क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या ईरान तालिबान को स्वीकार करने की तरफ़ बढ़ रहा है?

ईरान और तालिबान के नेताओं में सोमवार को एक बैठक हुई है, क्या ये तालिबान को मान्यता मिलने की ओर बढ़ते हुए कदम हैं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
तालिबान का प्रतिनिधिमंडल
TWITTER//BILALKARIMI21
तालिबान का प्रतिनिधिमंडल

रविवार को तालिबान का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ईरान के साथ आर्थिक संबंधों एवं अफ़ग़ान शरणार्थियों के मुद्दे पर बात करने के लिए ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचा.

बीते साल अगस्त महीने में काबुल पर तालिबान का कब्ज़ा होने के बाद तेहरान पहुंचने वाला यह सबसे शीर्ष तालिबानी प्रतिनिधिमंडल था. तालिबान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मोत्तक़ी ने इस्लामी संगठन के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.

इस दौरे में तालिबान के नेताओं ने ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियां के साथ-साथ कई तालिबान विरोधी अफ़ग़ान नेताओं के साथ भी मुलाक़ात की. तालिबान के प्रवक्ता ने बताया कि मोत्तक़ी की ईरानी नेताओं के साथ बैठक काफ़ी सकारात्मक एवं रचनात्मक रही.

बता दें कि सत्ता में आने के बाद से अब तक किसी भी देश ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है. लेकिन ईरान उन चंद मुल्कों में शामिल है जो सक्रिय रूप से इस संगठन के साथ बातचीत एवं व्यापार कर रहा है.

ईरान के मुताबिक़, वह फिलहाल तालिबान की अंतरिम सरकार को मान्यता देने की योजना नहीं बना रहा है. लेकिन मोत्तक़ी की तेहरान यात्रा कुछ और ही संकेत दे रही है.

ये भी पढ़िएः-

तालिबान को मान्यता 'देने की स्थिति में नहीं'

ईरान बीते कई महीनों से अपने इस रुख़ पर क़ायम है कि वह तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान के वैध शासक के रूप में मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है.

बीती 10 जनवरी को ईरान के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सईद ख़तिब्ज़ादेह ने एक बार फिर ईरान के रुख़ को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि ईरान इस्लामी संगठन की अंतरिम सरकार को मान्यता देने की स्थिति में नहीं था.

काबुल में तैनात ईरानी राजदूत बहादुर अमीनियन ने भी बीती तीन जनवरी को अफ़ग़ानिस्तान के निजी टीवी चैनल टोलो न्यूज़ के साथ इंटरव्यू के दौरान इसी तरह का बयान दिया. उन्होंने कहा कि अगर तालिबान ईरान से मान्यता हासिल करना चाहता है तो उसे एक समावेशी सरकार बनानी होगी जिसमें विभिन्न जनजातियों का प्रतिनिधित्व हो.

यही नहीं, मोत्तक़ी की ईरान यात्रा से पहले एक ईरानी न्यूज़ वेबसाइट ने दावा किया है कि ईरान सरकार अफ़ग़ान दूतावास को तालिबान के सुपुर्द करने की तैयारी कर रही है.

हालांकि, ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस ख़बर का खंडन करते हुए कहा कि यह 1961 के वियना कन्वेंशन के ख़िलाफ़ होगा.

आयातुल्लाह अली खामनेई
EPA
आयातुल्लाह अली खामनेई

मोत्क़ी की यात्रा के बाद क्या हुआ?

टोलो न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ईरानी राजदूत अमीनियन ने एक बार फिर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी सरकार के गठन के बाद ईरान सिर्फ उस सरकार को मान्यता ही नहीं देगा, बल्कि अन्य देशों से भी यह कदम उठाने की गुज़ारिश करेगा.

उन्होंने कहा कि समावेशी सरकार का गठन चुनाव या अफ़ग़ान परंपरा के मुताबिक़ हो सकता है. ये उस देश के प्रतिनिधि की ओर से एक दिलचस्प टिप्पणी थी जिस देश के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई ने पिछले साल चुनाव न कराने पर अरब देशों की शाही सरकारों का मज़ाक उड़ाया था.

ख़ामेनेई ने साल 2021 के जून महीने में कहा था, "21वीं सदी के मध्य में भी कुछ देश ऐसे हैं जो एक जनजाति द्वारा चलाए जा रहे हैं. वहां चुनावों की ख़ुशबू तक नहीं पहुंची है. वहां रहने वाले लोग एक मतपेटी और फलों की पेटी के बीच अंतर करना नहीं जानते."

इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि ईरान के लिए तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता देने की दिशा में अफ़ग़ानी लोगों का रुख एक आवश्यकता नहीं है, अगर इस सरकार में तमाम जनजातियों के लोग शामिल हों.

हालांकि, अपेक्षाकृत रूप से उदारवादी माने जाने वाले एक रूढ़िवादी अख़बार जम्हूरी-ये-इस्लामी ने 11 जनवरी को बताया है कि तालिबान द्वारा चुनाव कराने से इनकार कराने का मतलब यह है कि "ईरान अपने शीर्ष नेताओं द्वारा तय की गयी शर्तों की वजह से तालिबान को मान्यता देने की स्थिति में नहीं है."

लेकिन ईरान की ओर से उठाया गया एक और कदम सुझाता है कि ईरान तालिबान को मान्यता देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमीर अब्दुल्लाहियन और मोतक़ी की बैठक के बाद एक बयान जारी किया है.

इस बयान में मोत्तक़ी को "अफ़ग़ानिस्तान विदेश मंत्रालय के कार्यकारी नेता" के रूप में संबोधित किया गया है. यह उस व्यक्ति के लिए अपेक्षाकृत रूप से अतिरिक्त औपचारिकता भरा संबोधन है जिसे ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी इरना ने एक दिन पहले "तालिबानी विदेश मंत्री" कहा हो.

ये भी पढ़ें -

तालिबान के लड़ाके
Getty Images
तालिबान के लड़ाके

कैसे बनेगी बात?

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद ईरान, पाकिस्तान और रूस ने अफ़ग़ानिस्तान के साथ अपने संबंध ख़त्म नहीं किए थे. क्योंकि ईरान को अफ़ग़ानिस्तान की ज़रूरत है. बीते ईरानी वर्ष (मार्च 2020 - 21) में ईरान ने अफ़ग़ानिस्तान को 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात किया है. और इस तरह अफ़ग़ानिस्तान ईरान के पांच सबसे बड़े आयातक देशों में शामिल है.

यही नहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों के दौरान हेरात शहर ईरान के लिए नकदी का एक स्रोत रहा है. इसलिए, इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि ईरान ने काबुल में तालिबानी शासन स्थापित होने के बाद फ्रीज़ किए गए कोष को फिर से जारी करने के लिए सार्वजनिक रूप से अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए जाने का आह्वान किया.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, अफ़ग़ान केंद्रीय बैंक के पास विदेशों में लगभग 10 अरब डॉलर की संपत्तियां हैं. इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से जुड़े कट्टरपंथी अख़बार जवन ने 11 जनवरी को अफ़ग़ानिस्तान के साथ संबंधों पर ईरान की प्रभावशाली नीति की तारीफ़ की है.

अख़बार ने कहा है कि मोत्तक़ी के दौरे ने ये स्पष्ट किया है कि ये नीति काम कर रही है. काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद से ईरान अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति को संभालने के लिए जारी प्रयासों में शामिल रहा है. तालिबान ने कई मौकों पर अलग-अलग अफ़ग़ान समूहों के बीच बैठकें भी आयोजित की हैं.

बीती 9 जनवरी को ईरान ने तेहरान में मोतक़ी और तालिबान विरोधी अफ़ग़ान नेता अहमद मसूद और इस्माइल ख़ान के बीच एक बातचीत करवाई है. यही नहीं, अशरफ़ ग़नी सरकार गिरने से पहले ही तेहरान प्रशासन और तालिबान के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश कर रही थी.

ऐसे में ये स्पष्ट है कि ईरान हमेशा अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य में शामिल रहना चाहता था, चाहें काबुल में सत्ता किसी की भी रहे. और ये बात सही है कि ईरान द्वारा अभी भी तालिबान को मान्यता देना शेष है लेकिन ऐसा लगता है कि अब इसमें कुछ ही समय शेष है.

ये भी पढ़िए -

अफ़ग़ानिस्तान में भुखमरी के हालात, कैसे निपटेगा तालिबान

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान अफ़ीम को लेकर क्या सोचता है?

चीन क्या लालच देकर ग़रीब देशों को कर्ज़ के जाल में फँसा रहा है?

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Is Iran will accepting the Taliban?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X