मौलानाओं के 'दुश्मन' प्रिंस सलमान बने प्रधानमंत्री, जानिए 2030 तक सऊदी को बदलने का क्या है विजन?
सऊदी क्राउन प्रिंस का मानना है कि, भले अभी तेल की वजह से दुनिया सऊदी अरब का सम्मान करती है और सऊदी अरब की बातों को सुना जाता है, लेकिन तेल खत्म होने के बाद सऊदी अरब को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
रियाद, सितंबर 28: सऊदी अरब के शक्तिशाली क्राउन प्रिंस देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे और मंगलवार की रात इस बाबत शाही आदेश जारी कर दिए गये हैं, जिसमें सरकारी फेरबदल की जानकारी दी गई है। पारंपरिक तौर पर सऊदी अरब में राजा का पद प्रधानमंत्री के पास रहता है, लेकिन अब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। जिसके बाद अब सत्ता का कंट्रोल पूरी तरह से प्रिस सलमान के हाथों में होगा, लिहाजा माना जा रहा है, कि सऊदी अरब में आने वाले वक्त में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकते हैं, खासकर प्रिंस सलमान अपने मिशन-2030 को लेकर काफी तेजी से काम करना चाहते हैं, जिसके तहत वो देश की अर्थव्यवस्था को सिर्फ तेल तक ही केन्द्रित नहीं रखना चाहते हैं, बल्कि उनका मकसद सऊदी अरब को हर धर्म के लिए सहिष्णु बनाना भी है।
प्रिंस सलमान होंगे प्रधानमंत्री
हालांकि, क्राउन प्रिंस पिछले कई सालों से अपनी पिता की खराब सेहत की वजह से देश के वास्तविक शासक रहे हैं, लेकिन अपने पिता सलमान के शासनकाल में वो देश के उप-प्रधानमंत्री और देश के रक्षामंत्री थे। लेकिन, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद अब उनके छोटे भाई खालिद बिन सलमान देश के नये रक्षा मंत्री होंगे, जो अभी तक उप- रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे। आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा प्रकाशित किंग सलमान के एक शाही फरमान के अनुसार, देश के बाकी मंत्रालयों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है गृह विभाग, विदेश विभाग और ऊर्जा विभाग के मंत्रियों में कोई तब्दिली नहीं की गई है। प्रिंस मोहम्मद, जो पिछले महीने 37 साल के हो गए हैं, 2017 से अपने पिता के बाद राजा बनने की कतार में हैं। वह 2015 में रक्षा मंत्री बने थे और फिर सत्ता के हर प्रतिष्ठानों पर उनका वर्चस्व स्थापित हो गया। खासकर पिता सलमान के बीमार होने के बाद उन्होंने देश की सारी जिम्मेदारियां अपने हाथों में ले ली थी। पिछले महीने जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सऊदी अरब का दौरा किया था, उस वक्त भी प्रिंस सलमान ने ही उनसे मुलाकात की थी।
बीमार रहते हैं किंग सलमान
सऊदी अरब के किंग सलमान, जिनकी उम्र अब 86 साल की हो चुकी है, वो पिछले कुछ सालों से एक्टिव पॉलिटिक्स में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं और 2015 के बाद से प्रिंस सलमान ही एक तरह से देश चला रहे हैं। हालांकि, 2015 के बाद से ही अटकलें लगाई जा रहीं थीं, कि प्रिस सलमान को नया राजा बना दिया जाएगा, लेकिन 2017 में इन तरह की सभी रिपोर्ट्स को सऊदी राज परिवार ने खारिज कर दिया था और बयान में कहा गया था, कि किंग सलमान की राजा का पद छोड़ने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। सऊदी राज्य मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, किंग सलमान को इस साल अब तक दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है और हाल ही में मई में उनका कोलोनोस्कोपी करवाया गया था और वो एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहे थे।
सऊदी अरब में तेजी से धर्म सुधार
सऊदी अरब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश को मजहबी कट्टरता से निकालने के लिए एक तरह की मुहिम छेड़ रखी है और उन्होंने इसके लिए 2030 का टार्गेट तय किया है। वहीं, अब जब क्राउन प्रिंस देश के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, तो माना यही जा रहा है, कि धर्म सुधार आंदोलन को वो तेजी से आगे बढ़ाएंगे। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का मानना है कि, सऊदी अरब की पहचान एक तेल संपन्न और कट्टर मुस्लिम देश के तौर पर ना हो, बल्कि एक उदार देश के तौर पर सऊदी अरब को पहचाना जाए, जहां हर धर्म और हर संप्रदाय को एक समान, एक नजर से देखा जाता है और किसी के ऊपर कोई धार्मिक पाबंदी ना हो। लिहाजा क्राउन प्रिंस ने मजहबी कट्टरता के खिलाफ बेहद सख्त मुहिम चला रखी है, और उसी कदम के तहत पिछले साल दिसंबर महीने में क्राउन प्रिंस ने कट्टरवादी इस्लामिक संगठन तबलीगी जमात को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके साथ ही सऊदी सरकार ने तबलीगी जमात को 'आतंक का दरवाजा' भी बताया था।
लाउडस्पीकर पर लगा चुके हैं प्रतिबंध
पिछले साल मई-जून में सऊदी क्राउन प्रिंस देश की मस्जिदों में अजान के समय बजने वाले लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। सऊदी किंगडम ने साफ तौर पर कहा था कि, लाउडस्पीकर बजाना इस्लाम को प्रतिनिधित्व नहीं करता है और लाउडस्पीकर पर अजान की तेज आवाज दूसरे लोगों को परेशान करती हैं, लिहाजा किंगडम की तरफ से मस्जिदों में लाउडस्पीकर नहीं बजाने का आदेश जारी कर दिया गया। सऊदी किंगडम ने कहा था कि अजान की तेज आवाज की वजह से बच्चों को सोने में दिक्कत होती है, लिहाजा मस्जिदों में अजान के वक्त आवाज को काफी कम रखा जाए। उनके आदेश के बाद मस्जिदों के लाउडस्पीकर क्षमता को एक तिहाई कर दिया गया। इसके साथ ही ये भी नियम बना दिया गया कि, पूरी अजान के दौरान लाउडस्पीकर चलाए रखना जरूरी नहीं है, सिर्फ शुरू में लाउडस्पीकर चलाकर फिर बंद कर दिया जाए। अब माना जा रहा है, कि प्रिंस सलमान देश की मस्जिदों को लेकर और भी सख्त नियम बना सकते हैं, खासकर मस्जिदों के कट्टर मौलाना काफी लंबे वक्त से उनके निशाने पर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था के नये युग में जाने की तैयारी
सऊदी क्राउन प्रिंस का मानना है कि, भले अभी तेल की वजह से दुनिया सऊदी अरब का सम्मान करती है और सऊदी अरब की बातों को सुना जाता है, लेकिन तेल खत्म होने के बाद सऊदी अरब को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। लिहाजा, सऊदी को भविष्य में आने वाले संकट से बचाने के लिए सऊदी अरब की सरकार ने उदारीकरण की प्रक्रिया देश में तेजी से शुरू कर दी है और सबसे पहले धार्मिक कट्टरता पर हथौड़ा चलाया जा रहा है। समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ एस्सेक्स के पॉलिटिकल लेक्चरर अज़ीज़ अल्घाशियान ने पिछले साल दिसंबर में बताया था कि, 'सऊदी अरब अपनी बुनियाद को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है'। उन्होंने कहा था कि 'सऊदी अरब एक ऐसा देश बनने की कोशिश में है, जहां कोई धार्मिक कट्टरता नहीं हो, जहां हर संस्कृति का मेल हो, जहां के बारे में सोचकर किसी को डर ना लगे, जहां पर्यटन समृद्ध हो और जहां निवेश की काफी ज्यादा संभावनाए हों।'
सऊदी में हो रहा है वैचारिक परिवर्तन
सऊदी अरब में एक वक्त अगर कोई नमाज के वक्त नमाज पढ़ता नहीं मिलता था तो उसे पुलिस जबरदस्ती मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए भेजती थी, लेकिन अब हर दिन पांचों वक्त नमाज के वक्त सऊदी अरब में दुकानें और मॉल्स खुला रहता है। यहां तक की रमजान के महीने में भी दिन में होटलों के खुले रहने की इजाजत दी जा चुकी है। सऊदी अरब में एक वक्त मस्जिदों के मौलाना अपनी मर्जी से मस्जिदों के लिए कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन पावर में आने के बाद क्राउन प्रिंस ने मौलानाओं के अधिकारों को छीन लिए, जिसकी वजह से वो हमेशा से मौलानाओं की आंखों की किरकिरी रहे हैं और जिन मौलानाओं ने उनके खिलाफ आवाज उठाई है, उन्हें जेल भेज दिया गया। जिसके लिए उनकी आलोचना भी की गई है। सऊदी अरब में अब मौलाना वही कर सकते हैं, जो उन्हें सरकार की तरफ से कहा जाएगा। यहां तक कि अब सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने की इजाजत दी जा चुकी है और यहूदियों को पूर्ण आजादी दी जा चुकी है।
देश को धार्मिक सहिष्णु बनाने की कोशिश
सऊदी की स्कूलों में सुधार कार्यक्रम सऊदी अरब में स्कूलों में सुधार कार्यक्रम काफी तेजी के साथ जारी है और सऊदी अरब के स्कूली किताबों के सिलेबस को बदला जा रहा है। सऊदी अरब में स्कूली किताबों से इस्लाम की कई मान्यताओं को बाहर कर दिया गया है, वहीं दूसरे धर्मों को भी सिलेबस में जोड़ दिया गया है। सऊदी अरब की स्कूली किताबों में रामायण, महाभारत और गीता के कई अध्यायों को शामिल किया गया है। वहीं, योग को भी सिलेबस में शामिल किया गया है। इसके साथ ही अब सऊदी में अंग्रेजी की पढ़ाई करना अनिवार्य कर दिया गया है और इंग्लिश में पास होना छात्रों के लिए अनिवार्य है। हालांकि, सऊदी अरब में दूसरे धर्मावलंबियों के लिए अपने धर्म का प्रचार करना अब भी प्रतिबंधित है, लेकिन सऊदी सरकार के सलाहकार अली शिहाबी ने हाल ही में अमेरिकन मीडिया 'इनसाइडर' से कहा है कि सरकार जल्द दी सऊदी अरब में चर्च खोलने की इजाजत देने वाली है और चर्च के पास अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की इजाजत भी होगी।
अमेरिका और भारत में पाकिस्तान पर जमकर बहसबाजी, क्या जियोपॉलिटिक्स में कोई नहीं है सच्चा साथी?