डोनाल्ड ट्रंप ने तिब्बत नीति को मंजूरी दी, दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में दखल नहीं दे पाएगा चीन
ट्रंप ने तिब्बत नीति को मंजूरी दी, दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में दखल नहीं दे पाएगा चीन
वॉशिंगटन। तिब्बत (tibet) में दलाई लामा चुनने (Dalai Lama) की प्रक्रिया में चीनी सरकार (Chinese policy) की दखलदांजी का कड़ा विरोध करते हुए डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) ने वहां धार्मिक-आजादी के समर्थन में नया कानून पारित किया है। बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु के चयन में चीनी हस्तक्षेप को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नई तिब्बत नीति (तिब्बती नीति एवं समर्थन कानून 2020) को मंजूरी दे दी है। तिब्बत ने इस कानून को बनाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति धन्यवाद दिया है।
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अमेरिका के नए कानून के तहत अगले दलाई लामा का चयन केवल तिब्बती बौद्ध समुदाय के लोग करें एवं इसमें चीन का कोई हस्तक्षेप नहीं हो। चीन के विरोध के बावजूद अमेरिकी सीनेट ने पिछले सप्ताह इसे सर्वसम्मति से पारित किया था, जिसमें तिब्बतियों को उनके आध्यात्मिक नेता का उत्तराधिकारी चुनने के अधिकार को रेखांकित किया गया है और तिब्बत के मुद्दों पर एक विशेष राजनयिक की भूमिका का विस्तार किया गया है।
विधेयक के तहत तिब्बत संबंधी मामलों पर अमेरिका के विशेष राजनयिक को यह अधिकार दिया गया है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन कर सकता है कि अगले दलाई लामा का चयन सिर्फ तिब्बती बौद्ध समुदाय करे। अमेरिका में नये चीनी वाणिज्य दूतावासों पर तब तक पाबंदी की बात है जब तक तिब्बत के ल्हासा में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की स्थापना नहीं की जाती।
इस बिल में तिब्बत में धार्मिक-अजादी के साथ-साथ लोकतंत्र को मजबूत करने, पर्यावरण सरंक्षण, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने का समर्थन किया गया है। तिब्बत पर कब्जे के 70 साल बाद भी चीन की पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई है, जितना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है। इसी कारण जिनपिंग प्रशासन अब तिब्बत में धर्म का कार्ड खेलने की तैयारी कर रहा है। तिब्बत में बौद्ध धर्म के सबसे ज्यादा अनुयायी रहते हैं, जबकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार किसी भी धर्म को नहीं मानती है।
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