बिटकॉइन के जरिए कश्मीर में आतंकियों को पेमेंट कर रहा पाकिस्तान, कई ठिकानों पर SIA की छापेमारी
नई दिल्ली, 07 अगस्तः जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने पहली बार बिटकॉइन के जरिए आतंकवाद को फंडिंग करने की पाकिस्तानी चाल का पता लगाया है। जांच एजेंसी का कहना है कि पाकिस्तानी मास्टर माइंड बड़े पैमाने पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मीर में अपने एजेंटों के जरिए बिटकॉइन के जरिए पेमेंट कर रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने जम्मू-कश्मीर के मेंढर, पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में 2 महिलाओं सहित 7 लोगों के घरों पर छापेमारी की। एसआईए ने छापों के दौरान डिजिटल उपकरणों, सिम कार्ड, मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त किए हैं। पुलिस के मुताबिक, जिन घरों पर छापामारी की गई, उनमें कुपवाड़ा की जाहिदा बानो, गुलाम मुजाताबा दीदाद और तमजीदा बेगम, बारामूला के यासिर मीर, मोहम्मद सैयद मसूदी, पुंछ के फारूक अहमद और इमरान चौधरी हैं।
नए तरीके अपना रहा पाकिस्तान
एसआईए के मुताबिक, भारत में आतंकियों के अर्थतंत्र के सभी रास्ते बंद होने के बाद पाकिस्तान अब नए हथकंडे अपना रहा है। फंड भेजने वाले पाकिस्तानी मास्टरमाइंड की पहचान कर ली गई है। उसकी पहचान गोपनीय रखी गई है, ताकि ग्राउंड नेटवर्क ध्वस्त किया जा सके। जांच बताती है कि पाकिस्तान या अन्य देशों के क्रिप्टो खातों से बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरंसी जम्मू-कश्मीर में मौजूद हैंडलरों को ट्रांसफर की जाती है। हैंडलर अपने बैंक खातों से क्रिप्टो कैश करते हैं और पैसा आतंकियों को दे देते हैं।
आतंकी घटनाओं में आई कमी
इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने धारा 370 के निरस्तीकरण के पहले और बाद के 3 साल की घटनाओं की तुलना करते हुए अपनी रिपोर्ट दी है। पुलिस ने इन मामलों को छह कैटेगरी में बांटा है। इनमें 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच में लॉ एंड ऑर्डर की घटनाएं 3686 हुई थीं, जबकि बीते 3 साल यानी कि 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच में यह आंकड़ा घटकर 438 रह गया। इसके अलावा लॉ एंड ऑर्डर की घटनाओं में 370 हटाए जाने से 3 साल पहले 124 नागरिकों की मौत हुई थी, जो स्पेशल स्टेटस हटाए जाने के बाद शून्य हो गईं।
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इसके अलावा ऐसी घटनाओं में छह जवान भी शहीद हुए थे, लेकिन 2019 के बाद किसी भी जवान की मौत नहीं हुई है। कश्मीर में आतंकी घटनाओं की बात करें तो 5 अगस्त, 2016 से 4 अगस्त, 2019 के बीच कुल 930 घटनाएं हुई थीं, जो 370 हटाए जाने के बाद घटकर 617 हो गईं। इन आतंकी घटनाओं में 370 लागू रहने से पहले 290 जवान शहीद हुए थे और 191 नागरिक मारे गए थे, धारा 370 हटाए जाने के 3 साल बाद 174 जवान शहीद हुए और 110 लोग मारे गए हैं।