डॉलर के सामने धड़ाम हुआ पाकिस्तानी रुपया, 200 के स्तर पर पहुंचा, सरकार के पसीने छूटे
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया खुले बाजार में 200 के निचले स्तर को छू गया। रिपोर्ट के मुताबिक तेल के बढ़ते इम्पोर्ट और सउदी अरब के पैकेज को लेकर अनिश्चितता के वजह से पाकिस्तानी रुपये पर दबाव बढ़ गया है।
इस्लामाबाद, 18 मईः भारतीय रुपया लगातार डॉलर के मुक़ाबले गिर रहा है लेकिन इससे कहीं ज्यादा बुरा हाल पाकिस्तानी रुपये का है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गयी है। बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया खुले बाजार में 200 के निचले स्तर को छू गया। रिपोर्ट के मुताबिक तेल के बढ़ते इम्पोर्ट और सउदी अरब के पैकेज को लेकर अनिश्चितता के वजह से पाकिस्तानी रुपये पर दबाव बढ़ गया है। इसके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही कमी की वजह से भी पाकिस्तानी रुपये में यह गिरावट देखी जा रही है।
आनेवाले दिनों में बढ़ सकती हैं मुश्किलें
बीते
वित्त
वर्ष
की
तुलना
में
इस
वित्त
वर्ष
में
डॉलर
के
मुक़ाबले
पाकिस्तान
रुपये
में
24.24
प्रतिशत
की
गिरावट
हुई
है।
10
अप्रैल
को
जब
अविश्वास
प्रस्ताव
के
द्वारा
इमरान
ख़ान
सरकार
को
हटाया
गया
था
तब
उस
समय
पाकिस्तानी
रुपये
की
कीमत
डॉलर
के
मुकाबले
182.93
रुपये
थी।
विश्लेषकों
का
कहना
है
कि
अगर
सरकार
देश
में
आर्थिक
और
राजनीतिक
स्थिरता
लाने
के
लिए
तत्काल
कोई
कार्रवाई
नहीं
करती
है
तो
आने
वाले
दिनों
में
इंटरबैंकिंग
बाजार
में
पाकिस्तानी
रुपया
जल्द
ही
200
को
पार
कर
चुका
होगा।
पाकिस्तान में आमलोगों की बढ़ी दिक्कतें
देश
में
लगातार
बढ़ते
संकट
और
आवश्यक
वस्तुओं
कीमतों
में
वृद्धि
ने
राजनेताओं
के
अलावा,
ट्रेडर्स,
किसानों,
व्यापारियों
सहित
आमलोगों
की
चिंताओं
को
बढ़ा
दिया
है।
निवेशक
चिंतित
हैं
क्योंकि
बाजार
में
अटकलें
हैं
कि
अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा
कोष
सरकार
की
अनिच्छा
के
बाद
ऋण
कार्यक्रम
को
फिर
से
शुरू
करने
के
लिए
सहमत
नहीं
हो
सकता
है।
बाजार
को
पीएम
शाहबाज
शरीफ
औऱ
उनके
गठबंधन
सहयोगियों
के
बीच
हुई
बैठकों
के
नतीजे
का
भी
इंतजार
है।
पाकिस्तान के विकास में सब्सिडी बाधक
गिरती
मुद्रा
का
सबसे
बड़ा
असर
यह
है
कि
आयात
अधिक
महंगा
हो
जाता
है
और
निर्यात
सस्ता
हो
जाता
है।
इसकी
वजह
ये
है
कि
पहले
की
तुलना
में
आयात
की
वस्तुओं
का
भुगतान
करने
में
अधिक
मुद्रा
देने
पड़ते
हैं
और
निर्यात
की
वस्तुओं
का
भुगतान
करने
के
लिए
खरीददार
को
कम
डॉलर
लगते
हैं।
पाकिस्तान
में
तेल
और
बिजली
पर
सब्सिडी
दी
जा
रही
है
और
विश्लेषकों
का
मानना
है
कि
सरकार
जब
तक
सब्सिडी
नहीं
हटाती
है
तब
तक
पाकिस्तानी
रुपये
गिरता
रहेगा।
इमरान खान ने तोड़ा समझौता
बतादें
कि
पाकिस्तान
के
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
इमरान
खान
ने
मई
2019
में
आईएमएफ
के
एक
बैलआउट
पैकेज
पर
हस्ताक्षर
किए
थे
जिसके
तहत
पाकिस्तान
को
छह
अरब
डॉलर
की
आर्थिक
सहायता
दी
जानी
थी।
लेकिन
आईएमएफ
ने
इसमें
कई
कड़ी
शर्तें
रखी
थीं।
इसके
तहत
सब्सिडी
को
समाप्त
करने
सहित
राजस्व
और
टैक्स
कलेक्शन
को
बेहतर
बनाना
था।
इस
समझौते
के
तहत
पाकिस्तान
को
39
महीनों
में
लगभग
6
बिलियन
डॉलर
मिलने
थे।
पाकिस्तान सरकार आईएमएफ से करेगी बातचीत
लेकिन
समझौते
के
बावजूद
पाकिस्तान
की
पिछली
इमरान
खान
सरकार
ने
जनता
के
गुस्से
को
दबाने
के
लिए
सब्सिडी
देना
शुरू
कर
दिया,
जिससे
आईएमएफ
की
शर्तों
का
उल्लंघन
हुआ
और
फिर
आईएमएफ
ने
पाकिस्तान
को
लोन
देना
बंद
कर
दिया,
जिसे
इमरान
खान
ने
अमेरिका
की
साजिश
बता
दिया।
अब
इस
ज़रूरी
फंड
को
जारी
करने
के
लिए
पाकिस्तान
के
अधिकारी
आज
आईएमएफ
के
साथ
बातचीत
शुरू
करने
जा
रहे
हैं।
यह
बातचीत
कतर
की
राजधानी
दोहा
में
शुरू
होगी।
मंडरा रहा डिफॉल्टर होने का खतरा
बतादें
कि
पाकिस्तान
को
वित्तीय
वर्ष
2023
तक
पाकिस्तान
को
20
अरब
डॉलर
का
विदेशी
कर्ज
चुकाना
है,
जिसमें
4.5
अरब
डॉलर
का
कर्ज
चीन
और
संयुक्त
अरब
अमीरात
के
द्वारा
रोलओवर
किया
जा
चुका
है।
वहीं,
इस
साल
फरवरी
महीने
तक,
पाकिस्तान
के
पास
आधिकारिक
तौर
पर
21.6
अरब
डॉलर
का
विदेशी
मुद्रा
भंडार
बचा
था,
लेकिन,
पाकिस्तान
के
पास
जो
विदेशी
मुद्रा
भंडार
बचा
भी
है,
उसमें
से
ज्यादातर
धनराशि
तक
उसकी
पहुंच
ही
नहीं
है,
लिहाजा
पाकिस्तान
पर
लगातार
डिफॉल्टर
होने
का
खतरा
मंडरा
रहा
है।