कर्ज तले दबे श्रीलंका से चीन ने बनाई दूरी! 'बेस्ट फ्रेंड' पाकिस्तान को किया मालामाल
चीन ने पिछले हफ्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की बीजिंग यात्रा के दौरान पाकिस्तान को 9 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की पेशकश की और नकदी की कमी वाले देश को और अधिक समर्थन देने का वादा किया।
चीन (China) ने पिछले सप्ताह अपने बेस्ट फ्रेंड पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की थी। इस्लामाबाद की नैया तो चीन समय-समय पर पार लगाता ही रहता है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि हमारा एक और पड़ोसी मुल्क श्रीलंका (Sri Lanka) भी इन दिनों घोर आर्थिक संकट की दौर से गुजर रहा है। ऐसे में सबकी निगाहें चीन के अगले फैसले पर टिकी हुई है, कि क्या वह कोलंबों को वित्तीय सहायता देगा? चीन कब तक श्रीलंका की मदद करने के लिए अपने पैर पीछे खींचता रहेगा।
चीन पाकिस्तान की कर रहा मदद
चीन ने पाकिस्तान को नौ अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज देने का फैसला कर लिया है। चीन का कहना है कि उसने यह फैसला पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के मकसद से लिया है। वह इसका 'ऑल वेदर फ्रेंड' है और ऐसे में उसकी मदद करना चीन का फर्ज है। अब सबकी नजरें चीन पर हैं और पाकिस्तान को इंतजार है कि कितने समय में यह मदद उस तक पहुंचेगी।
चीन का बेस्ट फ्रेंड है पाकिस्तान
पिछले दिनों प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चीन के दौरे पर गये थे। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से उस समय पाकिस्तान को चार अरब डॉलर का संप्रभु कर्ज देने का वादा किया गया था। साथ 3.3 अरब डॉलर के वाणिज्यिक बैंक कर्जों का पुनर्वित्त और साथ ही करेंसी एक्सचेंज में करीब 1.45 अरब डॉलर के इजाफे की बात भी कही गई थी। जिनपिंग के हवाले से पाकिस्तान के वित्त मंत्री इश्हाक डार ने कहा था कि चीनी राष्ट्रपति ने पीएम शरीफ के साथ मुलाकात में उन्हें मदद का भरोसा दिलाया था।
चीन से आशा
वहीं पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देकर संतुष्ट करने के बाद अब दुनिया की नजर चीन और श्रीलंका टिक गई है। मीडिया चीन की हर एक हरकत पर नजर रख रही है। दुनिया इस बात की खबर रख रही है कि बीजिंग श्रीलंका के साथ ऋण पुनर्गठन वार्ता पर कितनी तेजी से आगे बढ़ सकता है। बता दें कि, श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज हासिल करने के लिए दिसंबर की समय सीमा से चूक सकता है। हालांकि, श्रीलंका को बार-बार अनुरोध करने के बावजूद चीनी नेतृत्व से कोई ठोस आश्वासन अभी तक नहीं मिला है।
श्रीलंका के लिए मुसीबत
यदि श्रीलंका दिसंबर में आईएमएफ ऋण को सिक्योर करने में विफल रहता है,तो उसे मार्च 2023 तक इंतजार करना होगा। श्रीलंका के लेनदारों को ऋण पुनर्गठन के सौदे के लिए सहमत होना होगा।भारत और जापान पहले ही ऋण समाधान और पुनर्गठन पर कोलंबो के साथ बातचीत शुरू कर चुके हैं, लेकिन पिछले महीने 20वीं पार्टी कांग्रेस पर बीजिंग का संपूर्ण ध्यान रहने के कारण चीन के साथ बातचीत में देरी हुई। श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 30 जून को देश का विदेशी कर्ज 35 अरब डॉलर था। इसमें से चीन का करीब 7 अरब डॉलर बकाया है।
बीजिंग करेगा सहायता?
श्रीलंका के वित्त मंत्री शेहान सेमासिंघे ने इस सप्ताह एक इंटरव्यू में कहा कि चीनी राजदूत की झेनहोंग के साथ उनकी बैठक के दौरान बीजिंग की सहायता के लिए तत्परता से उन्हें अवगत कराया गया था। इस हफ्ते, शर्म-अल-शेख में COP27 में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने विश्व बैंक समूह (WBG) के अध्यक्ष डेविड मलपास से मुलाकात की थी। मालपास और विक्रमसिंघे ने श्रीलंका में चुनौतीपूर्ण मैक्रो-इकोनॉमिक और सामाजिक स्थिति और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की तत्काल आवश्यकता पर चर्चा की थी।