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Rajasthan में 30 साल बाद एक बार फिर उठी अजमेर ब्लैकमेल कांड की जांच की मांग, जानिए इस कांड की पूरी कहानी

राजस्थान के बहुचर्चित अजमेर ब्लैकमेल कांड की जांच की मांग एक बार फिर उठी है। पुष्कर में सवाई सिंह की मौत के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस मामले में अजमेर के कई रसूखदार लोगों और राजनेताओं का हाथ था।

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Rajasthan में एक बार फिर अजमेर ब्लैकमेल कांड की जांच की मांग उठी है। पिछले दिनों पुष्कर में कुछ लोगों ने 70 वर्षीय पूर्व पार्षद सवाई सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। इस दौरान उनके मित्र दिनेश तिवारी भी घायल हो गए थे। सवाई सिंह की हत्या अजमेर ब्लैकमेल कैसे जुड़ी थी। इस मामले में 1992 में साप्ताहिक अखबार चलाने वाले मदन सिंह की हत्या हो गई थी। पुलिस ने पुष्कर में सवाई सिंह की हत्या के आरोप में मदन सिंह के पुत्र सूर्य प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है। इसके बाद मदन सिंह की बहन पत्नी और सूर्य प्रताप सिंह की पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अजमेर ब्लैकमेल कांड की जांच फिर से करवाने की मांग की है।

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अजमेर ब्लैकमेल कांड को खोलने की उठी मांग

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पिता की मौत का बदला लेना चाहते थे पुत्र

पिता की मौत का बदला लेना चाहते थे पुत्र

स्थानीय बाशिंदों की माने तो पुष्कर के बसेली गांव में सवाई सिंह और दिनेश तिवारी पर गोलियां चलाने वाले मदन सिंह के बेटे थे। मदन सिंह साप्ताहिक समाचार पत्र चलाते थे और अजमेर ब्लैकमेल कांड को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा था। अजमेर ब्लैकमेल कांड के दौरान सोफिया कॉलेज की कई लड़कियों को ब्लैकमेल करके दुष्कर्म किया गया था। कथित रूप से इस मामले को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित करना मदन सिंह की हत्या का कारण बना था। पुलिस ने मदन सिंह की हत्या के आरोप में सवाई सिंह, राजकुमार जयपाल, नरेंद्र सिंह व अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था। लेकिन सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था। तब से मदन सिंह के दोनों बेटे सूर्य प्रताप सिंह और धरम प्रताप सिंह ने अपने पिता की मौत का बदला लेने की कसम खाई थी। तब मदन सिंह के दोनों पुत्र 8 और 12 वर्ष के थे। कहा जा रहा है कि अपने पिता के हत्यारों से बदला लेने की पिछले 10 सालों में उनकी यह दूसरी कोशिश थी।

क्या है अजमेर ब्लैकमेल कांड

क्या है अजमेर ब्लैकमेल कांड

अजमेर ब्लैकमेल कांड देश का यौन शोषण का सबसे बड़ा मामला था। इस कांड की शुरुआत 1992 में राजस्थान में अजमेर से हुई थी। अजमेर के प्रसिद्ध गर्ल्स स्कूल सोफिया सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल था। जिसमें सैकड़ों छात्राओं को निशाना बनाया गया था। एक स्थानीय अखबार ने सबसे पहले कुछ लड़कियों के चित्र और कहानी प्रकाशित की। जिसमें स्कूली छात्राओं को स्थानीय गिरोह के द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की बात कही गई थी। इसके बाद लोगों को एक जघन्य हत्याकांड और इस कांड के बारे में पता चला। उसके बाद इस निर्मम कांड में एक-एक तार आपस में जुड़ते चले गए।

अजमेर दरगाह के खादिम थे कांड के मुख्य आरोपी

अजमेर दरगाह के खादिम थे कांड के मुख्य आरोपी

अजमेर ब्लैकमेल कांड के दोनों मुख्य आरोपी अजमेर की प्रसिद्ध मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम परिवार से थे। मुख्य आरोपी फारूक चिश्ती था। इसके अतिरिक्त अजमेर के भारतीय युवा कांग्रेस से जुड़े दो अन्य नफीस चिश्ती और उसका भाई अनवर चिश्ती अजमेर कांग्रेस के उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव थे। इस मामले में 18 जाने-माने अपराधियों को अदालत में आरोपित किया गया। इनमें से 8 को जीवन भर के लिए दोषी ठहराया गया। इनमें से 4 लोगों को बाद में बरी कर दिया गया था। बाकी लोगों को जेल की सजा को कम करने के बाद मुक्त कर दिया गया था। इस मामले में अजमेर के कई रसूखदार लोग और राजनेता शामिल थे।

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English summary
Demand for investigation of Ajmer blackmail case raised once again after 30 years in Rajasthan
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