश्वकप के बाद से ही उन्हें फिट होने के लिये आराम दिया गया है लेकिन टीम मैनेजमेंट उनके विकल्प को तैयार करना चाह रहा था। इसी को देखते हुए उसने न्यूजीलैंड सीरीज में वेंकटेश अय्यर को डेब्यू कराया और गेंदबाजी ऑलराउंडर (जो कि फिनिशर की भूमिका निभा सके) के रूप में तैयार किया। अय्यर ने शुरुआती कुछ मैचों में गेंदबाजी नहीं की लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ जब आखिरी मैच में उन्हें बॉलिंग का मौका मिला तो उन्होंने दो विकेट हासिल किये। इतना ही नहीं बल्लेबाजी में तीनों ही पारियों में उन्होंने पांचवे विकेट के लिये अहम साझेदारियां करने में योगदान दिया और 92.00 की औसत से 92 रन बनाये। वेंकटेश अय्यर के जिस तरह से खेल रहे हैं वो भारतीय टीम में हार्दिक की कमी को पूरी कर रहा है और उन्हें विश्वकप जीत में टीम का अहम हिस्सा बना रहा है।
बुमराह की तरह घातक साबित हो रहे हैं हर्षल पटेल
हर्षल पटेल ने पिछले आईपीएल में जिस तरह का प्रदर्शन किया उसके बाद से भारतीय फैन्स की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं और ऐसा लग रहा है कि वो इस टी20 विश्वकप में जसप्रीत बुमराह का साथ निभाने को तैयार हो रहे हैं। हर्षल पटेल की ताकत उनकी स्लो गेंद है, जो कि उनकी हैंड स्पीड से प्रभावित नहीं होती। वह उसी हैंड स्पीड से तेज और स्लो गेंद फेंकते हैं और विपक्षी टीम के खेमे में खलबली मचाते हैं। यही वजह रही है कि उन्होंने 3 मैचों की सीरीज में 5 विकेट हासिल किये और भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वह भारत के लिये टी20 विश्वकप में बुमराह की तरह ही असरदार साबित हो सकते हैं, खास तौर से डेथ ओवर्स में, ऐसे में हर्षल के रूप में भारत को बुमराह का एक नया गेंदबाजी पार्टनर मिल गया है, जो कि यूएई में नजर नहीं आया था।
स्पिन विभाग में रवि बिश्नोई बने टीम की खोज
साउथ अफ्रीका दौरे पर जब भारतीय टीम को शर्मनाक तरीके से हार का सामना करना पड़ा तो वहां पर उसका सबसे बड़ा कारण स्पिन विभाग था जो कि विकेट निकालने में नाकाम रहा था। वेस्टइंडीज के खिलाफ कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल और दीपक हुड्डा ने अपनी स्पिन गेंदबाजी से प्रभावित जरूर किया लेकिन रवि बिश्नोई टीम की खोज साबित हुए हैं। रवि बिश्नोई ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया और 3 मैचों में 6.33 की इकॉनमी से 3 विकेट अपने नाम किये। अगर उन्हें आगे मौका देना जारी रखा जाता है तो वो स्पिन विभाग में भारतीय टीम के लिये काफी अहम बन सकते हैं।