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Flashback 2020: ड्रोनाल्ड ट्रंप के बड़े काम जो विश्वनेता के तौर पर रखे जाएंगे याद

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वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार चुके हैं। अब 20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे। डोनाल्ड ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि वह 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद जैसे थे वैसे ही वह आज भी हैं। यही वजह है कि जिस हमलावर और तीखे अंदाज में बोलने के चलते उन्हें 2016 में जीत मिली वही वजह इस बार उनकी हार का कारण बनी। मतदाओं को राष्ट्रपति से सवाल उठाते ट्रंप पिछली बार अच्छे लगे लेकिन जब राष्ट्रपति होने के बाद ट्रंप जब दोबारा मैदान में उतरे तो उन्हें खारिज कर दिया। आलोचक उनके बारे में जो कहते रहें लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर अपने कामों से अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने पहल करके ऐसे काम किए हैं जिसने विश्व के इतिहास पटल पर उनका नाम दर्ज कर दिया है।

मध्य पूर्व के लिए नए युग की शुरुआत

मध्य पूर्व के लिए नए युग की शुरुआत

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने प्रयासों से एक ऐसा काम किया जो न सिर्फ इस साल का बल्कि उनके पूरे कार्यकाल का सबसे बड़ा काम कहा जा सकता है। ये काम था मध्य पूर्व के दो कट्टर विरोधियों इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात में शांति समझौता करवाना। अगस्त में डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा करके सभी को चौंका दिया कि अरब का प्रमुख मुस्लिम ताकत यूएई यहूदी राज्य इजरायल से अपने रिश्ते जोड़ने के लिए तैयार हो गया है। इसके पहले अरब देश फिलस्तीन राज्य अस्तित्व में आने तक इजरायल को मान्यता देने से इनकार करते रहे थे। ट्रंप के इस कदम को मध्य पूर्व में उनकी नीति की सफलता के तौर पर देखा गया। इस समझौते को करवाने में ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर का प्रमुख योगदान रहा था।

30 दिन में दूसरा देश भी आया साथ

30 दिन में दूसरा देश भी आया साथ

यूएई के साथ समझौते को 30 दिन भी नहीं बीते थे और इसकी चर्चा अभी अरब देशों के साथ मुस्लिम देशों में चल ही रही थी कि 11 सितम्बर को ट्रंप ने एक और घोषणा की कि यूएई के बाद बहरीन भी इजरायल से संबंध बहाल करने के लिए तैयार हो गया है। ट्रंप ने ट्वीट में लिखा "आज एक और ऐतिहासिक सफलता। हमारे दो महान दोस्त इजरायल और बहरीन के राजा शांति समझौते पर सहमत हो गए हैं। 30 दिन में इजरायल के साथ शांति स्थापित करने वाला दूसरा अरब देश।" इसके चार दिन बाद 15 सितम्बर को दोनों देशों यूएई और बहरीन ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में ट्रंप की मौजूदगी में इजरायल के साथ ऐतिहासिक इब्राहिम संधि (The Abraham Accords) पर हस्ताक्षर किए।

इसके कुछ दिन बाद अक्टूबर में एक और अरब देश सूडान ने भी इजरायल के साथ संबंध शुरू करने पर अपनी सहमति दे दी। 24 अक्टूबर को राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की कि यूएई और बहरीन के बाद सूडान ने भी इजरायल के साथ संबंध बहाल करने पर सहमति दे दी है। इन रिश्तों को सामान्य करने के लिए ट्रंप को भविष्य में याद रखा जाएगा।

अफगान सरकार-तालिबान में ऐतिहासिक शांति वार्ता की शुरुआत

अफगान सरकार-तालिबान में ऐतिहासिक शांति वार्ता की शुरुआत

जिस समय डोनाल्ड ट्रंप अरब देशों और इजरायल के बीच शांति की बुनियाद रख रहे थे उसी दौर में एक और बड़ा काम अफगान और तालिबान के बीच बातचीत को लेकर भी हो रहा था। आखिरकार 12 सितम्बर को कतर की राजधानी दोहा में अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान नेताओं के बीच ऐतिहासिक वार्ता शुरू हुई। इस वार्ता को महत्वपूर्ण बनाने के लिए ट्रम्प प्रशासन ने दुनिया के प्रमुख देशों को भी इसमें शामिल किया था जिसमें भारत भी शामिल था।

अमेरिका लंबे समय से अफगानिस्तान से निकलना चाह रहा है। इसके लिए अफगानिस्तान में शांति स्थापित होनी जरूरी थी और यह तालिबान और अफगान सरकार में बातचीत के बिना संभव नहीं था। तमाम कोशिश के बावजूद तालिबान को खत्म नहीं किया जा सका था और अब बातचीत ही जरिया बचा था। ट्रंप के पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन में भी ये कोशिशें हुई थीं लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार ट्रंप प्रशासन का शुरुआत में पाकिस्तान पर दबाव बनाना काम आया और पाकिस्तान ने तालिबान को वार्ता की मेज पर धकेला। वहीं अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान सरकार पर भी दबाव बनाए रखा जिसके चलते अफगानिस्तान प्रशासन को काफी संख्या में तालिबान कैदियों को छोड़ना पड़ा। लंबे प्रयास के बाद 12 सितम्बर को शनिवार के दिन दोहा में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान आमने-सामने बैठे और बातचीत शुरू हुई।

साल के जाते-जाते कर गए एक और बड़ा काम

साल के जाते-जाते कर गए एक और बड़ा काम

साल के जाते-जाते डोनाल्ड ट्रंप मध्य पूर्व में शांति के लिए एक और बड़ा काम कर गए। मध्य पूर्व के प्रमुख मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बाद अब उत्तरी अफ्रीका के देश मोरक्को को भी इजरायल के साथ संबंध रखने पर सहमत कर लिया।

राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर लिखा "आज एक और ऐतिहासिक घटनाक्रम हुआ है। हमारे दो महान दोस्त इजरायल और मोरक्को साम्राज्य एक दूसरे के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमत हो गए हैं। मध्यपूर्व में शांति के लिए एक बड़ी सफलता।"

इस रिश्ते को बहाल करने के लिए ट्रंप ने पश्चिमी सहारा पर मोरक्कों की संप्रभुता को मान्यता दी। पश्चिमी सहारा पर मोरक्को की मान्यता देने के अपने फैसले के पीछे मोरक्को और अमेरिका के ऐतिहासिक संबंधों का हवाला दिया। "मोरक्को ने 1777 में संयुक्त राज्य अमेरिका को मान्यता दी थी। इस तरह हमने पश्चिमी सहारा पर उनकी संप्रभुता को मान्यता देकर सही किया है।" बता दें कि 1776 में अमेरिका की स्वतंत्रता के अगले साल 1777 में ही मोरक्को ने उसे मान्यता दे दी थी।

ट्रंप का मध्य पूर्व शांति योजना प्रस्ताव

ट्रंप का मध्य पूर्व शांति योजना प्रस्ताव

इस साल की शुरुआत में जनवरी में ही डोनाल्ड ट्रंप ने बहुप्रतीक्षित मध्य पूर्व शांति योजना पेश की थी। इस योजना के तहत मध्य पूर्व के सबसे बड़े झगडे इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे को हल करने की बात कही गई थी। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के साथ खड़े होकर इस योजना को शांति के लिए आखिरी अवसर बताया था।

ये पहला मौका था जब इजरायल ने शांति योजना के तहत एक प्रस्तावित नक्शा जारी किया जिसमें बताया गया था कि फिलिस्तीन किस तरह होगा। घोषणा में ट्रंप ने कहा था कि पूर्वी यरूशलम में फिलिस्तीन की राजधानी होगी। उन्होंने यहां पर अमेरिकी दूतावास खोलने की बात भी कही थी।

ट्रंप ने कहा कि इस योजना के तहत किसी भी इजरायली या फिलिस्तीन का घर नहीं हटाया जाएगा लेकिन उन्होंने वेस्ट बैंक पर इजरायली कब्जा बरकरार रखने की बात कही थी। ट्रंप के इस प्रस्ताव को फिलिस्तीनी नेताओं ने खारिज कर दिया था फिर भी ट्रंप उन नेताओं में शामिल रहे जिनके साथ कम से इजरायल ने पहली बार फिलिस्तीन क्षेत्र को लेकर प्रस्ताव दिया।

ताइवान से फिर बढ़ाए रिश्ते

ताइवान से फिर बढ़ाए रिश्ते

अमेरिका और चीन से तनातनी के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार ऐसी सक्रियता दिखाई जो पिछले राष्ट्रपतियों ने नहीं दिखाई। ट्रेड वार में चीन पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगाने का नतीजा ही रहा कि इस बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की बैठक में शी जिनपिंग ने चीन की अगली पंचवर्षीय योजना में अर्थव्यवस्था को निर्यात आधारित से मोड़कर घरेलू बाजार की प्रमुखता वाली बनाने पर जोर दिया है लेकिन इन सबसे बड़ा काम ट्रंप ने ताइवान के मुद्दे पर किया।

1979 में चीन ने वन चाइना नीति के तहत ताइवान को चीन चीन का हिस्सा मानते हुए राजनयिक संबंध खत्म कर लिए। हालांकि व्यापारिक संबंध चालू रहे थे। लेकिन इस साल 41 साल बाद जब पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री ताइवान पहुंचे तो चीन हैरान रह गया। इसके कुछ दिन बाद ही ताइवान और अमेरिका के बीच 1.8 अरब डॉलर के रक्षा समझौते की जानकारी सामने आई जिसके चलते चीन काफी नाराज हुआ।

UAE और बहरीन के बाद एक और देश इजरायल से स्थापित करेगा संबंध, ट्रंप ने की घोषणा

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English summary
donald trump big decision in 2020 that make impact on world
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