क्या भारत की जासूसी के लिए चीन ने कराची हार्बर में तैनात की थी परमाणु पनडुब्बी?
नेवी प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा था कि भारतीय नौसेना चीनी पनडुब्बी और जहाजों पर खास नजर रख रही है। हमने उनका पता लगाने के लिए सर्विलांस मिशन भी शुरु किए हैं।
नई दिल्ली। क्या चीन भारतीय युद्धपोत कार्यक्रमों की छानबीन में जुटा हुआ है? ये सवाल इसलिए क्योंकि चीन ने पिछले साल पाकिस्तान के कराची स्थित हार्बर पर परमाणु पनडुब्बी की तैनाती की थी। गूगल अर्थ की ओर से ली गई तस्वीर में इस बात का खुलासा हुआ है। गूगल अर्थ की ये तस्वीर बताती है कि चीन ने भारतीय युद्धपोतों की जासूसी के लिए ये कदम उठाया। चीनी पनडुब्बी की ये तस्वीर सबसे पहले सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट @rajfortyseven ने देखा, इस तस्वीर में दिख रही पनडुब्बी चीनी नौसेना की टाइप 091 'हान' क्लास की है, ये पनडुब्बी तेज हमला करने में सक्षम है।
बताया जा रहा है कि चीन ने जिस न्यूक्लियर क्षमता वाली पनडुब्बी को तैनात किया है, वो असीमित रेंज तक हमले की क्षमता रखती है। इसके साथ-साथ इन पनडुब्बियों में लगे न्यूक्लियर रिएक्टर्स को रिफ्यूलिंग की जरुरत कम होती है। इन पनडुब्बियों को पानी के नीचे लंबे समय के लिए तैनात किया जाता है, इस दौरान इन्हें खोज पाना भी मुश्किल होता है। परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी, डीजल क्षमता वाली पनडुब्बी से ज्यादा तेज होती है। डीजल पनडुब्बी कम समय के लिए तैनात की जाती हैं, ये कुछ हफ्ते ही काम करती हैं। इस मामले में भारत का यही मानना है कि चीनी परमाणु पनडुब्बियों की हिंद महासागर में तैनाती के पीछे चीन की रणनीति कहीं न कहीं इस इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है।
हाल
ही
में
नेवी
प्रमुख
एडमिरल
सुनील
लांबा
ने
कहा
था
कि
भारतीय
नौसेना
चीनी
पनडुब्बी
और
जहाजों
पर
खास
नजर
रख
रही
है।
हमने
उनका
पता
लगाने
के
लिए
सर्विलांस
मिशन
भी
शुरु
किए
हैं।
पिछले
साल
पाकिस्तान
के
स्टेट
रेडियो
से
ऐलान
किया
गया
था
कि
पाकिस्तान
और
चीन
के
बीच
8
चीनी
युआन-क्लास
कन्वेंशनल
डीजल-इलेक्ट्रिक
क्षमता
वाली
पनडुब्बी
को
लेकर
समझौता
हुआ
था।
इसके
तहत
पहली
चार
पनडुब्बियां
2023
तक
उन्हें
सौंप
दी
जाएंगी।
बाकी
बची
हुई
पनडुब्बियां
2028
तक
कराची
में
असेंबल
की
जाएगी।
दोनों
देशों
के
बीच
हुआ
ये
समझौता
दिखाता
है
कि
पाकिस्तान
और
चीन
अपनी
नौसेना
की
ताकत
को
लगातार
बढ़ाने
की
कवायद
में
जुटे
हुए
हैं।
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