अखिलेश यादव ने कहा- श्रम कानून को स्थगित करना बेहद आपत्तिजनक, योगी सरकार से मांगा इस्तीफा
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम कानून को तीन साल के लिए स्थगित किए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को गरीबों की नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के हितों की चिंता है। भाजपा ने महंगाई बढ़ाने का कुचक्र तो रचा ही है, साथ ही मजदूरों के शोषण के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। भाजपा सरकार के इन जनविरोधी निर्णयों से जनता में गहरा आक्रोश है।
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भाजपा सरकार गरीब विरोधी: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को योगी सरकार के खिलाफ ट्वीट करके गरीब विरोधी बताया। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक अध्यादेश से मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम-क़ानून के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।'
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किसानों और जनता पर अत्याचार
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बाइक से लेकर ट्रक तक का टोल टैक्स बढ़ा दिया है। नोएडा अथारिटी ने पानी की दरों में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार ने सेस और अतिरिक्त ड्यूटी बढ़ा दी है। वहीं, प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त वैट लगा दिया। यह किसानों और जनता पर अत्याचार है।
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केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना
इससे पहले अखिलेश ने एक और ट्वीट करके वंदे मातरम से घर लाए जा रहे विदेश में फंसे लोगों के मामले में केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था। अखिलेश ने ट्वीट किया, 'मुश्किलों में अपना घर बहुत याद आता है, जाने दो हमको वतन...कोई हमें बुलाता है। अमीरों को विदेश से वापस लाने का रेकॉर्ड बनाने की चाह रखने वाले अगर देश में गरीबों को भी मुफ्त में वापस लाने का रेकार्ड बनाएं तो कितना अच्छा हो।'