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शिवा शुक्ला एंटरटेनमेंट की दुनिया में कर रहे प्रदेश का नाम रोशन, पहले उड़ाया जाता था मज़ाक

एक छोटे गांव से मुबंई जैसे शहर का रास्ता कितना मुश्किल भरा हो सकता है, ये आप अंदाजा नहीं लगा सकते।

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मुम्बई, 4 मई 2022। एक छोटे गांव से मुबंई जैसे शहर का रास्ता कितना मुश्किल भरा हो सकता है, ये आप अंदाजा नहीं लगा सकते। शिवा शुक्ला महानगरी मुम्बई तो पहुंच गए थे लेकिन उन्हें पता नहीं कि वह कहां रहेंगे, क्या खाएंगे और कैसा काम करेंगे ? आमतौर पर महानगर में ज़िंदगी गुजारने का बजट आम बजट से कहीं ज्यादा होता है। शिवा के इरादे मज़बूत और हौसले बुलंद थे, उन्हें जुनून था, कि अपने ख़्वाब को सच कर दिखाना है। किसी भी हाल में सपने को साकार करना ही है।

छोटे गांव से मुबंई जैसे शहर का सफ़र

छोटे गांव से मुबंई जैसे शहर का सफ़र

उत्तरप्रदेश के सबसे छोटे जिले औरैया के कस्बा फफूंद के रहने वाले शिवा शुक्ला ने जब अभिनेता बनने की इच्छा व्यक्त की तो आसपास के सभी लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। शिवा ने वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में बताया कि बचपने में एक वक्त ऐसा भी था जब उनके घर पर टीवी भी नहीं था। वह अपने दोस्त के घर पर एक ब्लैक एंड व्हाइट सेट पर धारावाहिक देखने जाते थे। जब वह लोगों से कहते थे कि एक दिन उन्हें एक ही स्क्रीन पर देखने को मिलेगा तो लोग उन पर हंसते थे। यहां तक कि उनके परिजन भी उनकी बातों का मज़ाक बनाते थे।

नायक के दोस्त के रूप में निभाया किरदार

नायक के दोस्त के रूप में निभाया किरदार

शिवा शुक्ला ने अपने सफ़र का ज़िक्र करते हुए बताया कि वह अपने स्कूल के दिनों वह कुछ नाटकों में भाग लिया करते थे। वहीं इंटरमीडिएट पास करने के बाद थिएटर ज्वाइन किया। एक साल बाद उनके पिता का निधन हो गया जिसके बाद उन्होंने खुद को साबित करने के लिए और अधिक अडिग बना दिया। शुरुआत में उन्होंने मिमिक्री करना शुरु किया और रंगमंच के लिए प्रदेश में ही विभिन्न जगहों पर जाने लगे। इस तरह गांव से शहर का सफर तय किया। कानपुर,लखनऊ, दिल्ली और आखिर में मुंबई पहुंच गए। शिवा कहते हैं कि थिएटर से जिंदगी जीने का हुनर आया और रंगमंच से आर्थिक तंगी दूर होती रही।

2018 में की थी सफर की शुरूआत

2018 में की थी सफर की शुरूआत

शिवा शुक्ला के मुख्य नाटक की बात की जाए तो उसमें 'हम तो ऐसे ही हैं' 'दहेज प्रथा''किसान का जीवन''सत्य''जीना आसान नही''आरक्षण आंदोलन''अंधा युग' और ' देश प्रेमी' का नाम शामिल है। इसमें उन्होंने मुख्य अभिनेता का किरदार निभाने के साथ-साथ निर्देशन भी किया। लेकिन अब वह इवेंट कंपनियों में शामिल होकर व्यावसायिक नाटक और स्टैंड-अप एक्ट कर रहे हैं। आपको बता दें कि शिवा शुक्ला एक चैनल के लिए बनाए गए शो में हिस्सा रह चुके हैं। इसके साथ ही वह कई व शार्ट फ़िल्में भी कर चुके हैं। उन्होंने लघु फिल्म 'सॉरी मॉम' (2018) के साथ अभिनय और निर्माण में अपना हाथ आजमाया था, जो कि नशामुक्ति पर आधारित थी। यह नशामुक्ति और पुनर्वास केंद्र में व्यापक रूप से चला। इसके बाद उन्हे गोविंद नामदेव के साथ एक फ़िल्म प्रोजेक्ट पर काम करने अवसर मिला लेकिन किसी वजह से वह फ़िल्म बंद हो गई।

अब लोगों का प्यार और सहयोग भी मिल रहा है- शिवा

अब लोगों का प्यार और सहयोग भी मिल रहा है- शिवा

शिवा का मानना है कि अभिनय के सपने को साकार करने के लिए अतिरिक्त आय जरूरी है। क्योंकि आपको खुद को बनाए रखने के लिए मार्केट में दिखना भी ज़रूरी है। सीतापुर फिल्म में अभिनय के अलावा उन्होंने एक कार्यकारी निर्माता की भूमिका भी निभाई है। शिवा के आने वाले फ़िल्म प्रोजेक्ट की बात की जाए तो फ़िल्म 'साइफर शून्य से शिखर तक' के निर्देशक सागर पाठक के फ़िल्म प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, फ़िल्म "बिन्स" पर भी काम कर रहे हैं, इसकी शूटिंग अगस्त में शुरू होगी। इसमे वह वरिष्ठ अभिनेता गोविंद नामदेव , बिजेंद्र काला के साथ प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं। शिवा का बताते हैं कि जब उन्होंने थोड़ी कामयाबी हासिल कर ली है तो अब परिवार और क्षेत्र के लोगों का प्यार और सपोर्ट भी मिल रहा है।

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English summary
Shiva Shukla illuminated the name of the state in the world of entertainment
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