
विशालकाय Glacier ने मचाई तबाही, 78,000 वर्ग मीटर बर्फ खत्म, दिखा सुनामी का मंजर

Glacier breaks down in Antarctica: प्राकृतिक आपदाएं लगातार हमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों ने सजग करती रही हैं। लेकिन दुनिया के तमाम देश स्पर्धा की होड़ में अक्सर इसे नजअंदाज करते रहे हैं। जिस कारण ग्रीन हाउस इफेक्ट, ग्लोबल वार्मिंग, असमान वर्षा, बाढ़, सूनामी जैसी तूफान आ रहे हैं। इससे कई देश अक्सर नुकसान उठा रहे हैं। हाल में अंटार्कटिका पर एक ऐसा ही सूनामी देखी गई। जिसमें एक विशालकाय ग्लेशियर टूटकर विखर गया। इस दौरान वहां भारी तबाही का मंजर दिखा।

आंखों- देखी तबाही का मंजर
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में ग्लेशियर्स के पिघलने की घटना सामने आई है। हाल ही में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के आरआरएस जेम्स क्लार्क रॉस के बोर्ड के शोधकर्ताओं ने ग्लेशियर को लेकर एक बड़ा अपडेट साझा किया है। ये अंटार्कटिका का विलियम ग्लेशियर था। जो उनकी आंखों के सामने एक हजार छोटे टुकड़ों में बिखर गया। बता दें कि विलियम ग्लेशियर अंटार्कटिक प्रायद्वीप का ग्लेशियर है। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुए एक लेख के अनुसार, ग्लेशियर टूटने को लेकर परिणाम अब जारी किए गए हैं। यह घटना 2020 में हुई जब ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के आरआरएस जेम्स क्लार्क रॉस अनुसंधान जहाज पर सवार टीम अंटार्कटिक प्रायद्वीप से समुद्र का माप ले रही थी। उन्होंने अपनी आंखों के सामने विलियम ग्लेशियर को एक हजार छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखरते हुए देखा।

फुटबॉल फील्ड से 10 गुना बड़ा था ग्लेशियर
विलियम ग्लेशियर समुद्र तल से करीब 40 मीटर ऊपर है। शोधकर्ताओं की टीम के अनुमान के मुताबिक, ग्लेशियर पिघलने की घटना में लगभग 78,000 वर्ग मीटर बर्फ खत्म हुई। जो की लगभग 10 फुटबॉल के मैदान जितना होगा। ग्लेशियर फ्रंट के टूटने से पहले 50-100 मीटर की गहराई पर समुद्र का पानी ठंडा था और इसके नीचे एक गर्म पानी की परत थी। लेकिन जब ग्लेशियर टूटा तो तापमान पानी के सभी स्तरों को तेजी से बढ़ा।

सूनामी लाने वाली घटना
78,000 वर्ग मीटर बर्फ वाले ग्लेशियर का पिघटना कोई आम बात नहीं है। ऐसी घटनाएं ही सूनामी लाती हैं। विलियम ग्लेशियर के टूटने का विश्लेषण करने वाली टीम के अनुसार ग्लेशियर के शांत होने से जोरदार आंतरिक तरंगें उत्पन्न होती हैं। विलियम ग्लेशियर में आम तौर पर साल में एक या दो ऐसी घटनाएं होती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्र के मिश्रण में आंतरिक सुनामी लहरें एक महत्वपूर्ण कारक हैं, जो समुद्री जीवन, विभिन्न गहराई पर तापमान और समुद्र की कितनी बर्फ को पिघला सकता है, को प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं ने यूरोप के कॉपरनिकस सेंटिनल -1 उपग्रहों के डेटा का इस्तेमाल किया, जब जहाज उपर से गुजरा, जबकि जहाज प्रायद्वीप के करीब था और एक रडार छवि पर कब्जा कर लिया।

क्यों पिघलते हैं ग्लेशियर?
लगातार पिघलते ग्लेशियर भविष्य में बड़ी आपदा का कारण बनने वाले हैं। इसे समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। ग्लेशियर के पिघलने का मूल कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जो ग्रीन हाउस गैस इफेक्ट के कारण होता है। जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत सारे ग्लेशियर समुद्र में समाप्त हो जाते हैं या फिर हिमखंडों में विभाजित हो जाते हैं। इससे बड़ी सतही लहरें पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा समुद्र के अंदर भी लहरें पैदा होती हैं। ये आंतरिक तरंगें समुद्र को मिलाने का कारण बनती हैं जो कि समुद्र में जीवन को प्रभावित करती है।

अंटार्कटिका में पहली आखों-देखी घटना
भूस्खलन के कारण कुछ स्थानों पर आंतरिक सुनामी देखी गई। लेकिन अब तक अंटार्कटिका में ऐसा होता है इसकी जानकारी इतनी स्पष्ट नहीं थी। जबकि इस क्षेत्र में ग्लेशियर्स की भरमार है। यहां ग्लेशियर्स के पिघटने की घटना आम है लेकिन इतने विशालकाय ग्लेशियर को पिघलना किसी बड़ी आपदा का कारण बनता है। ऐसे में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के आरआरएस जेम्स क्लार्क रॉस के बोर्ड के शोधकर्ताओं ने वहां हुई इस घटना को कैमरे में कैद कर लिया।
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