जानें इजरायल की खुफिया एजेंसी Mossad के बारे में जिस पर लगा है ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या का आरोप
नई दिल्ली। शुक्रवार (27 नवंबर 2020) का दिनईरान के लिए बड़ा ही मनहूस दिन रहा ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की तेहरान के पास हत्या कर दी गई है। वैज्ञानिक की हत्या के लिए ईरान ने इजरायल को जिम्मेदार बताया है। इस हत्या के बाद एक बार फिर इजराइल की कुख्यात खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) की ओर उंगलिया उठने लगी हैं। ईरान के वैज्ञानिक की हत्या का इसी खूफिया एजेंसी मोसाद से जुड़े होने का दावा किया गया है। इसके अलावा 2018 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कागजात चोरी कर इजरायल पहुंचाने के पीछे इसी मोसाद एजेंसी का हाथ बताया जा रहा है।
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शुक्रवार को हुई हत्या के बाद ईरान सरकार ने मोहसिन की हत्या कर बदला लेने का ऐलान कर दिया है। ईरान के वैज्ञानिक की हत्या ऐसे समय में हुई है जब पहले से फारस की खाड़ी में ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चल रहा है। ईरान के मिलिट्री कमांडर ने साफ कर दिया है कि उनका देश इसका ऐसा बदला लेगा कि इजरायल को पछताने पर मजबूर कर देगा।
मोसाद पर लग चुके हैं इन वारदातों के आ
रोप
वर्ष
1960
में
अडोल्फ
ईशमन
की
किडनैपिंग
के
अलावा
1972
म्यूनिक
ओलिंपिक
इजरायल
के
ऐथलीट्स
को
मारा
जाने
जैसी
घटनाओं
को
मोसाद
अंजाम
दिया
है।
मोसाद
के
जसासू
न्यूक्लियर
आर्काइव
को
2018
में
ईरान
से
अजरबैजान
के
रास्ते
इजरायल
ले
गए
थे
और
ईरान
की
सुरक्षा
एजेंसियां
हाथ
पर
हाथ
धरे
बैठी
रही
थी।
जानें
मोसाद
का
क्या
है
काम
मोसाद
का
डायरेक्टर
कोहेन
बहुत
प्रभावशाली
है
इजरायल
और
बाहरेन,
संयुक्त
अरब
अमीरात
और
सूडान
से
वार्ता
करवाने
में
भी
उसका
अहम
रोल
रहा
है।
डायरेक्टर
कोहेन
अरब
देशों
में
अपने
लेवल
के
लोगों
के
साथ
बातचीत
के
लिए
गए
और
कोरोना
वायरस
से
निपटने
के
लिए
मोसाद
ने
महत्वपूर्ण
कार्य
किए।
इस
एजेंसी
का
काम
खुफिया
सूचना
एकत्र
करना
और
खुफिया
ऑपरेशनों
को
अंजाम
देना
और
आतंकवाद
के
खिलाफ
लड़ाई।
देश
के
किसी
भी
कानून
में
इसके
उद्देश्य,
भूमिकाओं,
मिशन,
पावर
और
बजट
के
बारे
में
कोई
वर्णन
नहीं
किया
गया
है।
इस
एजेंसी
को
संवैधानिक
कानूनों
से
अलग
रखा
गया
है।
इसलिए
मोसाद
को
डीप
स्टेट
कहते
हैं
इसकी
जवाबदेही
सीधे
प्रधानमंत्री
को
होती
है।
इसकी
Metsada
यूनिट
दुश्मनों
पर
हमले
करती
है।
ईरान
में
मोसाद
इन
वैज्ञानिकों
की
कर
चुकी
है
हत्या
इससे
पहले
भी
मोसाद
ने
कई
हत्याओं
को
अंजाम
दिया
है।
फखरीजादेह
से
पहले
चार
ईरानी
वैज्ञानिकों
काम
पर
जाते
समय
हत्या,
वर्ष
2020
में
पार्टिकल
फिजिक्स
एक्सपर्ट
मसूद
अली
मोहम्मदी
को
रिमोट-कंट्रोल्ड
बम
से
उड़ाना,
2020
में
ही
न्यूक्लियर
साइंटिस्ट
माजिद
शहरियार
की
कार
पर
बमफेंककर
हत्या,
ईरान
के
तत्कालीन
अटॉमिक
चीफ
फेरेदून
अब्बासी
की
हत्या
की
कोशिश,
साल
2011
में
दारिउश
रेजैनेजाद
की
हत्या,
2012
में
ईरान
की
यूरेनिय
एनरिचमेंट
फसिलटी
के
डेप्युटी
हेड
मुस्तफा
अहमदी
रोशन
की
हत्या
इसी
मोसाद
एजेंसी
ने
की
थी।
जानें
मोसाद
की
क्यों
की
गई
थी
स्थापना?
13
दिसंबर,
1949
को
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
डेविड
बेन-गूरियन
के
मशवरें
पर
इसकी
स्थापना
की
गई
थी।
डेविड
चाहते
थे
कि
उसकी
सेंट्रल
इकाई
बने
और
मौजूदा
सिक्यॉरिटी
सेवाओं-
सेना
के
इंटेलिजेंस
डिपार्टमेंट,
आंतरिक
सुरक्षा
सेवा
और
विदेश
के
राजनीति
विभाग
के
साथ
समन्वय
और
सहयोग
को
बढ़ाए।
मार्च
1951
में
इसे
पीएम
कार्यालय
का
हिस्सा
बना
दिया
गया
और
इस
एजेंसी
की
रिपोर्टिेग
सीधे
प्रधानमंत्री
के
अंडर
में
कर
दी
गई।
परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या से गुस्साया ईरान, कहा-अब पछताएगा इजरायल