छत्तीसगढ़ में भाजपा ने किया बड़ा फेरबदल, नारायण चंदेल को बनाया नेता प्रतिपक्ष ,जानिए 4 प्रमुख कारण
छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष को बदल दिया है। बुधवार को रायपुर में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धरमलाल कौशिक के स्थान पर नारायण चंदेल को भाजपा विधायक दल का नेता च
रायपुर, 17 अगस्त। छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष को बदल दिया है। बुधवार को रायपुर में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धरमलाल कौशिक के स्थान पर नारायण चंदेल को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। हाल ही में छत्तीसगढ़ में बिलासपुर सांसद अरुण साव को विष्णुदेव साय के स्थान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इसी के साथ यह तय हो गया था कि मिशन 2023 के मद्देनजर नेता प्रतिपक्ष भी बदला जा सकता है।
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बुधवार को राजधानी रायपुर स्थित बीजेपी कार्यालय में भाजपा विधायक दल की बैठक आयोजित की गई । इस बैठक में भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी, सह प्रभारी नितिन नबी के अलावा अजय जामवाल भी मौजूद रहें। इस बैठक में भाजपा के सभी विधायक मौजूद रहें। इस बैठक में राष्ट्रीय नेताओं ने अपना फैसला सुनाते हुए धरमलाल कौशिक के स्थान पर वरिष्ठ विधायक नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने की सूचना दी।
जिसके बाद भाजपा विधायक दल ने औपचारिक तौर पर नारायण चंदेल को विधायक दल का नेता चुन लिया। दरअसल भाजपा ने छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। कार्यकर्ताओं में नई जान फूंककर सत्ता में वापसी करने के लिए भाजपा नेतृत्व ने टीम बदली है।
ओबीसी फैक्टर ने दिया साथ
नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में भाजपा के कई विधायकों के नाम चर्चाओं में थे,कई वरिष्ठ नेताओं को उम्मीद थी कि यह मौका उन्हें मिल सकता है। धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष के पद से मुक्त किये जाने के बाद किसे यह जिम्मेदारी जी जाएगी,इस बात को लेकर चर्चाएं ज़ोरो पर थी। माना जा रहा था कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल , जांजगीर चांपा विधायक नारायण चंदेल या भांटापारा विधायक शिवरतन शर्मा को अगला नेता प्रतिपक्ष चुना जा सकता है।
बहराहल नारायण चंदेल के नाम पर मुहर लग चुकी है। दरअसल अजय चंद्राकर को हाल ही में पार्टी ने मुख्य प्रवक्ता बनाया है,शिवरतन शर्मा सामान्य वर्ग से आते हैं,इसलिए ओबीसी फैक्टर को पूरा नहीं कर पाते, रमन सिंह पहले से ही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और बृजमोहन अग्रवाल संगठन की नजर में कई पैमानों पर खरे नहीं उतरते। लिहाजा चंदेल को मौका देकर कई समीकरण एक साथ बिठाये गए हैं। यह भी जानना जरुरी है कि छत्तीसगढ़ में 47 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी है । अरुण साव और नारायण चंदेल को मौका देकर पार्टी ने ओबीसी कार्ड खेला है।
संघ की पसंद रहे हैं चंदेल
आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ओबीसी वर्ग के नेता हैं। उनके कमान संभालने के बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का बदला जाना भी तय माना जा रहा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को आदिवासी आयोग का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। युवा मोर्चा समेत अन्य संगठनों में भी बदलाव सम्भव है ।दरअसल बीते लम्बे समय से इस बात लगाए जा रहे थे कि छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले भाजपा जरूरी बदलाव करेगी,क्योंकि पार्टी के भीतर कई सालों से पद पर जमे नेताओं के खिलाफ असंतोष जमकर दिखने लगा था।
बिलासपुर संभाग पर ज़ोर
विधानसभा की सीटों का गणिंत देखा जाये ,तो बिलासपुर संभाग की 24 सीटें है। इसी संभाग में भाजपा थोड़ी मजबूत भी नजर आती है। इसलिए संगठन के नेता बिलासपुर संभाग को ज्यादा महत्त्व देना चाहते थे । सियासी के जानकारों की राय है कि बिलासपुर के नेताओं को मौका देकर पार्टी 24 सीटों समेत साहू और कुर्मी वोट बैंक को साध सकेगी। भाजपा संगठन ने पहले बिलासपुर के सांसद अरुण सांव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, अब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नारायण चंदेल को सौंपकर कुर्मी वोटों को साधने की जुगत में हैं । बिलासपुर संभाग में सबसे अधिक विधानसभा सीटें हैं, इसलिए यह भी एक बड़ी वजह हो सकती है ।
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