भारत में आतंक की फैक्ट्री में तब्दील होता जा रहा कश्मीर का त्राल!
श्रीगनर। शुक्रवार को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को मारे जाने के बाद से दक्षिण कश्मीर के हिस्से में तनाव काफी ज्यादा है। दरअसल वाली त्राल का ही रहने वाला था। त्राल में वानी की लाश को देखने के लिए लोगों का हुजूम मौजूद था। दक्षिण कश्मीर में आने वाला त्राल एक बार फिर से खबरों में है।
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मुफ्ती
की
असफलता
है
कश्मीर
का
बिगड़ा
माहौल
1.25 लाख की आबादी वाला त्राल
त्राल को कश्मीर का कंधार कहा जाता है। त्राल एक छोटा सा कस्बा है जिसकी आबादी करीब 1.25 लाख होगी। आबादी में मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है और कुछ सिख और हिंदु भी यहां रहते हैं।
वानी की मौत के बाद से स्थानीय कश्मीरी नागरिकों ने ईदगाह की ओर मार्च किया क्योंकि उन्हें डर था कि सुरक्षाबल इसे बंद कर देंगे। त्राल में अब वानी का 'यूथ आइकॉन' माना जाने लगा है।
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60 प्रतिशत से ज्यादा युवा त्राल से
पिछले करीब दो वर्षों में कश्मीर के युवाओं का रूझान एक बार फिर से आतंकवाद की ओर बढ़ा है। जम्मू कश्मीर पुलिस की एक रिपोर्ट की मानें तो 10 वर्षों में यह पहला मौका है जब स्थानीय युवाओं का झुकाव इतनी तेजी से आतंकवाद की ओर बढ़ा है।
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इस रिपोर्ट के मुताबिक इन दिनों कश्मीर में मौजूद कुल आतंकियों की संख्या में 62 प्रतिशत स्थानीय युवा हैं। युवाओं के बीच हिजबुल मुजाहिद्दीन काफी लोकप्रिय है और साथ ही साथ लश्कर-ए-तैयबा भी दूसरे नंबर पर है।
त्राल टॉप पर
कश्मीर के तीन क्षेत्रों से आतंकी संगठनों को ज्वॉइन करने वाले 62 प्रतिशत युवाओं में 60 प्रतिशत युवा दक्षिण कश्मीर से आते हैं। हर 33 में से 30 युवा दक्षिण कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों से होते हैं।
इनमें पुलवामा जिले का त्राल से शामिल होने वाले युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। सबसे ज्यादा नए आतंकी त्राल से ही होते हैं।
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90 के दशक से भी ज्यादा बुरा हाल
घाटी के हालात अब 90 के दशक से ज्यादा बुरे हो गए हैं। युवाओं को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों की ओर से ट्रेनिंग मुहैया कराई जा रही है ताकि वह घाटी में आतंकवाद की घटनाओं का अंजाम दे सकें।
पाक के आतंकी संगठनों का मानना है कि घाटी के युवा नए सिरे से गुरिल्ला वॉर को अंजाम देने में सक्षम हैं। वहीं सरकार के लिए ट्रेनिंग से ज्यादा युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल होने से रोकना काफी बड़ी चुनौती है।