जस्टिस आयशा मलिक बनी पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज, रोकने की हर कोशिश गई बेकार
पाकिस्तान न्यायिक सिस्टम ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पहली बार सुप्रीम कोर्ट में महिला जज के नाम पर मुहर लगा दी है। आयशा मलिका पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बन गई हैं।
इस्लामाबाद, जनवरी 25: किसी देश के सिस्टम के शिखर पर किसी महिला की पहुंचना ऐतिहासिक ही होता है। जैसे पहली बार अमेरिका में एक महिला का उपराष्ट्रपति बनना हो या पाकिस्तान में एक महिला का पहली बार सुप्रीम कोर्ट का जज बनना हो। महिलाओं को अधिकार देने को लेकर विशेषकर एशियाई देशों ने हमेशा से दिल छोटा रखा है और यही वजह है कि, पाकिस्तान, भारत और चीन जैसे देशों में किसी महिला का सिस्टम के किसी भी हिस्से में टॉप पर पहुंचना सुर्खियां बनाता है। नहीं तो चांद मंगल पर पहुंचने वाली आज की दुनिया में किसी महिला का, किसी देश की सुप्रीम कोर्ट में जज बनना अखबारों की हेडलाइंस या टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग नहीं बनता है।
पहली बार सुप्रीम कोर्ट में महिला जज
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट को पहली बार कोई महिला जज मिला है और लाहौर हाई कोर्ट की जस्टिस आयशा मलिक अब पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बन गई हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता में पाकिस्तान के न्यायिक आयोग (जेसीपी) ने गुरुवार को न्यायमूर्ति आयशा मलिक को पांच मतों के बहुमत से सुप्रीम कोर्ट का जज बनने को लेकर इसी महीने मंजूरी दी खी। अब अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ग्रहण कर लिया है। खासकर ये बात काफी महत्वपूर्ण है कि, यह दूसरी बार था जब जेसीपी ने न्यायमूर्ति आयशा मलिक की पदोन्नति पर निर्णय लेने के लिए बैठक की थी। उनका नाम पहली बार पिछले साल 9 सितंबर को चर्चा के लिए लिया गया था, लेकिन बाद में चार के मुकाबले चार मतों के बराबर होने के कारण उनका नाम खारिज कर दिया गया था।
बार एसोसिएशन ने किया था विरोध
आपको बता दें कि, न्यायमूर्ति आयशा मलिक को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ अफरीदी ने देशव्यापी विरोध का आह्वान भी किया था। अफरीदी ने मीडिया को बताया था कि जस्टिस मलिक देश के पांच हाई कोर्ट में सेवारत कई जजों से जूनियर हैं। पाकिस्तान बार काउंसिल (पीबीसी) ने भी इसी महीने धमकी दी थी कि अगर जेपीसी ने जस्टिस आयशा मलिक के नाम को पदोन्नति के लिए मंजूरी दे दी तो वे अदालतों का बहिष्कार करेंगे। हालांकि, पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की सिफारिश पर संसदीय समिति ने विचार करने के बाद आयशा मलिक के नाम पर सहमति जता दी। ज्यादातर मामलों में, यह समिति जेसीपी की सिफारिश से सहमत होती है, जिसका अर्थ है कि न्यायमूर्ति आयशा मलिक अब पाकिस्तान की पहली महिला सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने के करीब पहुंच चुकी थीं और अब उन्होंने अपने पद की शपथ भी ले ली है।
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कौन हैं जस्टिस आयशा मलिक?
हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम ग्रेजुएट, न्यायमूर्ति आयशा मलिक 2012 में लाहौर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक प्रमुख कॉर्पोरेट और वाणिज्यिक कानून फर्म में पार्टनर थीं। वह वर्तमान में लाहौर उच्च न्यायालय में चौथी सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह अपने अनुशासन, निष्पक्षता और अखंडता के लिए जानी जाती हैं और उन्होंने कई प्रमुख संवैधानिक मुद्दों पर सख्त फैसले लिए हैं, जिसमें चुनावों में संपत्ति की घोषणा, गन्ना उत्पादकों को भुगतान और पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को लागू करना शामिल है।
2031 तक करेंगी काम
आयशा मलिक को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में प्रमोशन मिल गया है और अब न्यायमूर्ति आयशा मलिक जून 2031 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगी। दिलचस्प बात यह है कि 2031 में 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने से पहले, न्यायमूर्ति आयशा मलिक पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश होंगी और बहुत मुमकिन है कि, वो पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस भी हो सकती हैं।
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