Special Report: इंडिया के QUAD डिप्लोमेसी में फंसा चीन ‘हिन्दी चीनी भाई भाई’ कहने पर कैसे हुआ मजबूर?
इंडिया ने QUAD के जरिए चीन को फंसा लिया है और इंडियन डिप्लोमेसी का ही नतीजा है कि चीन क्वाड बैठक से पहले बैकफुट पर नजर आ रहा है।
बीजिंग/नई दिल्ली: भारत के क्वाड प्लान ने चीन को बुरी तरह से बौखला कर रख दिया है। इसी महीने अमेरिका के रक्षामंत्री भारत आने वाले हैं और उसके ठीक बाद क्वाड देशों की वर्चुअल मीटिंग होने वाली है, जिसमें भारत की काफी बड़ी भागीदारी रहने वाली है मगर क्वाड की बैठक से पहले चीन बौखला गया है और क्वाड के खिलाफ जहर उगलने में लग गया है। चीन ने कहा है कि भारत और सदस्य देशों का क्वाड प्लान कभी भी कामयाब नहीं हो पाएगा।
क्वाड से घबराया ड्रैगन
चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका ने क्वाड को लेकर काफी तेज शुरूआत की है। इसी महीने अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड एस्टन भारत का दौरा करने वाले हैं जहां वो भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन क्वाड यानि इंडिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका...से वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने जा रहे हैं और क्वाड का मुख्य उद्येश्य चीन को रोकना है। यानि, ग्लोबल टाइम्स में चीन के डर का विश्लेषण जरूर किया गया है लेकिन आगे लिखा गया है कि 'चीन मानता है की क्वाड से चीन को रोकने की कोशिश नाकाम हो जाएगा क्योंकि इसके सदस्य देशों की अपनी अलग अलग समस्याएं हैं'
ग्लोबल टाइम्स ने चीनी एक्सपर्ट के हवाले से लिखा है कि 'क्वाड को लेकर जितनी तेजी से काम हो रहा है वो अमेरिका की बेचैनी को दिखा रहा है। वहीं, क्वाड के सभी देशों के पास अलग अलग एजेंडे हैं, जिसकी वजह से ये गठबंधन नहीं बन पाएगा। वहीं, क्वाड के हर देश के पास अलग अलग गोल्स होने की वजह से क्वाड सिर्फ एक 'इम्पटी टॉक क्लब' बनकर रह जाएगा'
तेजी से बदलता घटनाक्रम
अमेरिका के रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन इसी महीने भारत का दौरा कर रहे हैं जहां उनकी मुलाकात भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से होगी। दोनों नेताओं के बीच भारत-अमेरिका के बीच मिलिट्री गठबंधन को और मजबूत करने की होगी। ताकि इंडो-पैसेफिक रीजन में चीनी वर्चस्व को कम किया जा सके। जिस वक्त अमेरिका के रक्षामंत्री भारत के दौरे पर रहेंगे, उसी वक्त अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन जापान के दौरे पर रहेंगे। और भारत का दौरा खत्म कर अमेरिकन रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन जापान जाएंगे। जहां जापान के अधिकारियों के साथ चीन के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री की बातचीत होगी। बताया जा रहा है कि जापान में मुलाकात के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी भारत का दौरा कर सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री भारत आएंगे या नहीं, इसे लेकर कोई ऑफिसियल जानकारी नहीं है। लेकिन, क्वाड को लेकर बेहद तेजी से चीजें बदल रही हैं और भारत काफी तेजी के साथ चीन को चुनौती देने की तरफ बढ़ रहा है, ये साफ तौर पर महसूस किया जा रहा है।
भारत को मिलेगा डिफेंस टेक्नोलॉजी
चीनी अखबार के रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और अमेरिका डिफेंस सेक्टर में ऐतिहासिक तौर पर एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। और भारत के डिफेंस सिस्टम और हथियारों को अत्याधुनिक करने के लिए अमेरिका भारत को डिफेंस टेक्नोलॉजी देगा। चीनी रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ चीन को काउंटर करने के लिए चीन और अमेरिका के बीच में ऐतिहासिक मिलिट्री समझौता होने जा रहा है। अमेरिका भारत को कितना महत्व दे रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के डिफेंस मिनिस्टर सबसे पहले भारत का दौरा कर रहे हैं। चीनी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सैन्य संबंध पर नजर रखनी चाहिए। चीनी रिपोर्ट में चीन की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और अमेरिका अपनी अपनी मजबूरियों के चलते करीब आ रहे हैं लेकिन दोनों अपना अपना फायदा निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका जहां भारत की मदद से इंडो पैसिफिक रीजन में चीन को रोकने की कोशिश कर रहा है वहीं भारत चीन के सामने अमेरिका को दोस्त बताकर अपनी ताकत का इजहार करना चाहता है।
भारत से दोस्ती की बात
चीन जानता है कि उसके खिलाफ विश्व के तमाम बड़े देशों में गुस्सा है और चीन ये भी जानता है कि अमेरिका में जो नई सत्ता आई है वो मानवाधिकार को तो महत्व देती ही है, इसके अलावा वो संतुलित सरकार है जो फिर से अमेरिका का वर्चस्व विश्व समुदाय में बनाना चाहती है। लिहाजा पिछले हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्री वांग यी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को अपना दोस्त बताने लगे। जबकि, पिछले साल ही दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी और एक महीने पहले तक अमेरिका और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात बन गये थे। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर चीन अचानक बदल क्यों रहा है? पिछले हफ्ते चीनी विदेशमंत्री ने कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा विवाद सदियों पुराना है जिसके समाधान के लिए सिर्फ शांति ही एक रास्ता है।
अपनी सैन्य ताकत से छोटे देशों को धमकाने वाला चीन जानता है कि अगर क्वाड के जरिए उसके खिलाफ कोई बड़ा प्लान पास होता है तो फिर उसके लिए दादागीरी करना नामुमकिन सरीखा हो जाएगा। क्योंकि, क्वाड के जरिए सिर्फ मिलिट्री फ्रंट पर ही नहीं बल्कि आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर भी बातचीत होने वाली है। साथ ही माना ये भी जा रहा है कि क्वाड के चारों देश आपस में व्यापारिक रिश्ते पर बात कर सकते हैं और चीन की कंपनियों को कैसे देश से बाहर किया जाए, इसको लेकर भी प्लानिंग की जा सकती है। लिहाजा चीन की बौखलाहट क्वाड को लेकर बार बार सामने आ रही है।
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