MP: बच्चों में यह लंपी या मंकीपॉक्स नहीं, हैंड, फुट एंड माउथ सिंड्रोम है, डॉक्टर बोले-दूषित पानी से होता है
सागर, 3 अक्टूबर। बुंदेलखंड इलाके में इन दिनों छोटे बच्चों के हाथ, पैर और मुंह व चेहरे में लाल-लाल दाने या रेशे होने की बीमारी हो रही है। अफवाहों के चलते लोग इसे लंपी वायरस या मंकीपॉक्स बीमारी की आशंका के चलते बच्चों को डॉक्टर के पास लेकर जा रहे हैं। बीएमसी की ओपीडी में इस तरह के केस सामने आ रहे हैं। मामले में विशेषज्ञों से बात करने पर पता चला कि यह हैंड, फुट एंड माउथ सिंड्रोम (HFMS) है जो एंटीरोवायरस के कारण होता है। यह दूषित पानी पीने और गंदगी के कारण होता है। यह संक्रमक रोग है जो एक बच्चे से कई बच्चों में तेजी से फैलता है, लेकिन इसका लंपी या मंकीपॉक्स जैसी बीमारी से कोई लेना-देना नहीं है। परिजन इसको लेकर भ्रम में न रहे और बच्चे का शिशुरोग विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज कराएं। यह संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों में से एक है और 3 से 8 साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
सागर व आसपास के जिलों में छह माह से लेकर 8 साल तक के बच्चों में एंटिरोवायस का संक्रमण फैल रहा है। इसमें हैंड, फुट एंड माउथ सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसमें बच्चों के मुंह में छाले और लाल-लाल दाने नजर आने लगते हैं। इसके अलावा हथेलियों और पैर के तलुओं में लाल दाने और रेशे दिखने लगत हैं। यह जलन भी करते हैं। मुंह में छालों व दानो के कारण बच्चे कुछ खा-पी नहीं पाते। बीएमसी में इस तरह के केस सामने आने लगे हैं। लोग घबराहट में बच्चों को लेकर आते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और फोटो को देखकर वे बच्चों में लंपी वायरस या मंकी पॉक्स जैसी आशंका से डरे-सहमे नजर आ रहे हैं। हालांकि जब डॉक्टर बताते हैं कि यह सामान्य बीमारी है, जो सीजन में हो जाती है और दूषित पानी पीने या गंदे पानी के संपर्क के कारण होती है, तब उन्हें राहत मिलती है।
फुट
एंड
माउथ
सिंड्रोम
के
शुरुआती
लक्षण
-
हाथ,
मुंह
और
पैर
पर
सफेद
या
लाल
दाने
या
छाले
पड़ना
-
गले
में
खरास,
बुखार
के
बाद
चेहरे
और
होंठ
के
अंदर
दाने
निकलना
-
थकान
और
भूख
ना
लगना
यह
रोग
अपने,
आप
खत्म
हो
जाता
है,
लेकिन
इलाज
बहुत
जरुरी
है
शिशु
एवं
बाल
रोग
विशेषज्ञ
डॉ.
अजीत
आनंद
असाटी
ने
बताया
कि
लाल
दाने,
मुंह
में
छाले
और
बुखार
से
पीड़ित
बच्चे
पिछले
दो
माह
से
अधिक
आ
रहे
हैं।
एचएफएमडी
में
लक्षणों
के
आधार
पर
इलाज
किया
जा
रहा
है।
यदि
बच्चे
को
बुखार
है
तो
बुखार
की
दवा
और
छाले
पड़े
हैं
तो
उसकी
दवा
दी
जाती
है।
कई
बच्चों
के
गले
में
खराश
होने
लगती
है
और
दाने
में
जलन
भी।
यह
रोग
अपने.आप
खत्म
हो
जाता
है,
लेकिन
सतर्कता
बरतनी
बहुत
जरूरी
है।
यदि
बच्चे
में
ऐसे
लक्षण
दिखते
है
तो
बच्चे
को
दूसरे
बच्चों
से
दूर
रखें।
छाले
से
बच्चा
कुछ
खा
नहीं
पाता
है,
इसलिए
उसे
लिक्विड
ज्यादा
से
ज्यादा
दें।
बच्चे
चिड़चिड़े
भी
हो
जाते
हैं।
पानी
अधिक
से
अधिक
पिलाएं।
जबकि
गर्म
पदार्थ,
तैलीय
खाद्य
पदार्थ,
मिर्च-मसाला
वाले
खाद्य
पदार्थ,
खट्टे
फलों
का
जूस
बिलकुल
न
दें।
बच्चे
के
नाखून
काट
दें,
कपड़े,
तौलिया,
बेडशीट
दूसरे
कपड़ों
से
अलग
रखें
और
गर्म
पानी
से
धोएं।
डाक्टर
की
सलाह
जरूर
लें
और
बुखार
ज्यादा
चढ़
जाए
तो
पानी
से
शरीर
पोंछें।
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लाल
दाने
और
लम्पी
वायरस
में
नहीं
है
कोई
सम्बन्ध
विशेषज्ञ
डॉ
अजीत
आनंद
असाटी
के
अनुसार
गोवंशीय
पशुओं
में
फैलने
वाली
बीमारी
लम्पी
वायरस
से
बच्चों
में
होनी
वाली
हैंड,
फुट
एंड
माउथ
डिजीज
का
कोई
सम्बन्ध
नहीं
है।
अभिभावक
अफवाहों
पर
ध्यान
न
दे
और
जरा
भी
शंका
या
बच्चों
में
लक्षण
दिखे
तो
डॉक्टर
परामर्श
जरुर
लें।
डॉ.
असाटी
के
अनुसार
मुंह
या
जीभ
पर
छाले
होना,
हथेली
और
पैर
के
तलवों
पर
लाल
दाने
और
घाव
होने
लगते
है।
यह
आवश्यक
नहीं
है
कि
सभी
मरीजों
में
ये
सारे
लक्षण
सामने
आएं।
ऐसा
भी
हो
सकता
है
कि
बीमार
व्यक्ति
में
केवल
गले
में
खराश
और
त्वचा
पर
लाल
चकते
ही
आएं।
इस
बिमारी
का
अभी
तक
कोई
विशेष
इलाज
नहीं
है।
केवल
लक्षण
के
आधार
पर
इलाज
किया
जाता
है।
मरीजों
को
अधिक
पानी
पीने
और
आराम
करने
की
सलाह
दी
जाती
है।