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राजस्थान में चूरू में ही क्यों रहता है सबसे गर्म स्थान?, जानिए वजह

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चूरू। राजस्थान का चूरू तप रहा है। यहां आसमां से अंगारे बरस रहे हैं। मौसम केन्द्र में तापमापी का पारा भी नित नए रिकॉर्ड बना रहा है। भीषण गर्मी के चलते सड़कों पर पानी छिड़काव तक करना पड़ रहा है। 26 मई को तो चूरू 50 डिग्री तापमान के साथ दुनिया की सबसे गर्म स्थान रहा है।

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Churu में इस वजह से पड़ती है भीषण गर्मी, पारा पहुंच जाता है 50 डिग्री तक | वनइंडिया हिंदी
Churu the worlds hottest city with 50 degree temperature

पूरे राजस्थान में 33 जिले हैं। चूरू समेत आधा दर्जन जिलों में धोरों हैं। इनकी आबो हवा एक जैसी है। फिर भी चूरू में सबसे अधिक गर्मी और सर्दी पड़ती है। सर्दियों में यहां खून जमा देने वाली सर्दी का सामना करना पड़ता है, वहीं गर्मियों तन झुलसा देने वाली गर्मी से सामना होता है। गर्म हवाओं के थपेड़े भी सहने पड़ते हैं। आखिर चूरू में ऐसा क्या है, जो इसे मौसम के लिहाज अन्य जिलों की तुलना में अलग स्थान दिलाता है। वन इंडिया हिंदी ने मौसम वैज्ञानिक, भूगोल के जानकारों और चूरू के वृद्धजनों से बात करके जाना चूरू के मौसम का मिजाज इतना गर्म क्यों है।

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जल्दी गर्म होती है चूरू की ​मिट्टी

जल्दी गर्म होती है चूरू की ​मिट्टी

चूरू स्थित मौसम केन्द्र में 35 साल तक नौकरी कर चुके मौसम ​वैज्ञानिक जिलेसिंह राव बताते हैं कि चूरू में ज्यादा गर्मी पड़ने की कई वजह हैं। चूरू की ​मिट्टी में कण बेहद सूक्ष्म हैं, जिनकी स्पेसिफिक हीट कैपेसिटी कम है। इसी वजह से चूरू की ​मिट्टी अन्य जगहों की ​तुलना में जल्दी गर्म हो जाती है। चूरू में पेड़-पौधे कम हैं। वनस्पति का कम होना भी यहां सर्वाधिक गर्मी की एक वजह है। भूगर्भ में पानी और हवा में नमी की कमी भी चूरू में अधिक गर्मी पड़ने के कारणों को बढ़ाती है। पश्चिम की ओर से चूरू में तीन किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार से गर्म हवाएं भी चलती हैं।

चूरू के भूगोल में छिपी गर्मी की केमिस्ट्री

चूरू के भूगोल में छिपी गर्मी की केमिस्ट्री

चूरू के ​लोहिया महाविद्यालय के सह आचार्य डॉ. रविन्द्र कुमार बुडानिया बताते हैं कि चूरू के मौसम की सारी केमिस्ट्री यहां के भूगोल में छिपी है। यूं तो राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर समेत कई जिलों की भौगोलिग स्थिति चूरू जिले के समान है, मगर कुछ मामलों में चूरू उन जिलों से अलग है। इसी वजह से यहां मौसम की मार अधिक है। चूरू की बालू मिट्टी के बारिक कण आपस में पूरी तरह से जुड़े हुए हैं, जो सूर्य के ताप को ज्यादा गहराई तक जाने से रोकते हैं। ऐसे में चूरू के धरातल का ऊपरी भाग बेहद गर्म हो जाता है।

सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं

सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं

चूरू में वनस्पति कम है। ना ही यहां नदी बहती है और ना कोई बांध बना हुआ है। चूरू की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं, इसी वजह से चूरू गर्मियों में धधक उठता है। सूरज की किरणें यूं तो मरुस्थलीय जिले जैसलमेर, बाड़मेर में भी इसी तरह से गिरती हैं, मगर वहां बालू के टीले (धोरे) अधिक हैं और उनकी बनावट चूरू ​के टीलों से अलग है।

 घटती वनस्पति भी जिम्मेदार

घटती वनस्पति भी जिम्मेदार

वरिष्ठ पत्रकार माधव शर्मा के अनुसार उत्तर भारत में हिमालय से अरावली पर्वत श्रृंखलाओं तक मौसम की पट्टी बनी हुई है, जिसमें राजस्थान के चूरू, झुंझुनूं, सीकर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर व जैसलमेर व इनके आस-पास का क्षेत्र आता है। इस पूरे क्षेत्र में सर्वाधिक गर्म हवाएं चलती हैं। चूरू में वनस्पति का घटना यहां के तापमान को बढ़ा रहा है। शर्मा कहते हैं कि चूरू शहर के बाजार में आपको गर्मी कम महसूस होगी, मगर बाजार की बजाय पंखा सर्किल की तरफ जाने पर गर्मी अधिक लगेगी। इसी तरह से चूरू का मौसम ​केन्द्र कलेक्ट्रेट के पास जहां स्थित है, वहां पेड़-पौधे अधिक हैं।

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English summary
Churu the world's hottest city with 50 degree temperature
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