क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चीनः कोरोना महामारी के बाद से शी ज़िनपिंग और ताक़तवर कैसे हो गए?

विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना महामारी ने शी जिनपिंग के लिए तीसरे कार्यकाल का रास्ता तैयार कर दिया है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
चीन, शी जिनपिंग
Getty Images
चीन, शी जिनपिंग

कोरोना महामारी ने शी जिनपिंग के सामने एक बात शीशे की तरफ़ साफ़ कर दी थी कि पश्चिमी देशों का सितारा डूब रहा है और उगते हुए सूरज की तरह चीन फलक पर छाने वाला है.

और पिछले साल जून से चीन ने जिस तरह से कोरोना महामारी का सामना किया, उससे ये संदेश गया कि उसका निज़ाम पश्चिमी देशों के लोकतंत्र से बेहतर है.

जब अमेरिका और यूरोप महामारी और लॉकडाउन के बीच नुक़सान उठा रहे थे, चीन उन कुछ चुनिंदा देशों में था जहां ज़िंदगी एक हद तक पटरी पर आते हुए दिखने लगी थी. उसके यहां रेस्तरां के दरवाज़े अपने मेहमानों के लिए खुलने लगे, लोग कॉन्सर्ट में शरीक होने और छुट्टियों की प्लानिंग करने लगे.

चीन न केवल दुनिया की पहली ऐसी अर्थव्यवस्था थी जिसने महामारी के बाद काम करना शुरू कर दिया था बल्कि वो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एकलौता ऐसा देश था जिसने साल 2020 की तीसरी तिमाही में पांच फ़ीसदी की दर से विकास किया.

और कुछ लोगों ने ये भी भविष्यवाणी की है कि चीन पिछले अनुमानों से कहीं जल्दी अमेरिका को पीछे छोड़ देगा.

रूस के बाद चीन दूसरा ऐसा देश था जिसने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ वैक्सीन तैयार करने में कामयाबी हासिल कर ली थी. अपने लोगों को वैक्सीन देने से पहले उसने कई देशों को इसका आयात करना भी शुरू कर दिया था. इनमें से कई देश तो लातिन अमेरिका के ही हैं.

चीन, शी जिनपिंग
EPA
चीन, शी जिनपिंग

सत्ता पर पकड़

सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ की निदेशक बॉनी ग्लेज़र कहती हैं, "बेरहम तरीकों का इस्तेमाल करके शी जिनपिंग महामारी पर नियंत्रण पाने में कामयाब रहे. कोरोना महामारी पर रोकथाम में अमेरिका की तुलना में चीन के ज़्यादा कामयाब होने को इस बात के सबूत के तौर पर पेश किया गया कि चीन की साम्यवादी व्यवस्था पश्चिमी देशों की लोकतांत्रिक प्रणाली से अधिक बेहतर है."

बीबीसी मुंडो ने बॉनी ग्लेज़र और जितने भी विशेषज्ञों से बात की, उन सब की ये राय थी कि चीन की इस कामयाबी के पीछे केवल और केवल शी जिनपिंग थे.

चीन जैसे देश में जहां लोग आज भी मुल्क और कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ जेडांग की माला जपते हैं, शी जिनपिंग ने अपनी छवि के इर्द-गिर्द एक मिथकीय आभामंडल गढ़ लिया है.

सैन डियागो की यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया की प्रोफ़ेसर सुज़ैन शिर्क कहती हैं, "हालांकि शी जिनपिंग ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने की प्रक्रिया महामारी से पहले ही शुरू कर दी थी लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना महामारी ने उनके मक़सद में उन्हें मदद ही पहुंचाई. अगर महामारी न आती तो ये सब उनके लिए और जटिल हो जाता."

लेकिन सवाल उठता है कि शी जिनपिंग ने इसे कैसे अंजाम दिया और ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि शी जिनपिंग के पास आज के दिन पहले से कहीं ज़्यादा राजनीतिक ताक़त है?

चीन, शी जिनपिंग
Getty Images
चीन, शी जिनपिंग

शुरुआती हार से कामयाबी तक का सफ़र

मार्च की शुरुआत में कम्युनिस्ट पार्टी की वर्चुअल एसेंबली बुलाई गई थी जिसमें पहली बार चीन की सरकार ने महामारी पर अपनी जीत का जश्न सार्वजनिक तौर पर एक बड़े मंच पर मनाया. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंग्रेज़ी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने सार्वजनिक तौर पर ये लिखा कि शी जिनपिंग के नेतृत्व के बिना चीन कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में पश्चिमी देशों से आगे निकल नहीं पाता.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा कि चीन के राष्ट्रपति ने खुद महामारी पर काबू पाने में देश की सर्वश्रेष्ठता को रेखांकित किया है. और उन्होंने ऐसा करके ये सुनिश्चित किया कि चीन का नौजवान जब देश के बाहर जाए तो गर्व से सीना तानकर खड़ा हो सके. अतीत में ये नहीं होता था.

वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में चीन मामलों के विशेषज्ञ रेयान हैस बताते हैं कि चीन महीनों तक ये कोशिश करता रहा कि कोरोना वायरस के इर्द गिर्द शी जिनपिंग की कामयाबी की कहानी गढ़ी जाए.

उन्होंने कहा, "चीन के नेतृत्व ने ये कोशिश की कि कोरोना महामारी से बचाव के उसके तौर-तरीकों को सफलता की कहानी में बदला जाए. इसकी तुलना अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था से की जाए."

कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में चीन मामलों के विशेषज्ञ जेरेमी पैल्टील इस बात से सहमत हैं कि कोरोना महामारी ने चीन को अपने राष्ट्रवादी प्रोपेगैंडा को पुख्ता करने में मदद पहुंचाई. इसका मक़सद जिनपिंग और पार्टी के नेतृत्व के लिए समर्थन को मजबूत करना था.

चीन, शी जिनपिंग
AFP
चीन, शी जिनपिंग

एक बुरा कदम

जेरेमी पैल्टील कहते हैं, "कोरोना महामारी के दौरान चीन के मीडिया ने पश्चिमी देशों ख़ासकर अमेरिका की स्थिति के बारे में रोज़ाना रिपोर्टिंग की. इससे चीन की जनता के बीच इस बात को लेकर भरोसा मजबूत हुआ कि उनकी साम्यवादी व्यवस्था पश्चिमी देशों की व्यवस्था से बेहतर है.''

''जब चीन का पश्चिमी देशों से संबंध बिगड़ा और चीन विरोधी भावनाएं बढ़ने लगी तो चीन के लोगों का सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के लिए समर्थन बढ़ने लगा."

हालांकि चीन को कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने में मिली कामयाबी की शुरुआत उसके किसी अच्छे कदम से नहीं हुई.

कई शिकायतों में सरकार पर ये सवाल उठाया गया कि जब महामारी फैलनी शुरू हुई थी तो उसने इसे छुपाने की कोशिश की. वे डॉक्टर और पत्रकार जो दुनिया को ये बताना चाहते थे कि वुहान में क्या हो रहा है, उन्हें चुप करा दिया गया.

प्रोफ़ेसर सुज़ैन शिर्क कहती हैं, "कोरोना महामारी की शुरुआत के समय जब ये पाया गया कि वुहान में क्या हो रहा है, सरकार उसे छुपा रही थी तो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर लोगों के बगावती तेवर देखे गए. इसके बाद सेंसरशिप और ख़बरों को दबान की प्रक्रिया शुरू हुई और इससे लोगों की स्थिति और ख़राब हो गई."

सुज़ैन याद करती हैं कि ये वो घड़ी थी जब शी जिनपिंग और उनकी पार्टी चीन में आम लोगों के बीच बेहद अलोकप्रिय हो गई थी. शी जिनपिंग ने शुरू में महामारी पर काबू पाने का काम प्रधानमंत्री के भरोसे छोड़ दिया था और कुछ हफ़्तों के लिए तो वे आम लोगों की नज़र से दूर भी हो गए थे.

सुज़ैन शिर्क बताती हैं, "ऐसा लगा कि कमान शी जिनपिंग के हाथ में नहीं है. लेकिन जैसे ही वे सामने आए, सबकुछ उनके नियंत्रण में जाना ही था और इसके साथ ही पूर्ण नियंत्रण की एक बेहद असरदार व्यवस्था लागू कर दी गई."

शी जिनपिंग की भूमिका

चीन ने महामारी पर काबू पाने के लिए जिन तौर तरीकों का सहारा लिया, वे बेरहम किस्म की थीं. वहां जिस तरह से मानवाधिकारों के उल्लंघन होने की शिकायतें मिलीं, उसके बावजूद चीन ने वो हासिल कर दिखाया जो कई पश्चिमी देश नहीं हासिल कर पाए थे.

जेरेमी पैल्टील कहते हैं, "शुरुआत गलतियों और महामारी की बात छुपाने की कोशिश के बाद चीन ने लॉकडाउन, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और क्वारंटीन के जरिये निर्णायक कदम उठाये. इससे महामारी को फैलने से रोकने में मदद मिली और वहां संक्रमण के कारण होने वाली मौत के मामले अप्रत्याशित रूप से कम हुए. इतना ही नहीं चीन ने आर्थिक गतिविधियां पर तेजी से शुरू कर दीं."

जेरेमी का कहना है कि चीन में आम जनजीवन का पटरी पर लौटना और अर्थव्यवस्था का तेजी पकड़ना, ये दो घटनाएं ऐसे वक़्त में हुईं जब पश्चिमी देश भविष्य की कार्ययोजना पर ही काम कर रहे थे. और इसमें कोई शक नहीं कि इस सब के बीच शी जिनपिंग का हाथ था.

प्रोफ़ेसर सुज़ैन शिर्क की राय में चीज़ें यहीं ख़त्म नहीं होती. इससे शी जिनपिंग की पार्टी में स्थिति भी मजबूत हुई है. ये उम्मीद भी जताई जा रही है कि अगले साल पार्टी की कांग्रेस में शी जिनपिंग को तीसरे कार्यकाल के लिए भी चुना जा सकता है.

माओ और डेंग शियाओपिंग के बाद चीन का कोई भी नेता दस साल से ज़्यादा सत्ता में नहीं रह पाया है. लेकिन हर बात ये इशारा कर रही है कि कुछ साल पहले शी जिनपिंग के राह में जो चीज़ें रोड़ा बन सकती थीं, उन्हें वो रास्ते से हटा देंगे.

हांगकांग का उदाहरण

प्रोफ़ेसर सुज़ैन शिर्क कहती हैं, "सत्ता संभालने के बाद से ही शी जिनपिंग इसकी तैयारी कर रहे थे. ज्यादातर सरकारी एजेंसियों, सेना और पुलिस का कंट्रोल अपने हाथ में लेना और विरोधियों को किनारे करना इसी का हिस्सा था. हालांकि महामारी नहीं आती तो पार्टी कांग्रेस में ये दौर उनके लिए मुश्किल हो सकता था."

उनका कहना है कि शी जिनपिंग के पूर्ववर्ती शासकों ने ये परंपरा स्थापित की सत्ता के शीर्ष पर नियमित अंतराल पर बदलाव होते रहेंगे. अगर ऐसा हुआ तो शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल मुश्किल होगा लेकिन पार्टी जिस बदलाव के दौर से गुजर रही है, उसे लेकर पार्टी के एक तबके में तनाव का माहौल है.

जेरेमी पैल्टील की राय में कोरोना महामारी शी जिनपिंग के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है. कई नीतियां जिन पर कल तक चीन में सवाल उठा करते थे, अब उन्हें महामारी के नाम पर वाजिब ठहराया जा रहा है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है चीन में व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा सर्विलेंस कार्यक्रम.

वे कहते हैं, "ये सच है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग में इस तकनीक से काफी मदद मिलती है लेकिन निगरानी की इस व्यवस्था को अब सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के नाम पर वैध साबित करने की कोशिश की जा रही है."

सुज़ैन शिर्क मानती हैं कि ये महज इत्तेफाक नहीं है कि चीन ने महामारी की स्थिति का फायदा उठाते हुए हांगकांग में नया सुरक्षा क़ानून लागू कर दिया जो एक बेहद जोखिम भरा फ़ैसला था. इससे चीन में साल 1997 में जारी एक देश, दो व्यवस्था ख़त्म हो गई.

क्या चीन और ईरान के बीच निवेश की योजना क्षेत्र के लिए "सी-पेक प्लस" साबित होगी?

चीन की साइबर सेना से कैसे निपट सकता है भारत

वैक्सीन डिप्लोमेसी

लेकिन कोरोना महामारी से लड़ने में चीन की कामयाबी से उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को साफ़-सुथरा बनाने में कोई मदद नहीं मिली. पिउ रिसर्च की पिछले साल अक्टूबर में आई एक रिपोर्ट में ये कहा गया था कि विकासशील देशों में चीन की छवि साल 2020 में कई गुणा तक नकारात्मक हो गई थी.

ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में चीन मामलों के विशेषज्ञ रेयान हैस कहते हैं, "पिछले साल भर के भीतर कई विकसित देशों में चीन की सार्वजनिक छवि को धक्का पहुंचा है. चीन का नेतृत्व अपने लोगों के लिए क्या कुछ कर रहा है, ये संदेश चीन के भीतर तो लोगों तक पहुंच रहा है लेकिन बाहरी दुनिया में इसे लोग पचा नहीं पा रहे हैं."

रेयान हैस का कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं. इनमें कोरोना महामारी को शुरुआत में जिस तरह से हैंडल किया गया, उसे छुपाने की कोशिश की गई, शी जिनपिंग की हांगकांग नीति और ताइवान को चीन की धमकी, शिनजियांग में वीगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी रिपोर्टें शामिल हैं.

हालांकि सुज़ैन शिर्क का कहना है कि महामारी ने चीन को ये मौका दिया कि वो अपने वैश्विक असर को बढ़ा सके. न्यू सिल्क रोड प्रोजेक्ट के इतर चीन ने कई देशों को मास्क, प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट देने लगा. हालांकि इसकी ख़राब गुणवत्ता के कारण कुछ देशों ने इसे लौटा दिया और कई स्वास्थ्य एजेंसियों ने इसकी आलोचना भी की.

पर तभी कोरोना वैक्सीन गेमचेंजर बनकर सामने आ गई. चीन कोरोना का वैक्सीन पेटेंट कराने वाले शुरुआती देशों में से एक है. भले ही उसकी वैक्सीन मॉडर्ना या फाइजर की तुलना में असरदार न हो लेकिन दुनिया के कई देश जो इसे हासिल नहीं कर सकते, उनके लिए चीनी वैक्सीन विकल्प की तरह है.

सुज़ैन शिर्क कहती हैं, "महामारी की शुरुआत में शी जिनपिंग नाजुक स्थिति में थे लेकिन अब वे पहले से ज़्यादा ताक़तवर नेता है. शायद वे अकेले ऐसे नेता है जिनकी तुलना माओ से की जा सकती है. इसमें कोई शक नहीं कि महामारी ने उनके लिए तीसरे कार्यकाल का रास्ता तैयार कर दिया है."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
China: How did Xi Xinping become more powerful after the Corona epidemic?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X