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फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बहुमत खोने के बाद अब क्या करेंगे? जानिए

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बाद मंगलवार को विपक्षियों से मुलाकात करेंगे.

By BBC News हिन्दी
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इमैनुएल मैक्रों
EPA
इमैनुएल मैक्रों

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बाद मंगलवार को विपक्षियों से मुलाक़ात करेंगे.

मैक्रों पर अपनी सरकार के सुधारवादी एजेंडा को पूरा करने के लिए विपक्षियों का समर्थन पाने का दबाव है.

लेकिन मरीन ली पेन की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी और जीन लुच मेलेनचोन का लेफ्ट-ग्रीन गठबंधन दोनों ही मैक्रों के साथ काम करने के इच्छुक नहीं है.

फ़्रांस में ऐसा बहुत कम ही मौक़ों पर देखा गया जब सरकार अल्पमत में हो और मैक्रों की पार्टी और अन्य गठबंधन सहयोगी अब भी बहुमत से 44 सीट पीछे हैं.

इसका मतलब है कि उन्हें अब साधारण बहुमत बनाने के लिए लेफ्ट और राइट दोनों ही राजनीतिक धड़ों के सांसदों के समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी.

एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को सभी पार्टी के प्रतिनिधि उच्च-स्तरीय वार्ता के लिए अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति भवन पहुँचेंगे.

जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति दक्षिणपंथी रिपब्लिकन से सौदा करने पर विचार कर रहे हैं और पार्टी ने भी पुष्टि की है कि उनके नेता क्रिस्चियन जैकब वार्ता में शामिल होंगे.

समाचार एजेंसी एएफ़पी ने बताया कि ली पेन वार्ता में हिस्सा लेंगी लेकिन मेलेनचोन नहीं जाएंगे.

सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलीवियर फ़ॉअर और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख फ़ेबियन रूज़ेल, लेफ्ट पार्टियों के गठबंधन न्यूप्स के सदस्य भी मैक्रों से मिलेंगे.

फ़्रांस की सेन्ट्रिस्ट सरकार संसद में बहुमत खोने के बाद से ही राजनीतिक व्यवस्था को पंगु बनने से रोकने के लिए बेसब्र है. कुछ जानकारों ने चेताया है कि इस स्थिति की वजह से फ़्रांस बिना शासन व्यवस्था वाला देश बन सकता है.

मैक्रों को अपने उन तीन मंत्रियों को भी बदलना पड़ेगा जो रविवार को चुनाव हार गए हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न के भविष्य पर भी ख़तरा मंडरा रहा है.

जीन लुच मेलेनचोन
Reuters
जीन लुच मेलेनचोन

चुनाव में इस बार बहुत कम लोगों ने मतदान किया और 53 फ़ीसदी लोगों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

राष्ट्रपति मैक्रों ने देश में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव दिया है. इसमें फ़ूड वाउचर और लोगों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं मे बढ़ोतरी भी शामिल है.

दूसरा सबसे बड़ा प्रस्तावित सुधार रिटायरमेंट की उम्र को 62 साल से बढ़ाकर 65 वर्ष करना है. माना जा रहा है कि ये प्रस्ताव अधिकतर इलेक्टोरेट के बीच अलोकप्रिय साबित हुआ.

राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा, "हमारा मक़सद एक ऐसे समय में फ्रांस के लोगों की सेवा करना है, जब मैक्रों की सत्ताधारी गठबंधन के लिए कोई वैकल्पिक बहुमत नहीं है."

लेफ़्ट और राइट पार्टियों के विपक्षी नेता राष्ट्रपति के सुधारवादी कार्यक्रम पर रोक गाना चाहते हैं. हालाँकि, मी पेन की पार्टी नेशनल रैली ने कहा है कि अगर उसके प्रस्तावों को स्वीकार किया जाए तो वो महंगाई कम करने के लिए उठाए गए कदमों का समर्थन करने को तैयार हैं.

सबसे बड़ी पार्टी लेकिन बहुमत से दूर

इमैनुएल मैक्रों की अगुवाई वाला गठबंधन (एनसेंबल) के पास अभी भी संसद में सबसे अधिक सीटे हैं. एनसेंबल जिसका अर्थ अंग्रेज़ी में टुगेदर है, के पास संसद में 244 सीटे हैं. बहुमत के लिए 289 सीटें चाहिए.

मैक्रों दो महीने पहले ही दूसरी बार फ़्रांस के राष्ट्रपति बने हैं. आख़िरी बार सन् 1988 में फ़्रांस की संसद में राष्ट्रपति बहुमत हासिल करने में विफल रहे थे.

इसके बाद नेशनल रैली को भी संसद में 89 सीटें मिली हैं, जो कि पूर्वानुमान की तुलना में कहीं अधिक हैं. पिछले चुनाव में पार्टी को केवल आठ सीटें ही मिली थीं.

फ़्रांस की प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न
EPA
फ़्रांस की प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न

संसदीय चुनावों के लिए बने हालिया गठबंधन न्यूप्स अब मुख्य विपक्षी की भूमिका में है. ये गठबंधन लेफ्ट नेता जीन लुच मेलेनचोन की अगुवाई में बना.

मेलेनचोन राष्ट्रपति चुनाव के पहले राउंड में ही बाहर हो गए थे. अब उनकी अगुवाई वाले गठबंधन के पास संसद में 137 सीटे हैं. न्यूप्स नाम के इस गठबंधन में लेफ्ट पार्टी ला फ़्रांस इनसोमाइज़ के साथ सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट शामिल है.

फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने अभी तक चुनाव के नतीजों पर टिप्पणी नहीं की है. ऐसी स्थिति में ये साफ़ नहीं हो सका है कि वो आगे के लिए क्या योजना बना रहे हैं. उनके पास फिलहाल एक विकल्प ये भी है कि वो फ़्रांस की पारंपरिक दक्षिणपंथी पार्टी रिपबल्किन्स के साथ गठजोड़ कर लें, जिसने संसद में 61 सीटे जीती हैं.

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English summary
What will French President Emmanuel Macron do after losing his majority
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