इसराइल के हमले में अपने नेताओं की मौत के बाद हमास का जवाबी हमला
फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ने गज़ा में इसराइली हवाई हमले में अपने सीनियर कमांडरों की मौत के बाद इसराइल पर दर्जनों रॉकेट हमले किए हैं.
फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ने गज़ा में इसराइली हवाई हमले में अपने सीनियर कमांडरों की मौत और एक बहुमंज़िला इमारत के गिरने के बाद इसराइल पर दर्जनों रॉकेट हमले किए हैं.
ऐसी ख़बरें हैं कि दक्षिणी इसराइल में कई जगहों पर हमले हुए हैं और स्डेरोट शहर में एक बच्चे की मौत हो गई है.
इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच सोमवार से अचानक हिंसा भड़क उठी है जो थमने का नाम नहीं ले रही. फ़लस्तीनी चरमपंथी इसराइल में रॉकेट हमले कर रहे हैं और इसराइल गज़ा में चरमपंथियों के ठिकानों को निशाना बना रहा है.
अब तक गज़ा में 65 लोग मारे गए हैं जिनमें 14 बच्चे हैं. वहीं इसराइल में सात लोगों की मौत हुई है.
संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि ये संघर्ष एक युद्ध में तब्दील हो सकता है.
इसराइल के भीतर भी ऐसे इलाक़ों में हिंसा हो रही है जहाँ यहूदी और अरब लोग रहते हैं. इसराइली मीडिया में बताया जा रहा है कि इसराइल के कई शहरों और क़स्बों में उपद्रवी कहीं अरब लोगों को निशाना बना रही है तो कहीं यहूदियों को.
इसराइली पुलिस का कहना है कि बुधवार को हिंसा के बाद 374 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. 36 पुलिसकर्मियों को भी चोट आई है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हिंसा प्रभावित शहरों में पुलिस की मदद के लिए सेना भेजने पर विचार कर रहे हैं.
बुधवार रात को एक वीडियो संदेश में उन्होंने इन हमलों को "अराजकता" बताते हुए कहा, "अरब उपद्रवियों के यहूदियों पर हमले करने, और यहूदी उपद्रवियों के अरबों को मारने को कोई भी जायज़ नहीं ठहरा सकता."
नेतन्याहू ने कहा कि उनकी सरकार इसराइल को बाहर के दुश्मनों और देश के भीतर के दंगाइओं से बचाने के लिए पूरी ताक़त का इस्तेमाल करेगी.
नेतन्याहू ने इससे पहले तेल अवीव के पास स्थित शहर लॉड में इमरजेंसी की घोषणा की. टाइम्स ऑफ़ इसराइल के मुताबिक़ 1966 के बाद ये पहली बार हुआ है कि सरकार ने अरब समुदाय के ख़िलाफ़ आपातकालीन अधिकारियों का इस्तेमाल किया है.
उधर गज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में आंशिक तौर पर शासन संभालने वाले फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने इसराइल के सैन्य आक्रमण की निंदा की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि उनकी हरकत से "पहले से ही बदहाल 20 लाख लोगों की आबादी और ज़्यादा परेशान हो रही है".
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बुधवार को क्या हुआ?
गज़ा में हमास चरमपंथियों ने कहा कि उन्होंने इसराइली हमले के जवाब में उसपर 130 रॉकेट दागे हैं.
इसराइली सेना ने मंगलवार रात को ग़ज़ा में हवाई हमले किए और इस हमले में गज़ा के दो टॉवर ब्लॉक ध्वस्त हो गए. इनमें से एक टॉवर में हमास के टीवी चैनल अल-अक़्सा टीवी का दफ़्तर था. वैसे सोमवार से जारी हमले में गज़ा में ये तीसरा टॉवर था जिसे इसराइली हवाई हमले में गिराया गया.
इसराइल ने हमले के बारे में कहा कि उसने गज़ा में हमास के वरिष्ठ नेताओं को मार डाला है और वो उन ठिकानों पर भी हमले कर रहा है जहाँ से हमास मिसाइल दाग रहा है.
हमास ने अपने एक सीनियर कमांडर और वरिष्ठ नेताओं के मारे जाने की बात स्वीकार की है.
इसराइली सेना ने कहा कि मंगलवार रात को गज़ा में हुआ हमला 2014 के बाद से हुआ सबसे बड़ा हमला था.
हमले से पहले लोगों को इमारतों से निकल जाने की चेतावनी दे दी गई थी. मगर गज़ा में हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इसके बाद भी आम लोग मारे गए हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार मंगलवार को एक हमले में एक परिवार के पाँच लोग मारे गए जिनमें दो छोटे भाई शामिल हैं.
उनके 14 साल के रिश्तेदार भाई ने रोते हुए कहा,"हम सब हँस रहे थे और मज़ा कर रहे थे जब उन्होंने बम बरसाना शुरू कर दिया. हमारे आस-पास हर जगह आग लग गई."
उधर इसराइली सेना के अनुसार बुधवार शाम को सारे देश में सायरन पर रॉकेट हमलों की चेतावनी के बाद लाखों इसराइली लोग बम हमलों से बचने के लिए शेल्टरों में चले गए.
यरुशलम पोस्ट अख़बार की संवाददाता ऐना ऐरॉनहीम ने बीबीसी को बताया कि वो रात को कैसे अपने पाँच महीने के बच्चे के साथ शेल्टर में छिपी रहीं.
उन्होंने कहा, "सैकड़ों मिसाइल इंटरसेप्टर्स और पास में गिरते रॉकेटों की आवाज़ सुनना बहुत डरावना था."
इसराइली सेना के अनुसार गुरुवार सुबह बताया कि संघर्ष शुरू होने के बाद से गज़ा से इसराइली शहरों पर लगभग 1,500 रॉकेट दागे गए हैं. इनमें से कई को इसराइल के डोम एयर डिफ़ेंस सिस्टम ने हवा में ही मार गिराया मगर ज़्यादातर इसराइली शहरों पर गिरे.
इसराइल और फ़लस्तीनी अरबों के बीच हिंसा का ये सिलसिला बरसों पुराने एक विवाद को लेकर शुरु हुआ जिसे लेकर पिछले एक महीने से तनाव बना हुआ था.
कैसे भड़की ताज़ा हिंसा
संघर्ष का ये सिलसिला यरुशलम में पिछले लगभग एक महीने से जारी अशांति के बाद शुरू हुआ है.
इसकी शुरुआत पूर्वी यरुशलम से फ़लस्तीनी परिवारों को निकालने की धमकी के बाद शुरू हुईं जिन्हें यहूदी अपनी ज़मीन बताते हैं और वहाँ बसना चाहते हैं. इस वजह से वहाँ अरब आबादी वाले इलाक़ों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हो रही थीं.
शुक्रवार को पूर्वी यरुशलम स्थित अल-अक़्सा मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई बार झड़प हुई.
अल-अक़्सा मस्जिद के पास पहले भी दोनों पक्षों के बीच झड़प होती रही है मगर पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा 2017 के बाद से सबसे गंभीर थी.
अल अक़्सा मस्जिद को मुसलमान और यहूदी दोनों पवित्र स्थल मानते हैं.
क्या है यरुशलम और अल-अक़्सा मस्जिद का विवाद?
1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को नियंत्रण में ले लिया था और वो पूरे शहर को अपनी राजधानी मानता है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता. फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं.
पिछले कुछ दिनों से इलाक़े में तनाव बढ़ा है. आरोप है कि ज़मीन के इस हिस्से पर हक़ जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदख़ल करने की कोशिश कर रहे हैं जिसे लेकर विवाद है.
अक्तूबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने एक विवादित प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक़्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है.
यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने यह प्रस्ताव पास किया था.
इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है.
जबकि यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है.
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