अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों को नौकरों की तरह प्रयोग करता था भारतीय प्रोफेसर
मिसौरी। मिसौरी-कंसास यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के एक प्रोफेसर अशीम मित्रा पर भारतीय छात्रों के साथ नौकरों की तरह बर्ताव करने का आरोप लगा है। कंसास के अखबार कंसास सिटी स्टार की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। मित्रा, यूनिवर्सिटी में काफी समय से कार्यरत हैं और वह बतौर फार्मेसी प्रोफेसर छात्रों को पढ़ा रहे हैं। मित्रा पर विदेशी छात्रों को गुलाम के तौर पर प्रयोग करने के आरोप लगे हैं और यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
भारतीय होने का गलत फायदा उठाता प्रोफेसर
जब आरोपों की जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक कई ऐसे भारतीय छात्र मिले जिन्हें मित्रा अपने कामों के लिए प्रयोग करते थे। प्रोफेसर कामेश कुचीमानछी जो यूनिवर्सिटी के टॉप रिसर्चर्स के साथ पीएचडी की डिग्री हासिल करने के लिए कोशिशें कर रहे थे, भारतीय होने की वजह से मित्रा के साथ उनका बॉन्ड काफी अच्छा हो गया था। कुचीमानछी को लगता था कि दोनों भारत से हैं तो ऐसे में अमेरिका उन्हें घर जैसा लगेगा। लेकिन ऐसा होने की जगह दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आने लगी। मित्रा भारत से आने वाले छात्रों को नौकरों की तरह प्रयोग करते थे, यही बात कुचीमानछी को पसंद नहीं थी। कुचीमानछी को लगने लगा था कि उनकी जिंदगी यूनिवर्सिटी में आधुनिक गुलामी से ज्यादा कुछ नहीं है।
कुत्ते का भी ध्यान रखते थे छात्र
उन्होंने बताया कि बाढ़ के बाद वह मित्रा के घर के बेसमेंट से भरा हुआ पानी निकालते तो कभी कैंपस में भारतीय त्यौहारों पर आधारित कार्यक्रमों में मित्रा के कहने पर खाना सर्व करते। कुचीमानछी सिर्फ अकेले ऐसे भारतीय नहीं थे जिन्हें ये सब झेलने को मजबूर होना पड़ा था। कंसास स्टार की ओर से बताया गया है कि मित्रा के पास मिसौरी-कंसास यूनिवर्सिटी के फार्मेसी स्कूल में पढ़ाने का 24 वर्षों का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने अपने हर छात्र को अपने नौकर की तरह प्रयोग किया है। छात्र, मित्रा के घर होने वाली सोशल गैदरिंग के दौरान टेबल लगाने और दूसरे इंतजामों को करने का काम करते थे। यहां तक कि जब मित्रा और उनकी पत्नी एक हफ्ते के लिए शहर से बाहर होते थे तो छात्र उनके कुत्ते की देखभाल करते थे और पौधों में पानी तक देते थे।