9/11 से पहले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और 9/11 के बाद अमेरिका के कदम
न्यूयॉर्क। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले को भले ही 15 वर्ष पूरे हो जाएं या 50 वर्ष, इन हमलों का भूत अमेरिका को हमेशा सताता रहेगा।
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उस समय हमलों को पर्ल हार्बर नाम दिया गया। इन हमलों के बाद अमेरिका ने सुरक्षा व्यवस्था को पहले से ज्यादा चाक-चौबंद कर दिया था।
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अल कायदा ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी। अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन ने 19 हाइजैकर्स में से 15 सऊदी अरब के थे और बाकी यूएई, इजिप्ट और लेबनान के रहने वाले थे। कुछ आतंकी तो यूरोप में रहे और बाद अमेरिका में बसने कामयाब हो गए थे।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर क्या था
न्यूयॉर्क के मैनहट्टन स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर सात बिल्डिंग्स का एक कॉम्प्लेक्स था जिसमें से ज्यादातर ऑफिस और कमर्शियल प्रयोग के लिए थीं। वर्ष 1970 की शुरुआत में इन बिल्डिंग्स का काम पूरा हुआ और वर्ष 1973 में इसे खोला गया। 1,300 फीट की ऊंचाई वाली ये इमारतें अमेरिका की शान बन गई थीं। इन्हें दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग माना जाता था।
9/11 पहली साजिश नहीं
वर्ष 1993 में आतंकियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अंडरग्राउंड गैराज में एक ट्रक बम प्लांट किया था। जोरदार ब्लास्ट में सात मंजिलों को नुकसान पहुंचा था। उस समय छह लोगों की मौत हुई और करीब 1,000 लोग घायल हो गए थे। लेकिन दोनों टॉवर्स को कुछ नहीं हुआ था। एफबीआई ने बाद में हमले में शामिल सात आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
अब दोगुनी ऊंचाई वाला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
जिस जगह पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर था उस जगह पर एक नेशनल सितंबर 11 मेमोरियल और म्यूजियम बनाया गया है। इसके अलावा एक 1,776 फीट ऊंचा एक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर भी मौजूद है। कुछ और बिल्डिंग्स भी जल्द ही इस जगह पर होंगी। पेंटागन में भी एक मेमोरियल बनाया गया और इस मेमोरियल के अंदर उन पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई है जो हमले में मारे गए थे। वहीं पेंसिलवेनिया में भी एक मेमोरियल मौजूद है।
तूफान तक को झेलने वाला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को स्टील से तैयार किया गया था। इसकी डिजाइन ऐसी थी कि यह 200 मील प्रति घंटे से चलने वाली हवाओं का भी झेल सकता था और अगर कोई बड़ी आग लग जाती तो भी इस बिल्डिंग को कुछ नहीं होता। लेकिन यह बिल्डिंग जेट फ्यूल की गर्मी को झेल नहीं पाई थी।
हमलों के बाद अमेरिका ने क्या किया
9/11 के बाद अमेरिका ने होमलैंड सिक्योरिटी नामक एक डिपार्टमेंट बनाया। इस डिपार्टमेंट का काम सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना है। इसके अलावा एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग प्रक्रिया को बढ़ाया गया और दुनिया के बाकी देशों के बीच इंटेलीजेंस शेयरिंग को और मजबूत बनाया गया।