VIDEO: बोले हनुमान बेनीवाल, हम 36 कौम के लिए लड़ रहे हैं इसलिए गप्पू और पप्पू की पार्टी में नहीं गया
जयपुर/अजमेर। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संस्थापक एवं संयोजक हनुमान बेनीवाल ने गुरुवार को सूबे के कई स्थानों पर सभाएं कीं। वह जयपुर में आसींद और शाहपुरा गए, जिसके बाद अजमेर में मसूदा प्रवास पहुंचे। अजमेर में उन्होंने भाजपा व कांग्रेस सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए तीसरे विकल्प को मौका देने का आह्वान किया। बेनीवाल ने कहा, ''गप्पू और पप्पू की पार्टी को जॉईन करने की बजाय मैंने तीसरा मोर्चा बनाया। आमजन के भरोसे की बदौलत अब हम राजस्थान में इतिहास रच देंगे। केवल जाट समाज के नहीं बल्कि हम 36 कौम के लिए लड़ रहे हैं।''
'अकेला राजस्थान के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा'
हनुमान बेनीवाल ने आसींद विधानसभा क्षेत्र से रालोपा प्रत्याशी मनसुखसिंह गुर्जर के समर्थन में भी सभा की। इस सभा में उन्होंने कहा कि अकेला व्यक्ति राजस्थान के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। मेरी लड़ाई को कमजोर नहीं करना।'
'गुर्जर व जाट दोनों में खून का रिश्ता है'
बेनीवाल ने जाट गुर्जरों के वोट हासिल करने के लिए दोनों में खून का रिश्ता बताया। उन्होंने कहा कि जाट और गुर्जर कोई बात को पकड़ लेता है तो वह उसे छोड़ता नहीं है। दोनों सरकारों ने जाट व गुर्जर सेना के रेजीमेंट को पीछे रखा है। गुर्जर व जाट दोनों में खून का रिश्ता है, हमें सोच समझकर साथ चलना है।
कौन हैं हनुमान बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल राजस्थान में जाट बहुल खींवसर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी रहे हैं। वह 2013 में यहां से विधायक बने। इस बार उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी और मोती डूंगरी के गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद की थी। रैलियों के लिए हेलीकॉप्टर से आते-जाते हैं।
अक्टूबर में किया नए दल के साथ उतरने का एलान
छात्रनेता से राजनेता बने विधायक हनुमान बेनीवाल ने बीते अक्टूबर में ही नई पार्टी बनाने का ऐलान किया। अपनी इस पार्टी के लिए उन्होंने भाजपा से बगावत कर खुद की पार्टी बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी को साथ लिया। जिसके बाद से ही राजनीतिक हलकों में अब प्रदेश में तीसरे मोर्चे की मजबूती की संभावनाओं की चर्चाएं शुरू हो गईं।
वरिष्ठ पत्रकार हरीष के अनुसार, 'निसंदेह वसुंधरा और गहलोत राजस्थान में दो बहुत बड़े चेहरे हैं, अपने दलों के लिए ब्रांड हैं। मगर, इस एक निर्दलीय विधायक ने अपने दम पर राजधानी में जो शक्ति परीक्षण किया उसके बाद यह तो लग ही गया कि घनश्याम-हनुमान की यह जोड़ी मजबूती से मैदान में डटी रही तो प्रदेश के 2 प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस व भाजपा की हवा खराब कर सकती है।''
फेसबुक पर हैं 4 लाख फॉलोअर्स
हनुमान बेनीवाल का फेसबुक पर आॅफिशियल पेज भी है, जिसे 3.9 लाख लोग फॉलो करते हैं। अपनी सभी रैली और शिष्टाचार भरी भेंट के फोटो वे उसी पर पोस्ट कराते रहते हैं।
वसुंधरा को सांपनाथ तो गहलोत को नागनाथ कहते हैं
बेनीवाल मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा को सांपनाथ तो पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत को नागनाथ कहते हैं। हाल ही उन्होने ये भी कह दिया था कि वसुंधरा मोदी और अमित शाह के बिल में छिपी हुई है।
कहां-कहां है बेनीवाल का प्रभाव?
प्रदेश की राजनीति में बड़ी भागीदारी रखने वाला जाट समुदाय नागौर, सीकर, बीकानेर सहित शेखावटी के झुंझुनूं में फैला है। बेनीवाल का इन जिलों में अच्छा प्रभाव है। उन्हें क्षेत्रीय नेताओं जैसे पंचायत समिति के नारायणलाल गुर्जर, देवसेना के जिलाध्यक्ष लादूलाल गुर्जर, भंवर बागरिया, हरफूल, महावीर टोकरवाड़, महावीर स्वामी, जमनालाल आदि का सीधा समर्थन है। इन लोगों का मानना है कि 35 से 40 की संख्या में भी हम आ जाएं तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों लटक जाएगी और वापस चुनाव होंगे।
'आने वाली सरकार में होगी अहम भूमिका'
वरिष्ठ
पत्रकार
सीपी
सैन
के
मुताबिक,
हनुमान
बेनीवाल
से
सर्वाधिक
नुकसान
कांग्रेस
को
होगा।
वह
ऐसी
जगह
से
चुनाव
लड़
रहे
हैं,
जहां
उनके
जीतने
के
पूरे
आसार
हैं।
साथ
ही
समाज
का
विशेष
और
युवा
वर्ग
उनके
साथ
है।
लगभग
40
सीटों
पर
उनकी
सीधी
टक्कर
है।
आने
वाली
सरकार
में
वह
विशेष
योगदान
दे
सकते
हैं।''
'वैसे,
राजस्थान
में
तीसरा
मोर्चा
तब
ही
सफल
हो
सकेगा
जब
चुनाव
पूर्व
कोई
मजबूत
गठबंधन
हो।
आम
तौर
पर
ऐसे
गठबंधन
हो
तो
जाते
हैं
लेकिन
क्षेत्रवाद
व
जातिवाद
की
सीमाओं
में
बंधकर
रह
जाते
हैं।
अब
ये
दोनों
दल
नए
हैं,
लिहाजा
इनके
पास
खोने
को
बहुत
कुछ
है
भी
नहीं।
यदि
इस
बार
हनुमान
बेनीवाल
राजस्थान
में
20-25
सीटें
भी
कब्जा
लें
तो
भी
कांग्रेस
और
बीजेपी
का
गणित
बिगाड़
सकते
हैं।
वैसे,
बेनीवाल
का
दावा
है
कि
वे
57
नहीं
तो
कम
से
कम
35
सीटों
पर
तो
फतेह
पा
ही
सकते
हैं।
लोगों
की
इस
बात
पर
भी
नजर
जरूर
रहेगी
कि
वर्ष
2013
की
तुलना
में
इस
बार
ये
गठबंधन
किसे
और
कितनी
चुनौती
दे
पाएंगे?
भाजपा की B-टीम और सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के आरोप
25 नवंबर को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और विधायक हनुमान बेनीवाल पर भाजपा की बी टीम की तरह काम करने और 200 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के आरोप अन्य नेताओं ने लगाए थे। इस पर बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने दम पर हैं। कम उम्मीदार उतारे जाने पर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में 68 उम्मीदवारों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में रायशुमारी, पार्टी के सदस्यों की सलाह व निजी सर्वे के आधार पर उतारा गया है। नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तक 57 उम्मीदवार मैदान में रहे, जिन 11 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हुए या फिर किसी ने वापस लिया वो लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं हैं। हमारे सभी प्रत्याशी जीते तो बड़े-बड़े लुढक जाएंगे।''
भाजपा की B-टीम और सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के आरोप
25 नवंबर को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और विधायक हनुमान बेनीवाल पर भाजपा की बी टीम की तरह काम करने और 200 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के आरोप अन्य नेताओं ने लगाए थे। इस पर बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने दम पर हैं।
'जीते तो बड़े-बड़े लुढक जाएंगे'
कम उम्मीदार उतारे जाने पर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में 68 उम्मीदवारों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में रायशुमारी, पार्टी के सदस्यों की सलाह व निजी सर्वे के आधार पर उतारा गया है। नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तक 57 उम्मीदवार मैदान में रहे, जिन 11 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हुए या फिर किसी ने वापस लिया वो लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं हैं। हमारे सभी प्रत्याशी जीते तो बड़े-बड़े लुढक जाएंगे।''
'भाजपा को पहुंचेगा बेनीवाल से नुकसान'
8 राज्यों में काम कर चुके जर्नलिस्ट संतोष कुमार पांडे कहते हैं, बेनीवाल राजस्थान में केजरीवाल जैसा नहीं कर पाएंगे। हां, शेखावटी इलाके में कम से कम 10 सीटों पर इनका प्रभाव रहेगा। संभवत 5 से अधिक सीटें जाट बाहुल्य इलाके में निकल सकती हैं। अरविंद केजरीवाल की तरह नहीं, मगर एक नया विकल्प बन सकते हैं।'
राहुल गांधी के खिलाफ राजस्थान में कांग्रेसियों ने ही लगा दिए 'राहुल गांधी हाय-हाय' के नारे
केजरीवाल
ने
जो
कर
दिखाया,
बेनीवाल
को
कुछ
वैसी
ही
उम्मीदें
रालोपा
के
सोशल
मीडिया
हैंडलर्स
दावा
करते
हैं
कि
इस
बार
बेनीवाल
तीसरे
मोर्चे
के
रूप
में
आ
उभरे
हैं।
यदि
हनुमान
बेनीवाल
को
यहां
के
लोग
यदि
दिल्ली
में
केजरीवाल
जैसे
उदय
के
रूप
में
देखें
तो
बेशक
वे
कांग्रेस
भाजपा
को
सत्ता
से
धकेल
सकते
हैं।
कुछ
ऐसे
ही
जैसे
आम
आदमी
पार्टी
आज
भले
ही
पुराने
स्वरूप
में
पूरी
तरह
नहीं
है,
फिर
भी
इस
पार्टी
की
जो
छवि
बनी
थी,
वही
दिल्ली
के
लोगों
को
भा
गई
थी।
फिर
क्या
था
आप
ने
दिल्ली
में
ऐतिहासिक
जीत
दर्ज
की
थी।
उसी
तरह
यदि
बेनीवाल
राजस्थान
में
केजरी
जैसे
उभरते
हैं
तो
जो
57
प्रत्याशी
उनके
दल
से
खड़े
हुए
हैं,
वे
सभी
भी
जीते
तो
दोनों
बड़े
दलों
की
आफत
आ
जाएगी।
बहरहाल,
अपने
चुनाव
चिन्ह
जनता
के
बीच
ले
जाना
भी
आसान
काम
नहीं
है।
राज्य
में
मतदान
7
दिसंबर
को
होगा।
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