भारत द्वारा वैक्सीन निर्यात पर बैन से 91 देशों में गहराया कोरोना के नए स्ट्रेन का संकट: WHO
वैक्सीन निर्यात पर बैन के फैसले का 91 देशों पर गंभीर असर,
नई दिल्ली, 31 मई। देश में कोरोना वायरस की दूसरी भयानक लहर के बीच कोविड वैक्सीन की कमी के चलते केंद्र सरकार ने फिलहाल टीके के निर्यात पर रोक लगा रखी है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के उत्पादों पर निर्भर 91 देशों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिसमें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) और आगामी नोवावैक्स शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ ने आगे कहा, वैक्सीन की अपर्याप्त स्टॉक वाले कई अफ्रीकी देश हैं जहां कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को लेकर स्थिति अतिसंवेदनशील बनी हुई है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, दुनिया के 91 देश कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की कमी से प्रभावित हैं। इसमें वह वैक्सीन भी शामिल है जिसे सीरम इंस्टीट्यूट बना बना रही है। सीरम से भेजी जाने वाली वैक्सीन पर रोक के बाद स्थिति और खराब हो गई है। इनमें से कई देश ऐसे हैं जहां कोरोना के कई नए वेरिएंट पाए गए हैं, इनमें से एक हाल में भारत में खोजा गया बी.1.617.2 कोरोना वायरस स्ट्रेन भी है।
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डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने आगे कहा, 'न केवल बी.1.617.2, बल्कि ऐसे कई नए कोरोना वेरिएंट के सामने आने की संभावना है जो अन्य देशों में भी फैलेंगे...हम जानते हैं कि इन नए वेरिएंट के संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है। इससे पहले कि उन्हें पहचाना जा सके, इनमें से कई पहले से ही दुनिया भर में फैल रहे हैं।' आपको बता दें कि पिछले साल एस्ट्राजेनेका के साथ हस्ताक्षरित कानूनी रूप से हुए समझौते के अनुसार सीरम इंस्टीट्यूट से निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए एक अरब खुराक की आपूर्ति किए जाने की उम्मीद थी। इस समझौते के अनुसार साल 2020 के अंदर ही 400 मिलियन खुराक प्रदान करने की बात कही गई थी। इन टीकों को अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन गठबंधन, गवी के माध्यम से वितरित किया जा रहा था, जिसमें डब्ल्यूएचओ एक प्रमुख सदस्य है।