इंसानियत की भी मौत : महिला की अर्थी को 'अपनों' ने नहीं दिया कंधा, 21 घंटे तक रोते रहे पति व दो बेटियां
पाली, 9 अगस्त। राजस्थान के पाली जिले के बाली में सादड़ी थाना क्षेत्र के मूंडारा गांव में हर किसी को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला की मौत के बाद जो कुछ हुआ उसे देखकर तो यही लग रहा कि महिला के साथ-साथ परिवार, समाज और इंसानियत की भी मौत हो गई।
दरअसल, यहां पर एक महिला को विधवा विवाह की सजा उसकी मौत के बाद भी मिली। दस साल पहले खाप पंचायत के तुगलगी फरफान के डर की वजह से महिला की मौत पर उसका अंतिम संस्कार करने के लिए न ससुराल वाले आए और ना ही पीहर वाले। पति व दो बेटियां उसके शव के पास 21 घंटे तक बैठे-बैठे रोते रहे। बाद में शाम को एक सामाजिक संगठन की मदद से महिला के शव का अंतिम संस्कार हो सका।
बता दें कि मूंडारा गांव के कसनाराम ने साल 2012 में विधवा महिला कन्या देवी से शादी की थी। पहले कन्या देवी की शादी बाली उपखंड के टिपरी निवासी एक युवक से हुई थी। जिसकी मौत हो गई थी तो उसने दूसरी शादी कसनाराम से की थी। इस पर खाप पंचायत ने इनके परिवार को समाज से बाहर कर दिया। इसके बाद से कसनाराम दूसरे गांव डूंगरली में रहने लगा। चाय की थड़ी लगाकर परिवार पाल रहा था। इनके दो बेटी रवीना (8), काजल (2) हैं।
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मृतका कन्यादेवी के ससुर डुगरली से मात्र 3 किलोमीटर दूर रहते हैं। उसका पीहर भी मात्र 6 किलोमीटर दूर गुड़ा कल्याण सिंह में है। कसनाराम ने दोनों जगह कन्यादेवी की मौत की सूचना दी, लेकिन अंतिम संस्कार में कोई नहीं आया। खाप पंचायत के डर से रिश्तेदार-पड़ोसी कोई नहीं आया।
शाम तक जब कोई नहीं आया तो थक हारकर कसनाराम ने सादडी ईगल रेस्क्यू टीम के संयोजक जितेंद्र सिंह राठौड़ को सूचना दी। वे सोमवार शाम छह बजे अपनी टीम के साथ पहुंचे और एंबुलेंस में कन्यादेवी का शव ले जाकर अंतिम संस्कार किया। श्मशान घाट पर जितेंद्र सिंह की बेटी जीविका और कसनाराम की बड़ी बेटी रवीना ने चिता को मुखाग्नि दी।