5 साल में 11 गुना बढ़ी जीतन राम मांझी की संपत्ति
पटना (मुकुंद सिंह)। बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद जीतन राम मांझी का राजनीतिक रुतबा बढ़ने के साथ उनकी आर्थिक संपन्नता भी काफी तेजी से बढ़ी है। पिछले पांच साल में जीतनराम मांझी की संपत्ति 11 गुना बढ़ गई है।
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जीतनराम मांझी का रुतबा जिस तरह तेजी से आगे बढ़ रहा है उसी रफ्तार से मांझी अमीरी की पायदान पर आगे बढ़ रहे हैं। सीएम बनने के बाद जीतनराम मांझी का राजनीतिक ग्रॉफ तेजी से ऊपर चढ़ा है तो आमदनी का ग्रॉफ भी ऊपर चढ़ा है। सीएम बनने से पहले और सीएम बनने के बाद 5 साल के अंदर मांझी ने लगभग 11 गुना यानी 5 लाख से सीधे 53 लाख की संपत्ति के मालिक बन गए हैं।
मांझी कांग्रेस, जनता पार्टी, आरजेडी और जेडीयू के रास्ते अब खुद एक पार्टी के सारथी बन गए हैं। मंत्री से सीएम बनने और फिर सीएम से हटने तक का सफर भी काफी रोमांचक रहा है, लेकिन एक हलफनामे ने सभी को चौंका दिया है। यह हलफनामा मखदूमपुर सीट से नामांकन के दौरान दाखिल किया गया है।
संपत्ति जुड़े रोचक तथ्य-
-
2010
में
मांझी
की
संपत्ति
5
लाख
की
थी,
जबकि
2015
में
उनके
पास
53
लाख
रुपए
की
संपत्ति
है।
-
2010
के
हलफनामे
में
मांझी
के
पास
केवल
5
लाख
रुपए
की
संपत्ति
थी।
-
2010
में
50
हजार
कैश
था,
जबकि
2015
में
2
लाख
50
हजार
हो
गया।
-
2010
में
1
लाख
64
हजार
था,
जबकि
2015
में
32
लाख
46
हजार
हो
गया।
-
2010
में
एक
एंबेसेडर
थी,
2015
में
एंबेसेडर
और
स्कॉर्पियो
है।
-
2010
में
मांझी
के
पास
खुद
का
घर
नहीं
था,
2015
में
एक
शानदार
घर
है,
जिसकी
कीमत
करोड़
में
है।
-
2010
में
मांझी
की
पत्नी
के
पास
एक
भी
रुपया
नहीं
था,
2015
में
50
हजार
कैश
है।
-
2010
में
मांझी
की
पत्नी
के
पास
1
लाख
के
जेवर
थे,
2015
में
2
लाख
90
हजार
के
जेवर
हैं।
-
2010
में
मांझी
की
पत्नी
के
पास
बैंक
में
एक
भी
रुपया
जमा
नहीं
था,
2015
में
8
लाख
87
हजार
हैं।
- मांझी ने ये सारी संपत्ति मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बनायी है।
नीतीश कुमार ने लोकसभा में हार के बाद जीतनराम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था। मांझी 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे यानी सिर्फ साढे़ नौ महीने की अवधि में संपत्ति में बेताहाशा बढ़ोतरी हुई है। ये सिर्फ वो संपत्ति हैं जो सीधे तौर पर छुपाए नहीं जा सकती है। वो संपत्ति जो मांझी ने अपने रिश्तेदारों के नाम से खरीदी है, वह इसमें शामिल नहीं है।
अब सवाल ये उठता है कि पिछले पांच साल में जीतनराम मांझी ने क्या ऐसा कारोबार किया जिसमें 11 गुना मुनाफा हो गया है या फिर राजनीति को ही कारोबार बना लिया?