MP: नलकूप में पानी की जगह निकल आई ज्वलनशील गैस, धधक रहीं आग की लपटें
सागर के बंडा ब्लॉक के मुड़िया गांव में बाबू सिंह मुड़िया ने सार्वजनिक बोर कराया था। करीब 400 फीट गहराई तक बोर कराने के बाद पर्याप्त पानी नहीं निकला। इधर बोरिंग से अजीब आवाज जा रही थी, तीली जलाई तो उसमें आग लग गई।
मप्र के सागर जिले में बीते रोज बंडा ब्लॉक के मुड़िया गांव में पानी की समस्या के चलते सार्वजनिक बोर कराया गया था। करीब 400 फीट तक गहराई कराने के बाद भी बोर में पानी नहीं निकला। जब बोरिंग मशीन चली गई, उसके बाद बोरिंग से आवाज सीटी बजने जैसी अजीब सी आवाज आने लगी। लोगों ने पास जाकर देखा तो अजीब से बदबू आ रही थी। इसे चेक करने के लिए एक व्यक्ति ने बोर के मुहाने पर तीली जलाकर देखी तो उसमें आग भभक पड़ी। बीती शाम से इस बोरिंग के मुहाने पर छह फीट ऊंची आग की निकल रही हैं।
400 फीट गहराई पर भी पानी नहीं निकला, गैस निकलने लगी
बंडा ब्लॉक में मुड़िया गांव निवासी बाबू सिंह मुड़िया ने बताया कि इलाके में पेयजल की काफी समस्या हो रही थी, इस कारण उन्होंने सार्वजनिक नलकूप खुदवाया था, ताकि लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सके। इस कारण बोर कराया था। करीब 400 फीट गहराई तक बोर कराया था, लेकिन उसमें पर्याप्त पानी नहीं निकला। मशीन वापस जाने के बाद लोगों ने बताया कि बोरिंग के मुहाने से अजीब सी आवाज जा रही है। पास जाकर देखा तो सच में आवाज आ रही थी। गैस जैसी बदबू भी आ रही थी, तभी एक ग्रामीण ने मुहाने पर आग की तीली जलाकर चेक किया तो उसमें से आग की लपटें भभक पड़ी।
सूचना मिलने पर प्रशासन पहुंचा, मुहाना बंद कराया
बाबू सिंह के अनुसार जब बोरिंग से लगातार आग की लपटें उठती रहीं और इलाके लोगों ने इसको खेल जैस बना तो लिया तो इसकी सूचना उन्होंने प्रशासन को दी थी। प्रशासन के अधिकारियों ने किसी अप्रत्याशित घटना या कोई हादसा न हो जाए, इसको देखते हुए मुहाने पर पत्थर रखवाकर आग की लपटों को बंद कराया।
उल्दन गांव में इसी तरह का मामला सामने आया
बंडा इलाके के उल्दन गांव में बीते महीनों में गर्मी के दौरान इसी तरह मामला सामने आया था। यहां स्थानीय प्रशासन ने एक बोर कराया था। बोरिंग होने के बाद उसमें पानी कम ही निकला था। बाद में बोरिंग में गैस की जानकारी लगने पर लाइटर जलाकर देखा तो उसमें से आग की लपटें उठने लगी थीं। आसपास खबर फैलने के बाद यह हैंडपंप उत्सुकता का केंद्र बना था।
बंडा, राहतगढ, रहली इलाके में ढेरों मामले
सागर जिले में बंडा, रहली और राहतगढ़ इलाके में इस तरह के बोरिंग से गैस रिसाव के ढेरों मामले सामने आ चुके हैं। राहतगढ़ चौराहे पर तो एक बोर से गैस रिसाव के चलते उसमें पाइप लाइन जोड़कर एक ढाबे के चूल्हे में कनेक्शन कर दिया गया था। सालों साल यहां पर बोरिंग की गैस रिसाव से चूल्हा जलता रहा था। हालांकि एक समय के बाद इस बोर से गैस रिसाव बंद हो गया था।
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जमीन के नीचे से ज्वलशील गैस के भंडार
सागर जिले के बंडा इलाके से लेकर छतरपुर जिले के सीमावर्ती इलाकों में जमीन के अंदर खनिज और प्राकृतिक गैस के भंडार छिपे हुए हैं। बंडा, शाहगढ़, छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा इलाके के गांवों में पूर्व में बोरिंग के गड्ढों में गैस निकलने और उनमें आग लगने जैसी घटनाए सामने आ चुकी हैं। डॉ. हरीसिंह गौर विवि के भूगर्भ शास्त्र विभाग और शोधार्थी इन बोरिंग को लेकर इलाके में जांच-पड़ताल और शोध भी कर चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्वलनशील गैस तो जमीन के नीचे निकलती है, लेकिन बहुत कम मात्रा में हैं।
मीथेन गैस निकलती है जो कार्बन-पानी से बनती है
इलाके में जब-तब बोरिंग से गैस निकलने और आग लगने जैसी घटनाओं के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन के नीचे विंध्य शैल होते हैं, इनमें कार्बन के कणों की अधिकता होती है, बारिश या अन्य मौसम में पानी के संपर्क में आने से यह ज्वलशील मीथेन गैस बनाते हैं। जमीन के नीचे मौजूद यह गैस को जैसे ही बोरिंग जैसे गड्ढे मिलते हैं, यह बाहर की तरफ निकलने लगती है। आग के संपर्क में आने पर यह जलने लगती है।
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