समाजवादी कलह में ब्रांड अखिलेश पर सबसे बड़ा खतरा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सियासी संग्राम पर तमाम सियासी दलों की नजरें है। आगामी चुनाव को देखें तो सपा में अंदरूनी कलह का फायदा दूसरी पार्टियों को मिल सकता है। इस लिहाज से सपा के कुनबे में दरार अन्य पार्टियों के लिए काफी अहम हो जाती है।
झगड़ा परिवार का नहीं बल्कि सरकार का है- अखिलेश यादव
यूपी चुनाव की तारीखों की घोषणा होने में अब सिर्फ चंद महीने बचे हैं। लिहाजा इस दृष्टि से देखें तो जिस तरह से सपा के भीतर की कलह लोगों के सामने आई है उसे लेकर पार्टी के आला नेताओं की खासकर मुलायम सिंह यादव की मुश्किल जरूर बढ़ गई होगी।
ब्रांड अखिलेश को बड़ा खतरा
यूपी में अखिलेश यादव खुद को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने में सफल हुए हैं और उनकी लोगों में खासी लोकप्रियता भी है। इस बात से मुलायम सिंह यादव बेहतर वाकिफ हैं। लिहाजा वह अखिलेश यादव को हर कीमत पर आगे रखने की कोशिश करेंगे।
सपा की अंदरूनी कलह का सबसे बड़ा नुकसान अखिलेश यादव को होगा। जिस तरह से पिछले चार साल के कार्यकाल में अखिलेश यादव अपनी छवि को साफ सुधरा और विकासवादी चेहरा बनाने में सफल हुए है, वह पार्टी की भीतरी कलह के चलते चुनावी में मुश्किल खड़ी कर सकती है।
लोगों के बीच अखिलेश यादव की बेदाग छवि उन्हें यूपी का सबसे लोकप्रिय नेता बनाती है। यही वजह है कि उनकी पैठ युवाओं में भी काफी है और इस बात का मुलायम सिंह बेहतर समझते हैं। लिहाजा वह किसी भी हाल में अखिलेश यादव की राय को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
...तो इन वजहों से शिवपाल को सौंपी गई प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी
आगामी चुनाव में मुश्किल खड़ी कर सकती है दरार
पार्टी के भीतर के कलह की वजह से लोगों के बीच एक संशय खड़ा होगा कि क्या पार्टी अखिलेश यादव को सरकार चलाने की पूरी कमान देगी या फिर एक बार फिर से परिवार के भीतर नूराकुश्ती जारी रहेगी। ऐसे में लोगों के सामने यह चुनौती होगी किस आधार पर सपा को वह मतदान करें।
शिवपाल का रूख पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत
पिछले कुछ समय से जिस तरह से शिवपाल व अखिलेश यादव के बीच कलह खुलकर सामने आई है उसने सपा मुखिया की मुश्किल को बढ़ा दिया है। हालांकि हर बार परिवार किसी भी मतभेद से इनकार करता रहा है। लेकिन तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों में चाचा-भतीजे के बीच का विवाद लोगों को देखने को मिला है।
हाल में शिवपाल सिंह ने कहा था कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं है, ऐसे में वह इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों की मानें तो जिस तरह से उनसे तमाम अहम मंत्रालय वापस लिए गए उससे शिवपाल खासा नाराज हैं और वह पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।