धरती से 4 गुना भारी है नई 'पृथ्वी', 10.8 दिनों में पूरा होता है एक साल, जानिए हम से है कितनी दूर ?
वॉशिंगटन डीसी (अमेरिका), 7 अगस्त: नासा के वैज्ञानिकों को एक और पृथ्वी मिली है, जिसका द्रव्यमान हमारी धरती से चार गुना ज्यादा है। इस नई धरती को 'न्यू सुपर अर्थ' कहा जा रहा है, जिसपर जीवन की संभावनाओं की तलाश की जानी है। हाल के समय में अपनी पृथ्वी की गति बढ़ने को लेकर कई चौंकाने वाली रिपोर्ट आ चुकी है, ऐसे में एक नई पृथ्वी की खोज तारों-सितारों की दुनिया में दिलचस्पी रखने वालों के लिए बहुत ही अच्छी खबर है। हालांकि, नई पृथ्वी का जो 'सूर्य' है, वह हमारे सूरज जितना ज्यादा गर्म नहीं है।
'न्यू सुपर अर्थ' की खोज
अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन (नासा) ने एक 'न्यू सुपर अर्थ' की खोज की है, जिसका द्रव्यमान हमारी धरती से चार गुना ज्यादा है। नासा के मुताबिक रॉस 508बी 'अपने तारे के बसने योग्य क्षेत्र के अंदर और बाहर घूम रहा है।' इसे अपने तारे की परिक्रमा करने में सिर्फ 10.8 दिन लगते हैं, यानी यह इतने समय में अपना एक वर्ष पूरा कर लेता है। जैसे हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, 'सुपर अर्थ' भी एक एम-टाइप तारे की परिक्रमा करती है। एम-टाइप तारा हमारे सूर्य के मुकाबले काफी ज्यादा सुर्ख लाल रंग, ठंडा और काफी मंद प्रकाश वाला है।
दूसरी दुनिया पर जीवन की संभावनाओं को नई उड़ान
सबसे बड़ी बात ये है कि वैज्ञानिकों को लगता है कि रॉस 508बी एक्सोप्लैनेट की सतह पर पानी हो सकता है। इसकी वजह से भविष्य में ऐसे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं की तलाश के लिए यह खोज बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है, जो इसकी तरह कम द्रव्यमान वाले एम बौने तारों का चक्कर लगाते हैं। हमारे सोलर सिस्टम में लाल बौने तारों की भरमार है और हमारी आकाशगंगा के तीन-चौथाई में हैं।
एक्सपोप्लैनेट हैं वैज्ञानिकों के लिए बेहतरी लक्ष्य
जहां तक नासा की बात है तो वह हमारे ब्रह्मांड में ऐसे एक्सपोप्लैनेट को अपना बेहतरीन लक्ष्य मानकर चल रहा है। नासा के एक्सोप्लैनेटरी इनसाइक्लोपीडिया में 5,069 डिसकवरीज की पुष्टि, 8,833 कैंडिडेट और 3,797 प्लैनेटरी सिस्टम की लिस्ट तैयार है। 2020 में एक ऐसे ही 'सुपर अर्थ' की खोज की गई थी। कैंटरबरी यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने पहले से अनदेखा ग्रह भी देखा है, जो पृथ्वी के समान आकार और द्रव्यमान वाले कुछ ग्रहों में शामिल है।
सुबारू टेलीस्कोप ने खोज में निभाया बड़ा रोल
इसका एक मेजबान तारा भी है, जो सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 10 फीसदी है। सुपर अर्थ का द्रव्यमान पृथ्वी और नेपच्यून के बीच में है। इस शोध के लीड ऑथर डॉक्टर हेरेरा मार्टिन ने इस खोज को अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ बताया है। धरती की तरह के 'सुपर अर्थ' की खोज में सुबारू टेलीस्कोप ने मदद की है। इस खोज के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ की भी उपयोग किया गया है।
एक्सोप्लैनेट क्या हैं ?
अबतक
पृथ्वी
पूरे
ब्रह्मांड
में
बाकी
सभी
ग्रहों
से
अद्वितीय
इसलिए
है,
क्योंकि
यहीं
जीवन
(अभी
तक
तो
यही
जानकारी
है)
है।
खगोल
विज्ञान
की
भाषा
में
एक्सोप्लैनेट
उन्हीं
ग्रहों
को
कहा
जाता
है,
जिन्हें
इसके
संभावित
कैंडिडेट
के
रूप
में
स्वीकार
कर
उसपर
रिसर्च
किया
जाता
है।
ये
ग्रह
भी
उसी
तरह
किसी
तारे
का
चक्कर
लगाते
हैं,
जैसे
सौर
मंडल
के
ग्रह
सूरज
के
चारों
और
परिक्रमा
करते
रहते
हैं।
खगोलविदों
को
कई
ऐसे
एक्सोप्लैनेट
खोजने
में
कामयाबी
मिली
है,
जो
पृथ्वी
की
तरह
तो
हैं,
लेकिन
ज्यादातर
में
अत्यधिक
तापमान
होने
की
वजह
जीवन
की
संभावनाएं
खारिज
हो
जाती
हैं।
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धरती से 37 प्रकाश वर्ष दूर 'नई पृथ्वी'
नासा ने अपने एक्सोप्लैनेट ट्विटर अकाउंट से 'न्यू सुपर अर्थ' की खोज की जानकारी साझा की है, जिसे धरती से 37 प्रकाश वर्ष दूर बताया गया है। इसके कैप्शन में लिखा है, 'डिसकवरी अलर्ट! हाल ही में खोजा गया एक्सोप्लैनेट अपने तारे के बसने योग्य क्षेत्र के अंदर और बाहर घूम रहा है। यह पृथ्वी से 37 प्रकाश वर्ष दूर है और हमारे ग्रह के द्रव्यमान से करीब चार गुना है, जिससे रॉस 508बी एक सुपर-अर्थ बन जाता है। वहां का एक साल, एक परिक्रमा, सिर्फ 10.8 दिनों में होता है!'(ऊपर की तस्वीरें- सांकेतिक)