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सऊदी पर किसी को हमला नहीं करने देंगे: इमरान ख़ान

आख़िर इमरान ख़ान ने अपनी ही कही बात का उल्लंघन करते हुए सऊदी दौरा क्यों किया? इस सवाल के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा, ''मुझे तीन महीने तक पाकिस्तान से बाहर नहीं जाना था. सऊदी के किंग सलमान ने मुझे आमंत्रित किया इसलिए आना पड़ा. बतौर मुसलमान मुझे मक्का और मदीना भी आना चाहिए. ऐसे भी पाकिस्तान में जब भी कोई नया प्रधानमंत्री बनता है तो वो पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को ही चुनता है. सभी मुसलमानों के दिल में सऊदी की ख़ास जगह है.''

By BBC News हिन्दी
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सऊदी अरब
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सऊदी अरब

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पहले विदेशी दौरे पर सऊदी अरब पहुंचे और उन्होंने बुधवार को वहां के किंग सलमान से मुलाक़ात की.

इमरान ख़ान सऊदी के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे हैं. इमरान ख़ान ने पीएम बनने के बाद कहा था कि वो तीन महीने तक कोई विदेशी दौरा नहीं करेंगे, लेकिन इसके बावजूद वो सऊदी गए.

आख़िर इमरान ख़ान ने अपनी ही कही बात का उल्लंघन करते हुए सऊदी दौरा क्यों किया? इस सवाल के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा, ''मुझे तीन महीने तक पाकिस्तान से बाहर नहीं जाना था. सऊदी के किंग सलमान ने मुझे आमंत्रित किया इसलिए आना पड़ा. बतौर मुसलमान मुझे मक्का और मदीना भी आना चाहिए. ऐसे भी पाकिस्तान में जब भी कोई नया प्रधानमंत्री बनता है तो वो पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को ही चुनता है. सभी मुसलमानों के दिल में सऊदी की ख़ास जगह है.''

इमरान ख़ान ने इस दौरे पर कहा कि वो सऊदी पर किसी भी देश को हमला नहीं करने देंगे. अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिए पहले इंटरव्यू में ख़ान ने कहा कि पाकिस्तान सऊदी के किंग के साथ हमेशा खड़ा रहेगा.

इमरान ख़ान
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इमरान ख़ान

सऊदी के नेतृत्व में यमन पर हमले को लेकर पाकिस्तान का रुख़ क्या है? इस सवाल के जवाब में इमरान ख़ान ने कहा, ''पाकिस्तान इसमें मध्यस्थ की भूमिका अदा करना चाहेगा. हम चाहते हैं कि मुस्लिम देश एक साथ आएं. अगर आप हमारी भूमिका चाहते हैं तो हम सकारात्मक भूमिका अदा करेंगे ताकि संघर्ष ख़त्म हो सके.''

इमरान ख़ान ने कहा, ''हम मुस्लिम देशों को साथ लाना चाहते हैं. हम मध्य-पूर्व में शांति चाहते हैं, क्योंकि यहां जो युद्ध चल रहा है उसमें मुसलमानों को ही नुक़सान हो रहा है. आप इसे लीबिया, सोमालिया, सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान में देख सकते हैं.''

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सऊदी गज़ट को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने इस सवाल के जवाब में कहा- जब एक मुसलमान के तौर पर हम दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ते हैं तो एक ही चीज़ अल्लाह से मांगते हैं. हम अल्लाह से कहते हैं कि हमें रास्ता दिखाओ.

सऊदी अरब
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सऊदी अरब

हम चाहते हैं कि अल्लाह हमें अपनी दुआ दे और रास्ता दिखाए. कामयाबी हमारे हाथ में नहीं है यह अल्लाह के हाथ में है. मैं पाकिस्तान की दशा और दिशा बदलने की कोशिश कर रहा हूं.

पाकिस्तान में शासन की जो दिशा है उसे बदलूंगा. हमलोग पाकिस्तान के लोगों की मानसिकता बदलेंगे. मैं हाशिए के पाकिस्तानी को ऊपर लाऊंगा और जो अमीर हैं उन्हें अमीर बनाने वाली नीति को ख़त्म करूंगा. चीन ने भी ऐसा कर दिखाया है.

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पाकिस्तान पिछले 15 सालों से आतंकवाद से लड़ाई के कारण समस्याग्रस्त रहा है. पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहा है लेकिन उसने आतंकवाद को कभी प्रश्रय नहीं दिया. जिन्होंने 9/11 का हमला किया वो पाकिस्तान में नहीं हैं.

इसमें कोई पाकिस्तानी शामिल नहीं थे. अल-क़ायदा अफ़ग़ानिस्तान में था. इस युद्ध में पाकिस्तान के शामिल होने का कोई मतलब नहीं है और पाकिस्तान इससे बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. 88 हज़ार पाकिस्तानी अब तक जान गंवा चुके हैं.

सऊदी अरब
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सऊदी अरब

हमारी अर्थव्यवस्था को 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान हुआ है. अफ़ग़ानिस्तान से लगे हमारे जनजातीय इलाक़े भी बुरी तरह से तबाह हुए हैं. इसीलिए हम स्थिरता और शांति चाहते हैं. हम सभी पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते चाहते हैं. चीन से हमारा अच्छा संबंध है.

हम चाहते हैं कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान से भी अच्छे संबंध हों. इन देशों के साथ भरोसे का अभाव है इसलिए संबंध अच्छे नहीं हैं. ईरान हमारा पड़ोसी है और चाहते हैं कि उससे भी अच्छा संबंध हो. सऊदी एक ऐसा देश है जिसे लेकर पाकिस्तानियों के दिल में ख़ास प्रेम है. मुश्किल वक़्त में सऊदी हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है.

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सऊदी हमारे साथ हमेशा खड़ा रहा है इसलिए सभी पाकिस्तानी चाहते हैं कि हम भी सऊदी के साथ रहें. मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता की सख़्त ज़रूरत है, क्योंकि यहां आपस में ही मुसलमान लड़ रहे हैं.

हम चाहते हैं कि यमन में शांति हो. मुसलमानों को साथ लाने के लिए पाकिस्तान मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है. हम सऊदी पर किसी को हमला नहीं करने देंगे. मेरा मानना है कि सभी तरह के संघर्ष को संवाद के ज़रिए सुलझाया जा सकता है.

सऊदी-ईरान
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सऊदी-ईरान

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सऊदी का योगदान

सऊदी अरब में पाकिस्तान के लाखों लोग काम करते हैं और इनका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. ख़लीज टाइम्स के अनुसार सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दो ऐसे देश हैं जहां पाकिस्तानी सबसे ज़्यादा काम करते हैं. 2015-16 के वित्तीय वर्ष में दोनों देशों में काम करने वाले पाकिस्तानियों ने रिकॉर्ड 19 अरब डॉलर भेजे थे.

ज़ाहिर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह रक़म लाइफ लाइन की तरह होती थी. इसमें आई कमी का असर इस क़दर है कि डॉन अख़बार के मुताबिक अब पाकिस्तान के पास महज़ नौ अरब डॉलर ही विदेशी मुद्रा बची है.

सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं. दोनों देशों के बीच रक्षा और आर्थिक संबंध 1960 के दशक से ही हैं. इसी दौर में दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते हुए थे. पाकिस्तान सऊदी को सैन्य मदद लंबे समय से देता रहा है. बदले में सऊदी पाकिस्तान को कश्मीर मसले पर साथ देता रहा है.

सऊदी-पाकिस्तान
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सऊदी-पाकिस्तान

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए भी सऊदी हमेशा से साथ रहा है. अरब न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के 20 लाख से ज़्यादा नागरिक सऊदी में काम करते हैं और हर साल सात अरब डॉलर बचाकर भेजते हैं.

कूटनीतिक रिश्तों के बारे में अक्सर एक बात कही जाती है कि कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता है, स्थायी सिर्फ़ अपना हित होता है. पाकिस्तान और सऊदी के संबंध भी अब इसी धारणा के तहत करवट ले रहे हैं.

2015 में पाकिस्तानी संसद ने सऊदी के नेतृत्व में यमन के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई में अपनी सेना भेजने के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव पास किया था. पाकिस्तान नहीं चाहता है कि वो ईरान के ख़िलाफ़ सऊदी का मोहरा बने.

सऊदी-पाकिस्तान
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सऊदी-पाकिस्तान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी साफ़ कर दिया है कि वो ईरान के साथ मिलकर काम करेंगे. सऊदी और ईरान की शत्रुता में सुन्नी और शिया का भी विवाद अहम है.

पाकिस्तान की सीमा ईरान से लगती है. पाकिस्तान की आबादी में शिया कम से कम 15 फ़ीसदी हैं. ऐसे में पाकिस्तान के लिए केवल सऊदी के साथ रहना न तो आसान है और न ही लाभकारी. इमरान ख़ान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वो सऊदी और ईरान के बीच संतुलन बनाकर चलेंगे.

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English summary
We will not let anyone attack on Saudi Imran Khan
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