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जापान ने सेना बनाने के लिए किया महाबजट का ऐलान, 320 अरब डॉलर करेगा खर्च, चीन को बताया खतरा

जापान के पास अपनी सेना नहीं है और जापानी संविधान में सेना निर्माण की बात नहीं है। लेकिन, चीन के खतरे को देखते हुए 70 प्रतिशत जापानी जनता ने सेना बनाने का समर्थन किया है।

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Japan Military build-up: शांति को अपने संविधान में शामिल करने वाले जापान ने अब सेना के निर्माण का ऐलान कर दिया है और जापान के प्रधानमंत्री ने देश के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार सेना निर्माण की घोषणा कर दी है। जापान ने कहा है, कि वह अकल्पनीय रकम 320 अरब डॉलर खर्च कर सैन्य निर्माण शुरू करेगा और जापान ने साफ कर दिया है, कि उसका फोकस चीन रहने वाला है। जापान ने कहा है, कि वो ऐसे हथियारों पर पैसे खर्च करेगा, जो उसे चीन पर हमला करनवे में सक्षम बनाएगा और वो ऐसे मिसाइलों का निर्माण करेगा, जो उसे किसी भी वक्त संघर्ष के लिए तैयार रखेगा।

सेना का निर्माण करेगा जापान

सेना का निर्माण करेगा जापान

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की सरकार को चिंता है, कि रूस ने एक मिसाल कायम कर दी है, जो चीन को ताइवान पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, लिहाजा जापान के ऊपर भी खतरा बढ़ जाएगा। जापान को इसके अलावा डर है, कि आने वाले वक्त में चीन उसके सेनकाकू द्वीप पर भी कब्जा करने की कोशिश करेगा, लिहाजा अब जापान ने अपनी सेना के निर्माण की घोषणा कर दी है। जापान को लगता है, कि ताइवान पर हमला करने के बाद चीन, जापान को ताइवान से सप्लाई होने वाले सेमीकंडक्टर की सप्लाई रोक देगा, जिससे जापान के सामने बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। इसके साथ ही जापान का सबसे बड़ा डर तेल आपूर्ति को लेकर है, दो वो मध्य-पूर्वी देशों से खरीदता है और अगर चीन उस समुद्री रास्ते को रोक देता है, तो फिर जापान में हड़कंप मच जाएगा।

शांति के रास्ते को जापान ने छोड़ा?

शांति के रास्ते को जापान ने छोड़ा?

जापान का द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का बना संविधान, आधिकारिक तौर पर सेना को मान्यता नहीं देता है और इसे नाममात्र की आत्मरक्षात्मक क्षमताओं तक सीमित करता है। यानि, जापान के संविधान में सेना बनाने का प्रावधान ही नहीं है। लिहाजा, जापान के पास आधिकारिक तौर पर कोई सेना नहीं है। लेकिन, जापान सरकार ने जो नई पंचवर्षीय योजना को जारी किया है, उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में संशोधन की गई है। सरकार ने कहा है, कि वो अब सैन्य स्पेयर पार्ट्स और गोला-बारूद का भंडारण भी करेगी। जापान ने कहा है, कि सेना तक रसद सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा, साइबर-युद्ध क्षमता विकसित किया जाएगा, और स्थापित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरों को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य समान विचारधारा वाले लोगों के साथ अधिक निकटता से सहयोग को स्थापित किया जाएगा। ।

क्या कहता है नेशनल सिक्योरिटी पेपर?

क्या कहता है नेशनल सिक्योरिटी पेपर?

जापान के नेशनल सिक्योरिटी पेपर में कहा गया है, कि "यूक्रेन पर रूस का आक्रमण उन कानूनों का गंभीर उल्लंघन है, जो फोर्स के उपयोग को प्रतिबंधित करते हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव हिलाते हैं।" इसमें आगे कहा गया है कि, "चीन द्वारा प्रस्तुत रणनीतिक चुनौती जापान द्वारा सामना की गई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है।" आपको बता दें कि, जापान के पास जो मिसाइलें इस वक्त मौजूद हैं, उसकी मारक क्षमता कुछ सौ किलोमीटर तक ही सीमित हैं, लिहाजा पिछले दिनों जापानी मीडिया में दावा किया गया था, कि अब जापान सरकार एक हजार लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को चीन की तरफ तैनाती करेगा।

अमेरिकी सुरक्षा पर निर्भर है जापान

अमेरिकी सुरक्षा पर निर्भर है जापान

जापान इस वक्त अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर है और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने जापान की सुरक्षा की गारंटी ली थी। इस समझौते के तहत अगर कोई देश जापान पर हमला करता है, तो वो हमला अमेरिका पर माना जाएगा और फिर अमेरिका उस युद्ध में शामिल होगा। लिहाजा, जापान की सुरक्षा के लिए हमेशा अमेरिकी फोर्स मौजूद रहती है। जापान में सेना का निर्माण करने का फैसला सरकार के लिए काफी मुश्किल भरा फैसला था और पिछली सरकारों के लिए ये फैसला लेना ही अकल्पनीय था। जापान की रक्षा के लिए इस वक्त अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक और समुद्री बल हमेशा मौदूद रहती हैं, लिहाजा जापान के लोग अर्से से अपनी खुद की सेना होने की मांग कर रहे हैं और पिछले दिनों के गिए सर्वे में 70 प्रतिशत जापानियों ने अपनी सेना के समर्थन में वोट डाला था। वहीं, यह मौजूदा बजट जापान को अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश बना देगा।

तीसरा सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाला देश बना

तीसरा सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाला देश बना

जापान की सरकार अगले पांच सालों में सैन्य निर्माण करने में 320 अरब डॉलर खर्च करेगी। हालांकि, पांच साल के खर्च का रोडमैप विस्तृत योजना के साथ नहीं दिया गया है। प्रधानमंत्री किशिदा का प्रशासन इसके लिए भुगतान कैसे करेगा, पैसे कहां से जुटाए जाएंगे, क्या जापान में टैक्स बढ़ाया जाएगा, फिलहाल इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। वहीं, सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों के बीच पैसे जुटाने के लिए विमर्श किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में होने वाला ये सैन्य परिवर्तन तीन डॉक्यूमेंट्स (1) द नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी, (2) द नेशनल डिफेंस प्रोग्राम गाइडलाइंस और (3) द मिड टर्म डिफेंस प्रोग्राम के आधार पर होगा।

आक्रमण करने की क्षमता करेगा विस्तार

आक्रमण करने की क्षमता करेगा विस्तार

रिपोर्ट को मुताबिक, जो जानकारियां मिल रही हैं, उनसे पता चला है, कि जापान अपनी काउंटर स्ट्राइक की क्षमता के विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान देने वाला है। जापान के संविधान में शांति के रास्ते पर चलना लिखा हुआ है, लिहाजा जापान के पास अभी जो मिसाइलें हैं, उसकी क्षमता ज्यादा से ज्यादा कुछ सौ किलोमीटर तक की ही है। लिहाजा, इस बात की संभावना जताई जा रही है, कि जापान अपनी मिसाइल क्षमता में जबरदस्त इजाफा करेगा और जमीन, समुद्र और हवा से लान्च की जाने मिसाइलों की क्षमता में इजाफा करेगा। टोक्यो का मानना है कि, अगर जापान काउंटर स्ट्राइक की क्षमता में इजाफा करता है, तो युद्ध की स्थिति में वो अपने ऊपर होने वाले हमलों को रोक सकता है। जापानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि, वह 2026 तक अपनी जमीन से लॉन्च की जाने वाली टाइप-12 एंटी-शिप मिसाइलों की क्षमता का विस्तार करेगा और हाइपरसोनिक हथियारों सहित अन्य मिसाइलों को विकसित करने की उसकी योजना है।

अमेरिकी सेना के साथ ज्वाइंट कमांड

अमेरिकी सेना के साथ ज्वाइंट कमांड

अपनी वायु, समुद्र और थल सेना के बेहतर समन्वय के लिए जापान अपना पहला संयुक्त कमांड सेंटर स्थापित करेगा। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री किशिदा की सत्तारूढ़ पार्टी ज्वाइंट यूएस-जापान कमांड बनाने पर भी चर्चा कर रही है। जापान की योमिउरी अखबार ने कहा है कि, जापान सरकार पांच साल के भीतर लगभग 70 युद्ध सामग्री डिपो और 2035 तक 130 डिपो बनाने की भी योजना बना रही है। सैन्य योजनाकारों को चिंता है कि, जापान के पास एक लंबे संघर्ष के लिए बहुत कम गोला-बारूद है, लिहाजा, अगर जापान में भी यूक्रेन जैसे हालात बनते हैं, तो फिर जापान के लिए खुद को बचाना मुश्किल होगा। जापान के पास काफी कम हथियार होने के साथ साथ स्पेयर पार्ट्स का स्टॉक भी काफी कम है। निक्केई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान के उत्तर में होक्काइडो द्वीप पर सेना के लगभग 70% हथियार संग्रहीत हैं और ये हथियार शीतयुद्ध काल के हैं, जब जापान का सैन्य विरोधी सोवियत संघ हुआ करता था।

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English summary
Japan has announced to spend $320 billion for army building. Japan does not have its own army.
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