'हिंदू होना मुझे असहिष्णु नहीं बनाता', ऑक्सफोर्ड SU प्रेसीडेंट से इस्तीफे और विवादों पर रश्मि सामंत
लंदन। कर्नाटक से निकलकर ऑक्सफोर्ड के स्टूडेंड यूनियन प्रेसीडेंट का चुनाव जीत कर रश्मि सामंत ने इतिहास रचा था। लेकिन उनकी जीत का जश्न ठीक से खत्म भी नहीं हुआ था कि रश्मि ने स्टूडेंड यूनियन प्रेसीडेंट पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। अपने विचारों को लेकर ऑनलाइन निशाना बनाया गया था। इसमें उनकी हिंदू पहचान के साथ ही उन्हें यहूदी विरोधी, इस्लामोफोबिक और नस्लवादी होने का आरोप लगाया गया। अब रश्मि सामंत ने अपने पद से इस्तीफा दिए जाने और उनके ऊपर लगे आरोपों पर खुलकर बात की है।
रश्मि के परिजनों को बनाया निशाना
सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर रश्मि ने बताया है कि कैसे वह कर्नाटक के एक छोटे से उडुपी से निकलकर ऑक्सफोर्ड तक पहुंची। उन्होंने लिखा कि उनके माता पिता के पास यूनिवर्सिटी डिग्री भी नहीं है। इस बैकग्राउंड के साथ ऑक्सफोर्ड तक पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है।
रश्मि पर आरोप लगाते हुए उनके माता-पिता को भी निशाना बनाया गया था। इस पर बात करते हुए रश्मि ने लिखा कि चुनाव के बाद जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं, उसमें मुझे सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब मेरे माता-पिता को इसमें घसीटा गया। उनकी धार्मिक भावनाओं और क्षेत्रीयता का सार्वजनिक मंच पर अपमान किया गया।
हिंदू नस्लवादी होने का आरोप लगाने वालों को जवाब देते हुए रश्मि ने कहा कि हिंदू होना मुझे किसी भी तरह से असहिष्णु और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेसीडेंट के लिए अयोग्य नहीं बनाता है। बल्कि हिंदू होने से मैं विविधता के मूल्य को वास्तविक अर्थ में समझती हूं। हालांकि विकसित दुनिया की पेचीदगियों से मेरा संपर्क सीमित है।
यहूदी विरोधी होने का आरोप
रश्मि पर यहूदी विरोधी होने का भी आरोप लगाया गया है। इसके लिए सोशल मीडिया पर उनके द्वारा शेयर की गई 2017 की एक तस्वीर के जरिए निशाना बनाया गया है। उन्होंने बर्लिन में होलोकॉस्ट मेमोरियल के बाहर खड़े होकर तस्वीरें डाली थीं। इन तस्वीरों के आधार पर उन्हें होलोकॉस्ट की गंभीरता को कम करने का आरोप लगाया गया था।
इसके साथ ही उनके माता-पिता की सोशल मीडिया पर भगवान राम के साथ तस्वीर को लेकर भी निशाना साधा गया। ऑक्सफोर्ड के एक फैकल्टी ने कहा कर्नाटक के जिस क्षेत्र से वह आती हैं वह इस्लामोबिक ताकतों का गढ़ है। यही नहीं उनके चुनाव को भारत में सत्ताधारी पार्टी द्वारा फंडेड बताया था।
रश्मि ने बताई पद छोड़ने की वजह
रश्मि के इन सवालों को लेकर अपनी पोस्ट में खुद ही सवाल उठाते हुए लिखा "ऑक्सफोर्ड एसयू प्रेसीडेंसी जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने के बाद मैंने कदम क्यों उठाया? क्या इसलिए कि असंवेदनशीलता के इन आरोपों से मुझे एहसास हुआ कि मैं ऑक्सफोर्ड एसयू अध्यक्ष होने के लायक नहीं थी?" वह कहती हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं था।
रश्मि ने लिका मैंने पद इसलिए छोड़ दिया क्योंकि मेरे मूल्यों ने मुझे संवेदनशील होना सिखाया। उन लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मैं अपने उस विश्वास के लिए संवेदनशील हूं कि हमें साथी मनुष्यों का सम्मान करने की आवश्यकता है और छात्र कल्याण के लिए संवेदनशील हूं। वह समुदाय जो एक कामकाजी स्टूडेंट यूनियन का हकदार है और व्यक्तिगत स्तर पर साइबरबुलिंग के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हूं। जो 'संवेदनशीलता' के नाम पर मुझे निशाना बना रहा है।
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