क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अमेरिकी डॉलर पर पुतिन चलाएंगे हथौड़ा, रूबल में व्यापार करने का आदेश, कैसे होगा कारोबार? भारत पर प्रभाव

रूसी राष्ट्रपति के आदेश के बाद मंगलवार को रूबल 85-प्रति-डॉलर तक पहुंच गया था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यूरोपीय संघ रातों-रात रूस से ऊर्जा आयात पर अपनी निर्भरता कम नहीं कर सकता है।

Google Oneindia News

मॉस्को, मार्च 30: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 23 मार्च को आदेश दिया है, कि यूरोपीय देशों को अमेरिकी डॉलर या यूरो के बजाय रूस की करेंसी रूबल में सभी प्राकृतिक गैस आयात के लिए भुगतान करना होगा। वहीं, रूस और भारत के बीच 'रुपया-रूबल' में व्यापार आगे बढ़ाने की बात दोनों देशों के बीच चल रही है और रूसी विदेश मंत्री के भारत दौरे के दौरान बातचीत के प्रमुख एजेंडे में रूबल से कारोबार का मुद्दा शामिल होगा। ऐसे में सवाल ये है, कि क्या पुतिन के इस आदेश के बाद डॉलर लड़खड़ाएगा? और आखिर रूबल में व्यापार करना कैसे संभव होगा?

रूबल में व्यापार करने का आदेश

रूबल में व्यापार करने का आदेश

यूरोपीय संघ अपनी प्राकृतिक गैस आवश्यकताओं का 40 प्रतिशत आयात रूस से करता है। रूस से बाहर आने वाली रिपोर्टों के अनुसार, पुतिन ने कहा कि रूस "समझौता" करने वाली मुद्राओं (डॉलर) में प्राकृतिक गैस का भुगतान स्वीकार नहीं करेगा। मुद्राओं की इस सूची में डॉलर और यूरो शामिल हैं। पुतिन ने कहा कि, "मैंने अमित्र देशों (अमेरिका-यूरोप) को रूसी रूबल में हमारी गैस आपूर्ति के लिए भुगतान को ट्रांसफर करने के उपायों के एक सेट को लागू करने का फैसला किया है।" अमित्र देशों की सूची में यूरोपीय संघ के देश, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं। जाहिर है, इस घोषणा के तुरंत बाद, प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल, दोनों की कीमतों में तेजी आ गई है।

पुतिन ऐसा क्यों कर रहे हैं?

पुतिन ऐसा क्यों कर रहे हैं?

सिर्फ रूबल में भुगतान स्वीकार करने का कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूबल की मांग को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के पहले के हफ्तों में रूबल डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो गया था। 2022 की शुरुआत और 24 फरवरी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच रूबल लगभग एक डॉलर के मुकाबले 75 से गिरकर एक डॉलर के मुकाबले 85 तक गिर गया। हालांकि, आक्रमण के बाद, एक पखवाड़े के भीतर रूबल का मूल्य लगभग 145 तक गिर गया। युद्ध और अनिश्चितता के स्पष्ट कारणों के लिए प्रत्येक निवेशक का पीछा करने के अलावा, रूसी मुद्रा को दंडित करने वाला प्रमुख कारक व्यापक प्रतिबंधों का सेट था जो पश्चिमी देशों ने रूस पर लागू किया था।

प्रतिबंधों से गिरी रूसी करेंसी

प्रतिबंधों से गिरी रूसी करेंसी

रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों के दो आवश्यक पहलू थे। एक, उन्होंने रूस के बाहर लक्जरी सामानों से लेकर सैन्य सामानों तक के अधिकांश निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। यूएस, यूके, ईयू और कनाडाई हवाई क्षेत्र में रूसी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दूसरा, रूस की अर्थव्यवस्था को कुचलने के लिए रूस पर काफी कड़े वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए गये। सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन यानि स्विफ्ट तंत्र से रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जो दुनिया भर के बैंकों को जल्दी और सुरक्षित रूप से पैसा स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है। स्विफ्ट में यूएस और यूरोपीय बैंकों का दबदबा है। रूसी केंद्रीय बैंक, जो भारत के आरबीआई के समकक्ष है, प्रतिबंध में उसे भी नहीं बख्शा गया। जिससे रूस की 630 अरब डॉलर (या 48 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की विदेशी मुद्रा संपत्ति फ्रीज हो गई। इन प्रतिबंधों का शुद्ध परिणाम रूसी व्यापार और रूसी व्यापारिक तंत्र का पतन था। जिससे रूसी करेंसी रूबल के किसी और देश की करेंसी में ट्रांसफर करने की दर में भारी गिरावट आ गई। क्योंकि, प्रतिबंधों से डरकर कोई भी देश रूस से व्यापार करने से डर गया है। जिससे पार पाने के लिए रूस ज्यादा से ज्यादा रूबल की डिमांड पैदा करना चाहता है, लिहाजा रूसी राष्ट्रपति ने सिर्फ रूबल में व्यापार करने का आदेश जारी किया है।

क्या इससे रूबल को मदद मिलेगी?

क्या इससे रूबल को मदद मिलेगी?

रूसी राष्ट्रपति के आदेश के बाद मंगलवार को रूबल 85-प्रति-डॉलर तक पहुंच गया था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यूरोपीय संघ रातों-रात रूस से ऊर्जा आयात पर अपनी निर्भरता कम नहीं कर सकता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, "रूस ने अपनी कंपनियों से कहा है कि, वे अपने राजस्व का 80% रूबल में स्वैप करने के लिए डॉलर और यूरो में भुगतान करें"। जबकि यह भी कहा गया है कि, रूबल की मांग पैदा करने का एक तरीका रूसी व्यापारिक प्रतिष्ठान... जो सामान खरीदने के लिए तो डॉलर का इस्तेमाल करते, लेकिन बेचने के लिए रूबल का ही इस्तेमाल करेंगे। इससे रूस में पड़ा वो डॉलर, जो प्रतिबंधों की वजह से 'बेकार' हो रहा था, वो रूस से बाहर निकलता और बदले में रूबल की मांग तेज हो जाती और पुतिन के इस फैसले से ऐसा ही कुछ देखने को भी मिल रहा है।

यूरोपीय देशों के पास कैसे आएगी रूबल?

यूरोपीय देशों के पास कैसे आएगी रूबल?

प्रतिबंधों के कारण, रूसी फर्मों के पास अब डॉलर या यूरो का कोई उपयोग नहीं बचा है। लिहाजा, यूरोपीय कंपनियों को अब उन बिचौलियों को ढूंढना होगा, जो डॉलर और यूरो स्वीकार करते हैं, उन्हें रूबल में ट्रांसफर करते हैं, और उन्हें यूरोपीय लोगों को देते हैं ताकि वे प्राकृतिक गैस के आयात के लिए भुगतान कर सकें। लेकिन, मुख्य प्रश्न यह है, कि यदि प्रत्यक्ष डॉलर/यूरो से रूबल विनिमय संभव नहीं है, तो मध्यस्थ के रूप में किस मुद्रा का उपयोग किया जाएगा? यानि, एक रूबल का वैल्यू क्या होना चाहिए, इसका पैमाना अगर डॉलर नहीं होगा, तो फिर रूबल का वैल्य कैसे तय किया जाएगा? ऐसे मे रूस ने एक और बड़ा दांव खेलते हुए चीन की मुद्रा 'युआन' को आगे कर दिया। यानि, इस हाला में युआन की कीमत को आधार बनाकर डॉलर/यूरो का आदान-प्रदान किया जाएगा और बदले में रूबल के लिए इसका आदान-प्रदान किया जाएगा। यानि, चीन की करेंसी का वैल्यू बढ़ जाएगा और जो काम अभी डॉलर कर रहा है, वो काम चीन की करेंगी युआन करेगी।

पुतिन के इस फैसले से कितना फायदा?

पुतिन के इस फैसले से कितना फायदा?

जहां तक तत्काल प्रभाव का सवाल है, डॉलर रूबल विनिमय दर से ट्रैक किया जाता है, इस कदम को मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन, रूस के लिए भी गंभीर प्रतिकूल दीर्घकालिक परिणाम हैं। पहला ये... कि पश्चिमी देश रूस के इस फैसलों को पहले हुए करार का 'उल्लंघन' मान रहे हैं। लेकिन, यूरोपीय देश रूसी ऊर्जा भंडार पर भी निर्भर हैं, लिहाजा वो रूस के इस फैसले का तत्काल विरोध कर पाने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन रूस के इस फैसले ने पश्चिमी देशों को विकल्प खोजने के लिए प्रेरित किया है। ये दोनों ऊर्जा के अन्य रूपों के संदर्भ में हो सकते हैं - जैसे कोयला या नवीकरणीय, या फिर सऊदी अरब की तरफ भी पश्चिमी देश रूख कर सकते हैं। जिससे आने वाले सालों में रूस मुसीबत में फंस जाएगा।

भारत किस तरह होगा प्रभावित?

भारत किस तरह होगा प्रभावित?

कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में करेंसी डेरिवेटिव्स एंड इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स के वाइस प्रेसिडेंट अनिंद्य बनर्जी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि, रूस से भारत के कच्चे तेल का आयात पिछले एक महीने में काफी बढ़ा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूसी कच्चा तेल (यूराल) ब्रेंट और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) दोनों पर भारी छूट पर उपलब्ध है। बनर्जी के अनुसार, रुपया-रूबल व्यापार पर बात चल रही है और रुपया-रूबल व्यापाक के लिए भी चीन की करेंसी युआन को ही आधार बनाया जाएगा। डॉलर के बजाय युआन के लिए बेंचमार्किंग का अर्थ यह होगा, कि डॉलर प्रति बैरल में तेल की कीमतों के बारे में बात करने के बजाय, अब युआन का जिक्र होगा। यानि, जैसे अभी हम कहते हैं, कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल हो गया है, उसे युआन का आधार बनाने के बाद कहेंगे कि, कच्चे तेल की कीमत 100 युआन प्रति बैरल हो गया है। जाहिर तौर पर, अगर चीनी मुद्रा को आधार बनाया जाता है और चूंकी सऊदी अरब और चीन के बीच भी यही करार हो रहा है, लिहाजा, इस फैसले पर आने वाले वक्त में डॉलर पर काफी असर पड़ेगा।

तेल के बाद रूस से दोगुना कोयला खरीदेगा भारत, मोदी सरकार की बहुत बड़ी घोषणा, और भड़केगा अमेरिका?तेल के बाद रूस से दोगुना कोयला खरीदेगा भारत, मोदी सरकार की बहुत बड़ी घोषणा, और भड़केगा अमेरिका?

Comments
English summary
President Putin has ordered that Russia will accept the ruble in exchange for energy supplies. Know how business will be done in ruble and its impact on India.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X