एक महीने में ही कर दिया UK का बेड़ा गर्ग, लिज ट्रस के फैसलों से तबाही तक पहुंची ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था
ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी अब खुद को लिज ट्रस की कंजर्वेटिव पार्टी के मुकाबले मजबूत राजनीतिक विकल्प की तरह पेश करने लगी है और वो जनता के बीच ये संदेश लेकर जा रही है, कि वो देश की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है...
लंदन, सितंबर 28: लिज ट्रस ने जब प्रधानमंत्री बनने के लिए बड़ी बड़ी घोषणाएं शुरू की थीं, उस वक्त ऋषि सुनक ने उन्हें चेतावनी दी थी और कहा था, कि भले ही वो हार जाएं, लेकिन वो लिज ट्रस जैसी घोषणाएं नहीं करेंगे, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी। लेकिन, खुद को इकोनॉमिक्स का चैंपियन समझने वाली लिज ट्रस ने वादों की झड़ी लगा दी और प्रधानमंत्री का चुनाव जीत भी लिया। लेकिन, अभी लिज ट्रस को प्रधानमंत्री बने हुए एक महीने का भी वक्त नहीं हुआ है, लेकिन ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत बीच समुद्र में फंसे नाव की तरह हो चुकी है, जो कभी भी डूब सकती है। लिज ट्रस ने अपने चुनावी वादे फ्री मार्केट एजेंडा को पूरा कर लिया है, जिसकी वजह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के साथ ही साथ उनकी सरकार भी डूब सकती है।
चिंता में है कंजर्वेटिव पार्टी
फ्री मार्केट एजेंडा लागू करने के सिर्फ चार दिनों के बाद ही लिज ट्रस ने टैक्स में कटौती और बाजार को डीरेग्यूलट कर पूरी दुनिया के वित्त बाजार को चौंका दिया है और इसका नतीजा ये हुआ, कि डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश करेंसी पाउंड के वैल्यू में तेज गिरावट आई है, जिसके बाद प्रधानमंत्री का राजनीतिक भविष्य भी तेजी से अनिश्चित दिख रहा है। वहीं, जिस कंजर्वेटिव पार्टी के ज्यादातर सदस्यों ने लिज ट्रस को वोट देकर प्रधानमंत्री बनाया है, वो अब अपना सिर धून रहे हैं और पार्टी को अब हार की चिंता सता रही है। एक नए सर्वेक्षण से पता चला है, कि विपक्षी लेबर पार्टी ने कंजर्वेटिव पार्टी पर 17 प्रतिशत अंकों की बढ़त ले ली है, जिसके बाद प्रधानमंत्री बनने के तीसरे हफ्ते ही लिज ट्रस के राजनीतिक भविष्य पर गंभीर संकट मंडराने लगा है।
विरोधी पार्टी हो रही है हावी
ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी अब खुद को लिज ट्रस की कंजर्वेटिव पार्टी के मुकाबले मजबूत राजनीतिक विकल्प की तरह पेश करने लगी है और वो जनता के बीच ये संदेश लेकर जा रही है, कि वो देश की वित्तीय जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है। कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि, पाउंड डॉलर के बराबर हो सकता है, वहीं, अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था तेजी से अनिश्चितता के रास्ते पर आगे बढ़ रही है और बहुत जल्द इसका प्रभाव प्रधानमंत्री लिज ट्रस की कुर्सी पर पड़ेगा। लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर टिम बेल, जो कंजर्वेटिव पार्टी के विशेषज्ञ हैं, उन्होंने कहा कि, "यह पूरी तरह से संभव है कि, लिज ट्रस को अगले चुनाव से पहले बदला जा सकता है।" उन्होंने कहा कि, "हालांकि, फिर से पार्टी के अंदर नये प्रधाननंत्री का चुनाव करने की प्रक्रिया को आयोजित करना काफी मु्श्किल होगा, लेकिन लेकिन मैं कुछ भी खारिज नहीं करूंगा।"
लिज ट्रस के देश डूबोने वाले फैसले
एक्सपर्ट्स का कहना है कि, प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद लिज ट्रस को विशेषज्ञों के साथ मिलकर धैर्य भरे फैसले करने चाहिए थे, लेकिन ऐसा लगता है, कि वो खुद 'इकोनॉमिक चैंपियन' की तरह फैसले कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद लिज ट्रस ने टैक्स में भारी कटौती कर दी, वो भी उस वक्त जब देश में महंगाई दर बढ़कर 10 प्रतिशत को पार कर गया है। वहीं, जब ब्रिटेन के साथ साथ अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देशों की रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में करने और विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे थे, तब टैक्स में कटौती किया गया और तभी से कहा जाने लगा, कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था गंभीर प्रभावित होने वाली है। लेकिन, लिज ट्रस सरकार ने पिछले शुक्रवार को ये घोषणा कर सभी को चौंका दिया, जब राजकोष के चांसलर क्वासी क्वार्टेंग ने अप्रत्याशित रूप से घोषणा की, कि सरकार 150,000 पाउंड (लगभग 164,000 डॉलर) से अधिक कमाने वालों पर लागू 45% के टॉप टैक्स कैप को खत्म करने जा रहे हैं। इस घोषणा से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मे भूकंप का आना तय हो गया।
बजट के लिए नहीं जमा किए पैसे
राजकोष के चांसलर क्वासी क्वार्टेंग ने भले ही टैक्स कटौती की घोषणा कर दी, लेकिन उन्होंने सरकारी बजट की जांच के लिए पैकेज जमा नहीं किया, इस आशंका को देखते हुए, कि बिना खर्च में कटौती के टैक्स कटौती करना, ब्रिटेन की वित्तव्यवस्था के लिए घातक हो सकता है। मंगलवार को, पाउंड डॉलर के मुकाबले कुछ समय के लिए स्थिर हो गया, जैसा कि ब्रिटिश सरकार के बांडों पर पिछले 10 साल की दरों में था, हालांकि बैंक ऑफ इंग्लैंड के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के संकेत देने के बाद पाउंड ने फिर से रिकवर करना शुरू किया। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, जिसने 1976 में ब्रिटेन को बेल ऑउट पैकेज दिया था, उसने ब्रिटेन की मौजूदा आर्थिक ढांचे को लेकर तेतावनी जारी की और उसने ब्रिटिश सरकार से टैक्स कटौती पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। एक बयान में, आईएमएफ ने कहा, टैक्स कटौती असमानता को बढ़ाएगी और राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति को "क्रॉस उद्देश्यों" पर काम करेगी।
बाजार पर नकारात्मक प्रभाव
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उच्च ब्याज दरों की वजह से हाउसिंग सेक्टर पर गंभीर असर पड़ रहा है और दो प्रमुख ब्रिटिश मॉर्गेज लेंडर्स ने घोषणा की है, कि वे बाजार की अस्थिरता के कारण नए कर्ज देना बंद कर रहे हैं। वहीं, ब्याज दर बढ़ने से सैकड़ों हजारों मकान मालिकों को नुकसान होगा और ये कंजर्वेटिव पार्टी के कोर वोटर्स हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के आधार हैं। किंग्स कॉलेज लंदन में अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के प्रोफेसर जोनाथन पोर्ट्स ने कहा कि, "यह अमेरिका की तरह नहीं है, जहां लोग 30 साल के मोर्गेज पर हैं।" ब्रिटेन में करीब 63 प्रतिशक घर खरीदने वाले ऐशे लोग हैं, जिन्होंने फ्लोटिंग दरों पर या फिर हाउसिंग लोन ले रखा है या उनके कर्ज अगले एक या दो सालों में खत्म होने वाले हैं ऐसे में पाउंड में भारी गिरावट का मतलब है, कि ब्याज दरों को और भी अधिक बढ़ाना होगा, क्योंकि वे केवल मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए होंगे।
सावधानी से उठाने चाहिए थे कदम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि, लिज ट्रस को सावधानी भरे कदम उठाने की जरूरत थी और सप्लाई साइड पर पहले ध्यान देने की जरूरत थी, लेकिन ऐसा करना लिज ट्रस की लिस्ट में कभी था ही नहीं, क्योंकि लिज ट्रस और क्वार्टेंग मुक्त-बाजार के प्रचारक हैं, जो मानते हैं कि करों में कटौती से विकास पर राज होगा, और क्योंकि उनके पास आम चुनाव में मतदाताओं का सामना करने से पहले अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए दो साल से थोड़ा अधिक समय है।
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