Jammu and Kashmir:DDC चुनाव में सबसे ज्याद सीटें जीतने वाले गुपकार एलायंस के भविष्य पर संकट ?
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुए डीडीसी चुनाव में गुपकार गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। इस गठबंधन का गठन ही आर्टिकल-370 की वापसी के नाम पर किया गया है। लेकिन, 5 अगस्त, 2019 तक एक-दूसरे के खिलाफ ही सियासत करने वाले गठबंधन के दलों की एकता फिर से संकट में पड़ती दिख रही है। गठबंधन का एक साथी चुनाव के बाद ही सहयोगियों पर धोखे में रखने का आरोप लगाते हुए इससे बाहर हो चुका है। अब आलम ये है कि 'अपनी पार्टी' नाम की एक छोटी सी पार्टी जिसके श्रीनगर और शोपियां में सिर्फ 4 प्रतिनिधि जीते थे, उसने उन दोनों जगहों पर डीडीसी के चारों अहम पदों पर कब्जा कर लिया है और नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता मुंह ताकते रह गए हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में डीडीसी की 14-14 सीटों के लिए चुनाव करवाए गए थे और अब उन सदस्यों में से चेयरपर्सन और डिप्टी चेयरपर्सन के चुनाव किए जा रहे हैं।
श्रीनगर और शोपियां में गुपकार गठबंधन को झटका
जम्मू-कश्मीर में गुपकार गठबंधन के गठन का मुख्य लक्ष्य राज्य में वापस आर्टिकल-370 की बहाली करवाना है। यह कितना मुमकिन है, अभी यह बहस का मुद्दा नहीं है। सवाल है कि इस गठबंधन की सारी बड़ी पार्टियां एक छोटे से दल 'अपनी पार्टी' से दो-दो जिलो में मात खा चुकी हैं। नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की नेतागीरी के लिए तो यह निजी तौर पर झटका है कि उनके गढ़ श्रीनगर में जहां विधानसभा की 8 सीटें हैं, वहां पर भी मेयर के अलावा डीडीसी के चेयरपर्सन और डिप्टी चेयरपर्सन की कुर्सी पर अपनी पार्टी का नुमाइंदा बैठ चुका है। गौरतलब है कि शनिवार को कश्मीर के तीन जिलों श्रीनगर, शोपियां और कुलगाम में डीडीसी चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव करवाया गया। यह चुनाव डीडीसी के निर्वाचित सदस्यों को ही करना था। लेकिन, शोपियां और श्रीनगर के नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं।
छोटी सी 'अपनी पार्टी' पीडीपी-नेशनल कांफ्रेंस पर भारी
कुलगाम तो सीपीआई (एम) का गढ़ माना ही जाता है और वहां पर इसी पार्टी का सदस्य चेयरपर्सन और नेशनल कांफ्रेंस का सदस्य वाइस-चेयरपर्सन चुना गया है। दोनों पार्टियां गुपकार गठबंधन में शामिल हैं। लेकिन, कमाल तो अपनी पार्टी ने किया है, जिसने श्रीनगर और शोपियां में चारों पदों पर कब्जा किया है। जबकि, श्रीनगर डीडीसी के 14 सदस्यों में से अपनी पार्टी के सिर्फ 3 सदस्य थे। इसी तरह शोपियां में भी 14 में से उसके दो ही सदस्य डीडीसी सदस्य चुने गए थे। श्रीनगर में अपनी पार्टी के अलावा 7 निर्दलीय और नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, बीजेपी और पीपुल्स मूवमेंट के एक-एक सदस्य चुनाव जीते थे। वहीं शोपियां में पीडीपी के 4, एनसी के 3, कांग्रेस के 1 और 4 निर्दलीय चुनाव जीते थे। लेकिन, हैरानी की बात है कि फिर भी अपनी पार्टी ने बहुमत का जुगाड़ कर लिया। श्रीनगर में भाजपा के सदस्य ने उसके उम्मीदवारों को चेयरपर्सन और डिप्टी-चेयरपर्सन बनाने में समर्थन दिया है।
गुपकार दलों पर झूठ की राजनीति करने का आरोप
अगर पूरे जम्मू-कश्मीर की बात करें तो अपनी पार्टी ने डीडीसी चुनाव में कुल 166 उम्मीदवार खड़े किए थे और उसके सिर्फ 12 प्रत्याशी चुनाव जीते थे। इनमें 9 कश्मीर में और 3 जम्मू में। लेकिन, आज दो अहम जिलों में उसके चेयरपर्सन और डिप्टी चेयरपर्सन बन चुके हैं और पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी का दावा है कि कश्मीर में कुल 5 और जम्मू के दो जिलों के दोनों बड़े पदों पर उसका कब्जा होने जा रहा है। वैसे अपनी पार्टी पर डीडीसी चुनाव में जीतने वाले नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और निर्दलीय सदस्यों को दल-बदल कराने के आरोप भी लग रहे हैं। खासकर गुपकार दलों को यह बात खटकर रही है कि श्रीनगर और शोपियां की कुल 28 सीटों में से सिर्फ 4 सीटें जीतने वाली पार्टी दोनों जिलों में डीडीसी के चारों अहम पदों पर काबिज होने में कैसे कामयाब हुई? अपनी पार्टी के एक नेता उस्मान माजिद ने दी प्रिंट से कहा है, 'लोगों ने सच की राजनीति के लिए वोट दिया है। गुपकार गठबंधन 72 वर्षों से जनता से झूठ बोल रहा है और भावनाओं की राजनीतिक करता है। शनिवार के परिणाम ने साफ कर दिया है कि लोगों ने भावनाओं की राजनीतिक को दरकिनार कर दिया है।'
गुपकार के भविष्य पर संकट ?
वहीं भाजपा नेता और श्रीनगर में डीडीसी के सदस्य एजाज हुसैन ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देने के बाद कहा है, 'बीजेपी और अपनी पार्टी दोनों यह मानती है कि आर्टिकल-370 की वापसी नहीं होगी, इसके ठीक उलट गठबंधन ने कश्मीर के लोगों को झूठा भरोसा दिया है। बीजेपी और अपनी पार्टी दोनों विकास के नारे पर काम कर रही है और इसलिए हमारी पार्टी ने उसके उम्मीदवार का समर्थन किया है। हम उनका समर्थन करते रहेंगे जो लोगों से झूठ नहीं कहेंगे।' नेशनल कांफ्रेंस के सांसद जस्टिस (रि.) हसनैन मसूदी ने कहा है, 'श्रीनगर की जीत सिर्फ इसलिए मुमकिन हुआ,क्योंकि दोनों दलों (बीजेपी-अपनी पार्टी)के बीच आपसी साठगांठ थी। इनका गठबंधन था और आज यह साफ हो गया है।' शोपियां को लेकर उन्होंने कहा कि गठबंधन की जीत के बावजदू सदस्यों ने जनादेश का मजाक बनाया है, जो कि लोकतंत्र और संविधान की भावना के खिलाफ है। लेकिन, सच्चाई ये है कि डीडीसी चुनाव के कुछ ही समय बाद पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का गुपकार से निकलना और अब शोपियां और श्रीनगर की सियासी घटनाक्रम ने गठबंधन के भविष्य पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।