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कैंसर को 10 सैकेंड में पकड़ लेगा ये ‘पेन’

वैज्ञानिकों ने कैंसर टिश्यू की पहचान करने के लिए 'पेन' जैसा डिवाइस बनाया है.

By BBC News हिन्दी
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कैंसर का नाम सुनते ही हम सभी डर जाते हैं, यह बीमारी है ही इतनी ख़तरनाक. लेकिन अगर आपको बताया जाए कि एक छोटा-सा पेन महज़ 10 सैकेंड में कैंसर के लक्षणों को पहचान सकता है तो आप भी हैरान रह जाएंगे.

टैक्सस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्होंने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जिसे आसानी से हाथ में पकड़ा जा सकता है और यह 10 सैकेंड में कैंसर टिश्यू की पहचान कर लेगा. इससे कैंसर का इलाज तेज़ी और बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.

साइंस ट्रांस्लेशनल मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट में इस डिवाइस के टेस्ट को 96 प्रतिशत सही बताया गया है.

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कैंसर का इलाज
Getty Images
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कैसे करता है काम?

इस पेन को उस जगह रखा जाता है जहां कैंसर होने की संभावना होती है, पेन से पानी की एक छोटी-सी बूंद निकलती है.

इसके बाद जीवित कोशिकाओं के भीतर मौजूद रसायन पानी की उस बूंद की तरफ जाने लगता है, जिसे परीक्षण के लिए पेन वापिस सोख लेता है.

इस पेन को स्पेट्रोमीटर से जोड़ा गया है, यह स्पेट्रोमीटर प्रत्येक सैकेंड में हज़ारों रसायनों का द्रव्यमान माप सकता है.

इस पेन की मदद से एक प्रकार का रसायनिक फिंगरप्रिंट तैयार हो जाता है जो डॉक्टर को यह पहचानने में मदद करता है कि टिश्यू में कैंसर है या नहीं.

डॉक्टरों के लिए एक सामान्य और कैंसर वाले टिश्यू में अंतर कर पाना हमेशा ही बड़ी चुनौती रहती है. इस पेन की मदद से यह काम काफी हद तक आसान हो जाएगा.

लिविया एबरलिन टैक्सस यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. लिविया बताती हैं, ''इस डिवाइस की सबसे अच्छी बात है कि यह बड़ी ही आसानी से कैंसर टिश्यू की पहचान कर लेता है, इसे इस्तेमाल करना भी बहुत आसान है.''

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कैसा रहा परीक्षण?

इस तकनीक का परीक्षण 253 सैम्पल पर किया गया. इस डिवाइस को अगले साल तक प्रयोग करने का विचार है. उससे पहले इसका कई तरह से परीक्षण किया जा रहा है.

फिलहाल इस पेन के ज़रिए 1.5 मिलिमीटर तक छोटा टिश्यू पहचाना जा सकता है. हालांकि शोधार्थियों के अनुसार वे इस पेन को और ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे 0.6 मिलिमीटर छोटे टिश्यू की पहचान भी हो सके.

वैसे तो इस पेन की कीमत बहुत कम है, लेकिन इसके साथ लगने वाला स्पेकट्रोमीटर काफी महंगा और भारी है. डॉ. एबरलिन का भी यही मानना है. वे कहती हैं, ''इस डिवाइस के सफल होने के सामने स्पेक्ट्रोमीटर ही एक रोड़ा बना हुआ है, हालांकि हम छोटा और आसानी से प्रयोग हो सकने योग्य स्पेक्ट्रोमीटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.''

इससे पहले भी कई यूनिवर्सिटियों में कैंसर के इलाज से जुड़े डिवाइस बनाए गए हैं. लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में एक ऐसा चाकू इज़ाद किया गया था जिसकी मदद से भी कैंसर की पहचान की जा सकती है.

वहीं हावर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ब्रेन कैंसर को ठीक करने के लिए लेज़र तकनीक का प्रयोग कर रही है.

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English summary
these pen will catch the cancer in 10 seconds.
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