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पाकिस्तान के 'विनाश' का आगाज, तालिबान के आने के बाद हो रहे हैं भयानक आतंकी हमले, इमरान की नाक में दम

पाकिस्तान की सरकारों ने देश की जनता को लगातार कट्टर बनाया है और कट्टर बन चुके समाज में तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकी संगठनों की जड़ें काफी मजबूत हो चुकी हैं।

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इस्लामाबाद, सितंबर 28: काबुल पर तालिबान के कब्जा होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा था कि अफगानिस्तान के लोगों ने गुलामी की बेड़ियां तोड़ दी हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान लगातार वैश्विक समाज से तालिबान को मान्यता देने के लिए मनुहार कर रहा है, लेकिन शायद पाकिस्तान की हुकूमत यह नहीं देख पा रही है कि अफगानिस्तान में आग लगाते लगाते पाकिस्तान में भी आग लग चुकी है और उस आग से पाकिस्तान को बचाने वाला अब कोई नहीं है। पाकिस्तान से आई ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के आने के बाद पाकिस्तान में चरम पर आतंकवाद पहुंच गया है।

चरम पर पाकिस्तान में आतंकवाद

चरम पर पाकिस्तान में आतंकवाद

साउथ एशियन टेरेरिज्म पोर्टल ने अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद पाकिस्तान में अंजाम दी जा रही आतंकी घटनाओं पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिसमें कहा गया है कि तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पाकिस्तान में बिजली की गति से तेज रफ्तार में आतंकी हमले हो रहे हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से हटने और तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद, पाकिस्तान में घातक आतंकवादी हमले चार साल से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर तक बढ़ गए हैं, जो इस क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता का संकेत है।

पाकिस्तान में भीषण आतंकी हमले

पाकिस्तान में भीषण आतंकी हमले

ब्लूमबर्ग समाचार एजेंसी ने लेटेस्ट रिपोर्ट में पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद को लेकर समीक्षा की है, जिसमें कहा गया है कि सिर्फ अगस्त महीने में पाकिस्तान के अलग अलग इलाकों में कम से कम 35 आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया गया है, जिनमें 52 नागरिक मारे गए हैं, जो फरवरी 2017 के बाद सबसे ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर हमलों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को जिम्मेदार ठहराया गया है। आपको बता दें कि, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, अफगान तालिबान का ही एक शाखा और आतंकवादी संगठन, जो पाकिस्तान में अफगानिस्तान की तरह ही शरीया कानून लागू करना चाहता है और अब ऐसा माना जा रहा है कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद टीटीपी काफी उत्साहित होकर पाकिस्तान में हमलों को अंजाम दे रहा है।

पाकिस्तान में शरिया कानून की मांग

पाकिस्तान में शरिया कानून की मांग

वैसे तो 'तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान' को पाकिस्तान की सरकार एक आतंकवादी संगठन मानती है और उसपर पाकिस्तान में प्रतिबंध भी लगा हुआ है, लेकिन कहा जाता है कि पाकिस्तान के समाज में इस आतंकी संगठन की जड़ें काफी गहरी है, लिहाजा पाकिस्तान की सेना भी इसके आगे बेबस हो जाती है। पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इस आतंकी संगठन ने अब अपने ऑपरेशन में थोड़ा बदलाव कर लिया है और इसने अब आम लोगों को मारने की बजाए पाकिस्तान की सेना पर हमला करने की रणनीति बनाई है। लिहाजा पाकिस्तान में लगातार आर्मी पर हमले हो रहे हैं। आपको बता दें कि, साउथ एशियन टेरेरिज्म पोर्टल (एसएटीपी) दक्षिण एशिया में आतंकवाद की घटनाओं को कवर करने वाली सबसे बड़ी वेबसाइट है। इसके रिपोर्ट्स को कई देशों की सरकारें भी विश्लेषण करने के लिए इस्तेमाल करती हैं। इस वेबसाइट के आंकड़ों को काफी पुख्ता और सटीक माना जाता है।

सरकार को उखाड़ फेंकना लक्ष्य

सरकार को उखाड़ फेंकना लक्ष्य

टीटीपी, जिसे वैकल्पिक रूप से 'पाकिस्तानी तालिबान' के रूप में जाना जाता है, उसका उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ हिंसक सैन्य अभियान चलाकर इस्लामाबाद में सरकार को उखाड़ फेंकना है। यह कई अन्य आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखता है, जिसमें अल-कायदा भी शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह फ्रिंज उग्रवादी समूह "अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ उससे और अधिक उत्साहित है"। लंदन स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के एक विजिटिंग फेलो उमर करीम ने ब्लूमबर्ग एजेंसी को फोन पर बताया कि, "पिछले एक साल में अलग-अलग समूहों के विलय के साथ अफगानिस्तान में बनी नई स्थिति से पहले ही आतंकवादी समूह बहुत मजबूत हो गया था।"

टीटीपी ने फिर से फैलाया फन

टीटीपी ने फिर से फैलाया फन

यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ असफंदयार मीर ने कहा कि, हालांकि पाकिस्तान इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर रहा है, लेकिन इस्लामाबाद, पाकिस्तानी तालिबान के खतरे के फिर से उभरने को लेकर काफी चिंतित है। इस संगठन को पहले पाकिस्तान की सेना ने अमेरिका की मदद से काफी हद तक काबू कर लिया था और अमेरिकी ड्रोन हमले में टीटीपी के सैकड़ों आतंकियों को मार दिया गया था, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान के बनने के बाद इस संगठन ने फिर से पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। वहीं, काबुल पर कब्जा करने के बाद ही अफगान तालिबान ने टीटीपी के करीब 2300 आतंकियों को जेल से आजाद कर दिया, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वो या तो पाकिस्तान में घुस चुके हैं, या फिर घुसने की फिराक में हैं।

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English summary
After the establishment of Taliban rule in Afghanistan, terrorist attacks have been taking place in Pakistan in the last four years.
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